संध्या आरती के पाठ से भक्तों को आत्मिक शांति, भक्ति भाव और आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
श्री नाथ जी की संध्या आरती का महत्व (Importance of evening aarti of Shri Nath ji)
गोरखनाथ जी की नित्य पूजा और श्रद्धा से आरती करने पर भक्त को अपार सुख, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आइए, श्रद्धा पूर्वक श्री नाथ जी की संध्या आरती का पाठ करें।
विश्वकर्मा चालीसा (Vishwakarma Chalisa)
श्री गोरखनाथ संध्या आरती (Shri Gorakhnath Sandhya Aarti)
जय गोरख योगी (श्री गुरु जी) हर हर गोरख योगी ।
वेद पुराण बखानत, ब्रह्मादिक सुरमानत, अटल भवन योगी ।
ऊँ जय गोरख योगी
॥ बाल जती ब्रह्मज्ञानी योग युक्ति पूरे (श्रीगुरुजी) योग युक्ति पूरे ।
सोहं शब्द निरन्तर (अनहद नाद निरन्तर) बाज रहे तूरे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
रत्नजड़ित मणि माणिक कुण्डल कानन में (श्री गुरुजी) कुंडल कानन में जटा मुकुट सिर सोहत मन मोहत भस्मन्ती तन में ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
आदि पुरुष अविनाशी, निर्गुण गुणराशी (श्री गुरुजी) निर्गुण गुणराशी, सुमिरण से अघ छूटे, सुमिरन से पाप छूटे, टूटे यम फाँसी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
ध्यान कियो दशरथ सुत रघुकुल वंशमणी (श्री गुरुजी) रघुकुल वंशमणि, सीता शोक निवारक, सीता मुक्त कराई, मार्यो लंक धनी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
नन्दनन्दन जगवन्दन, गिरधर वनमाली, (श्री गुरुजी) गिरधर वनमाली निश वासर गुण गावत, वंशी मधुर वजावत, संग रुक्मणी बाली ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
धारा नगर मैनावती तुम्हरो ध्यानधरे (श्रीगुरुजी) तुम्हरो ध्यान धरे अमर किये गोपीचन्द, अमर किये पूर्णमल, संकट दूर करे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
चन्द्रावल लखरावल निजकर घातमरी, (श्रीगुरुजी) निजकर घातमरी, योग अमर फल देकर, 2 क्षण में अमर करी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
भूप अमित शरणागत जनकादिक ज्ञानी, (श्रीगुरुजी)जनकादिक ज्ञानी मान दिलीप युधिष्ठिर 2 हरिश्चन्द्र से दानी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
वीर धीर संग ऋद्धि सिद्धि गणपति चंवर करे (श्रीगुरुजी) गणपति चँवर करे जगदम्बा जगजननी 2 योगिनी ध्यान धरे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
दया करी चौरंग पर कठिन विपतिटारी (श्रीगुरुजी) कठिन विपतिटारी दीनदयाल दयानिधि 2 सेवक सुखकारी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
इतनी श्री नाथ जी की मंगल आरती निशदिन जो गावे (श्रीगुरुजी) प्रात समय गावे, भणत विचार पद (भर्तृहरि भूप अमर पद)सो निश्चय पावे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
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