शनिदेव की कृपा से व्यक्ति को कार्यों में सफलता मिलती है और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति प्राप्त होती है। उनकी आराधना से जीवन में स्थिरता, सुख और समृद्धि का संचार होता है।
श्रीकृष्ण जी की आरती (Shree Krishna ji ki Aarti)
शनिदेव नवग्रहों में एक प्रमुख ग्रह माने जाते हैं। कहा जाता है कि उनकी वक्र दृष्टि से बचने के लिए उनकी आराधना और आरती करना अत्यंत आवश्यक है। मान्यता है कि जो भक्त शनिदेव को प्रसन्न कर लेते हैं, उनके घर में सदैव सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। प्रस्तुत है “जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी”—जो भगवान शनिदेव की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है।
सूर्यदेव आरती (Suryadev Aarti)
शनिदेव जी की आरती (Shanidev ji ki Aarti)
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा
जय जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी |
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा
जय जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतार।।
जय जय जय श्री शनि देव।।
भक्तन हितकारी।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा
जय जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा।।
श्याम अंग वक्र दृष्टि चतुर्भुजा धारी,
चतुर्भुजा धारी।
श्याम अंग वक्र दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी,
गज की असवारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवार।।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा
जय जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी |
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा।।
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी,
दिपत है लिलारी।
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलार।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी,
शोभित बलिहारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी।।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा,
जय जय शनिदेवा,
जय जय श्री शनिदेव,
भक्तन हितकारी।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा।।
मोदक और मिष्ठान चढ़ें, चढ़ती पान चढ़त सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी है अति प्यारी।।
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान हम हैं शरण तुम्हारी।।|
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा
जय जय शनिदेवा।।
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