“श्री घटिकाचल हनुमत् स्तोत्रम्” एक अत्यंत पावन स्तोत्र है जो घटिकाचल हनुमान जी को समर्पित है। घटिकाचल, तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम ज़िले में स्थित है, जहाँ भगवान हनुमान जी का प्राचीन और जागृत मंदिर है। इस स्तोत्र के माध्यम से हनुमान जी की स्तुति की जाती है और उनके विभिन्न दिव्य स्वरूपों का वर्णन होता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से भक्ति, शक्ति, और मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
श्री घटिकाचल हनुमत् स्तोत्रम्
शङ्खचक्रधरं देवं घटिकाचलवासिनम् ।
योगारूढं ह्याञ्जनेयं वायुपुत्रं नमाम्यहम् ॥ १ ॥
भक्ताभीष्टप्रदातारं चतुर्बाहुविराजितम् ।
दिवाकरद्युतिनिभं वन्देऽहं पवनात्मजम् ॥ २ ॥
कौपीनमेखलासूत्रं स्वर्णकुण्डलमण्डितम् ।
लङ्घिताब्धिं रामदूतं नमामि सततं हरिम् ॥ ३ ॥
दैत्यानां नाशनार्थाय महाकायधरं विभुम् ।
गदाधरकरो यस्तं वन्देऽहं मारुतात्मजम् ॥ ४ ॥
नृसिंहाभिमुखो भूत्वा पर्वताग्रे च संस्थितम् ।
वाञ्छन्तं ब्रह्मपदवीं नमामि कपिनायकम् ॥ ५ ॥
बालादित्यवपुष्कं च सागरोत्तारकारकम् ।
समीरवेगं देवेशं वन्दे ह्यमितविक्रमम् ॥ ६ ॥
पद्मरागारुणमणिशोभितं कामरूपिणम् ।
पारिजाततरुस्थं च वन्देऽहं वनचारिणम् ॥ ७ ॥
रामदूत नमस्तुभ्यं पादपद्मार्चनं सदा ।
देहि मे वाञ्छितफलं पुत्रपौत्रप्रवर्धनम् ॥ ८ ॥
इदं स्तोत्रं पठेन्नित्यं प्रातःकाले द्विजोत्तमः ।
तस्याभीष्टं ददात्याशु रामभक्तो महाबलः ॥ ९ ॥
॥ इति श्री घटिकाचल हनुमत् स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
श्री घटिकाचल हनुमत् स्तोत्रम् — हिंदी अनुवाद सहित
मैं उस देवता को नमस्कार करता हूँ जो शंख और चक्र धारण करते हैं, घटिकाचल पर्वत पर निवास करते हैं, योग की अवस्था में स्थित हैं, अंजना माता के पुत्र और पवनदेव के पुत्र हैं।
॥ १ ॥
जो भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं, जिनके चार भुजाएँ हैं, जो सूर्य के समान तेजस्वी हैं — ऐसे पवनपुत्र हनुमान जी को मैं वंदन करता हूँ।
॥ २ ॥
जो कौपीन (लंगोट) और कमर में मेखला धारण करते हैं, जिनके कानों में स्वर्ण कुंडल हैं, जिन्होंने समुद्र को लांघा और जो श्रीराम के दूत हैं — ऐसे हरि स्वरूप हनुमान जी को मैं नित्य नमस्कार करता हूँ।
॥ ३ ॥
जो राक्षसों के नाश के लिए विशाल शरीरधारी प्रभु हैं और जिनके हाथ में गदा है — ऐसे पवनपुत्र को मैं वंदन करता हूँ।
॥ ४ ॥
जो नृसिंह भगवान की ओर उन्मुख होकर पर्वत के शिखर पर स्थित हैं और ब्रह्म पद (मोक्ष) की इच्छा रखने वाले हैं — ऐसे कपि नायक (वानरों के स्वामी) को मैं नमस्कार करता हूँ।
॥ ५ ॥
जो बाल सूर्य के समान तेजस्वी हैं, जिन्होंने समुद्र को पार किया, जो वायु के समान वेग वाले और देवों के स्वामी हैं — ऐसे अपार पराक्रमी हनुमान जी को मैं वंदन करता हूँ।
॥ ६ ॥
जो पद्मराग (मणि) जैसे लाल वर्ण के रत्नों से सुशोभित हैं, इच्छानुसार रूप बदल सकते हैं, पारिजात वृक्ष पर स्थित हैं और वन में विचरण करते हैं — ऐसे हनुमान जी को मैं प्रणाम करता हूँ।
॥ ७ ॥
हे रामदूत! आपको मेरा नमन है। मैं सदा आपके चरण कमलों की पूजा करता हूँ, मुझे मनवांछित फल दें — जैसे संतान वंश की वृद्धि।
॥ ८ ॥
जो ब्राह्मण या श्रेष्ठ भक्त प्रतिदिन प्रातःकाल इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे हनुमान जी — जो श्रीराम के परम भक्त हैं — शीघ्र ही मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।
॥ ९ ॥
॥ श्री घटिकाचल हनुमत् स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
लाभ (Benefits)
- 🙏 मनोकामना पूर्ति – जो भी भक्त सच्चे भाव से इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसकी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
- 🛡️ नकारात्मक ऊर्जा और भय से रक्षा – यह स्तोत्र बुरी शक्तियों से बचाव करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
- 💪 साहस, आत्मबल और पराक्रम की वृद्धि – हनुमान जी की कृपा से आत्मविश्वास और वीरता बढ़ती है।
- 👨👩👧👦 संतान सुख और कुल वृद्धि – संतान प्राप्ति व उनकी उन्नति के लिए लाभकारी है।
- 🧘 भक्ति और साधना में प्रगति – हनुमान जी की कृपा साधक को आध्यात्मिक मार्ग में तेज़ी से आगे ले जाती है।
पाठ विधि (Vidhi)
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएँ और रोली-चावल से तिलक करें।
- उन्हें लाल फूल, चना और गुड़ अर्पित करें।
- श्रद्धा से इस स्तोत्र का पाठ करें। यदि संभव हो तो 9, 11 या 21 बार करें।
जाप का समय (Jaap Time)
- 📅 विशेष दिन – मंगलवार और शनिवार को इसका पाठ विशेष फलदायक माना गया है।
- 🕘 समय – प्रातःकाल (5 से 8 बजे के बीच) या संध्या समय (6 से 8 बजे तक) सर्वोत्तम रहता है।
- 🙇♂️ संकट के समय या नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिए कभी भी पढ़ा जा सकता है।