महाभागवत पुराण में युधिष्ठिर जी द्वारा माता कामेश्वरी की वंदना की गई है। देवी कामेश्वरी समस्त सृष्टि की अधिष्ठात्री और भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली शक्ति स्वरूपा हैं। इस स्तुति में भगवती के विविध रूपों का स्मरण करते हुए, उनकी कृपा की प्रार्थना की गई है।
कैलास राणा शिव चंद्रमौळी (Kailasrana Shivchandra Mauli)
जो भी साधक श्रद्धापूर्वक प्रातःकाल या संध्या समय इस स्तुति का पाठ करता है, उसे देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। उसके समस्त संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख, शांति, समृद्धि का वास होता है।
यह स्तुति दस श्लोकों में संगृहीत है, जो देवी के दस महाविद्याओं का प्रतीक हैं। दसों महाविद्याएँ भगवती के विशिष्ट शक्तिरूप हैं, जो भक्तों के विभिन्न संकटों को हरकर उन्हें दिव्य आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
घोरकष्टोद्धरण स्तोत्र (Ghorkashtodharan stotra)
माता कामेश्वरी की यह स्तुति न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि साधक को आत्मिक बल, ऐश्वर्य और सफलता प्रदान करने वाली मानी जाती है। जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से इस स्तुति का नित्य पाठ करता है, उसकी समस्त इच्छाएँ पूर्ण होती हैं, और उसे भगवती की दिव्य कृपा का अनुभव होता है।
ऊँ नमः कमलवासिन्यै स्वाहा (Om namah kamala Vasinyai swaha)
श्री कामेश्वरी स्तुति (Shri Kameshwari Devi Stuti):
युधिष्ठिर उवाच:
नमस्ते परमेशानि ब्रह्मरूपे सनातनि ।
सुरासुरजगद्वन्द्दे कामेश्वरि नमोsस्तु ते ॥ १ ॥
🔹 हे परमेश्वरी! आपको मेरा नमन, जो सनातन ब्रह्मस्वरूपा हैं।
🔹 देवता और असुर दोनों जिनकी वंदना करते हैं, ऐसी देवी कामेश्वरी को प्रणाम।
न ते प्रभावं जानन्ति ब्रह्माद्यास्त्रिदशेश्वराः ।
प्रसीद जगतामाद्ये कामेश्वरि नमोsस्तु ते ॥ २ ॥
🔹 हे माता! आपके प्रभाव को स्वयं ब्रह्मा और अन्य देवगण भी नहीं समझ सकते।
🔹 हे जगत की आदि शक्ति, मुझ पर प्रसन्न हों।
अनादिपरमा विद्या देहिनां देहधारिणी ।
त्वमेवासि जगद्वन्द्ये कामेश्वरि नमोsस्तु ते ॥ ३ ॥
🔹 आप अनादि और परम विद्या स्वरूपा हैं।
🔹 समस्त प्राणियों के शरीर में स्थित रहते हुए भी, आप ही वंदनीय हैं।
त्वं बीजं सर्वभूतानां त्वं बुद्धिश्चेतना धृतिः ।
त्वं प्रबोधश्च निद्रा च कामेश्वरि नमोsस्तु ते ॥ ४ ॥
🔹 आप समस्त जीवों का बीज हैं, आप ही बुद्धि, चेतना और धैर्य का स्वरूप हैं।
🔹 जागृति और निद्रा दोनों ही आपकी कृपा से संभव हैं।
त्वामाराध्य महेशोsपि कृतकृत्यं हि मन्यते ।
आत्मानं परमात्माsपि कामेश्वरि नमोsस्तु ते ॥ ५ ॥
🔹 स्वयं महादेव भी आपकी आराधना कर स्वयं को कृतार्थ मानते हैं।
🔹 परमात्मा भी आपके बिना अधूरे हैं।
दुर्वृत्तवृत्तसंहर्त्रि पापपुण्यफलप्रदे ।
लोकानां तापसंहर्त्रि कामेश्वरि नमोsस्तु ते ॥ ६ ॥
🔹 आप दुष्टों का नाश करने वाली और पाप-पुण्य का फल देने वाली हैं।
🔹 लोकों के समस्त तापों का हरण करने वाली माता को नमन।
त्वमेका सर्वलोकानां सृष्टिस्थित्यन्तकारिणी ।
करालवदने कालि कामेश्वरि नमोsस्तु ते ॥ ७ ॥
🔹 आप ही सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार करने वाली हैं।
🔹 क्रोध के समय आप काली का रूप धारण करती हैं।
प्रपन्नार्तिहरे मातः सुप्रसन्नमुखाम्बुजे ।
प्रसीद परमे पूर्णे कामेश्वरि नमोsस्तु ते ॥ ८ ॥
🔹 संकट में पड़े भक्तों का उद्धार करने वाली, प्रसन्न मुख वाली देवी को प्रणाम।
🔹 हे परिपूर्ण और सर्वश्रेष्ठ देवी, मुझ पर कृपा करें।
त्वामाश्रयन्ति ये भक्त्या यान्ति चाश्रयतां तु ते ।
जगतां त्रिजगद्धात्रि कामेश्वरि नमोsस्तु ते ॥ ९ ॥
🔹 जो आपकी भक्ति से शरण लेते हैं, वे स्वयं आपकी कृपा में आ जाते हैं।
🔹 त्रिलोक की धात्री, माता कामेश्वरी को प्रणाम।
शुद्धज्ञानमये पूर्णे प्रकृतिः सृष्टिभाविनी ।
त्वमेव मातर्विश्वेशि कामेश्वरि नमोस्तुते ॥ १० ॥
🔹 आप शुद्ध ज्ञान स्वरूपिणी और पूर्णता की प्रतीक हैं।
🔹 सृष्टि की जन्मदात्री और विश्व की अधिष्ठात्री देवी को नमन।
॥ इति श्रीमहाभागवते महापुराणे युधिष्ठिरकृता कामेश्वरीस्तुतिः सम्पूर्णा ॥
श्री कामेश्वरी स्तुति के लाभ (Benefits of Shri Kameshwari Stuti):
🔸 समस्त बाधाओं का नाश: इस स्तुति के पाठ से जीवन की सभी प्रकार की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
🔸 सुख-समृद्धि की प्राप्ति: माता कामेश्वरी की कृपा से धन, ऐश्वर्य और वैभव में वृद्धि होती है।
🔸 आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तुति आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है।
🔸 रोगों से मुक्ति: देवी के आशीर्वाद से शारीरिक और मानसिक रोगों से राहत मिलती है।
🔸 नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: यह स्तुति नकारात्मक शक्तियों, बुरी नजर और अनिष्ट शक्तियों से बचाव करती है।
अखंड विष्णु कार्यम् व्यासनेन चराचरम् – विष्णु मंत्र (Akhand Vishnu Karyam Vyaasnena Characharam)
श्री कामेश्वरी स्तुति का पाठ कब और कैसे करें? (When and how to recite Shri Kameshwari Stuti?)
✅ प्रातःकाल या संध्या समय स्नान कर माता की मूर्ति या चित्र के समक्ष बैठकर इस स्तुति का पाठ करें।
✅ मंगलवार, शुक्रवार या नवरात्रि के दिनों में इसका पाठ विशेष फलदायी होता है।
✅ पाठ के दौरान लाल पुष्प, अक्षत, कुमकुम और दीपक अर्पित करें।
✅ मनोकामना पूर्ति के लिए 11, 21 या 51 दिनों तक नियमित पाठ करें।
✅ संपूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इस स्तुति का जाप करने से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
ॐ विष्णवे नम: (Om Vishnave Namah)