इस चालीसा का नियमित पाठ करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और सभी परेशानियाँ दूर होती हैं। भक्तों को दादी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे उनका आत्मबल बढ़ता है और जीवन की सभी कठिनाइयाँ सरल हो जाती हैं।
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राणी सती दादी जी का परिचय (Introduction of Rani Sati Dadi Ji)
भारत वीरों, संतों और महापुरुषों की भूमि है, जहाँ समय-समय पर महान विभूतियों ने जन्म लिया और धर्म व परंपराओं को संजोने का कार्य किया। उन्हीं में से एक हैं राणी सती दादी जी, जो अपनी वीरता और बलिदान के लिए प्रसिद्ध हैं। राजस्थान के झुंझुनू शहर में स्थित उनका भव्य मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहाँ भक्तगण पूजा-अर्चना, आरती और चालीसा का पाठ करते हैं और दादी जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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राणी सती दादी चालीसा पढ़ने के लाभ (Benefits of reading Rani Sati Dadi Chalisa)
- सुख-शांति एवं समृद्धि – परिवार में शांति बनी रहती है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।
- साहस और आत्मबल में वृद्धि – नियमित पाठ से व्यक्ति निडर और आत्मविश्वासी बनता है।
- शत्रुओं से रक्षा – जीवन में आने वाली बाधाएँ समाप्त होती हैं और व्यक्ति को हर विपत्ति से बचाव का मार्ग मिलता है।
- मानसिक और आध्यात्मिक विकास – चालीसा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- दादी जी की विशेष कृपा – जो भी भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ चालीसा का पाठ करता है, उसे दादी जी की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
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जो भी सच्चे मन से राणी सती दादी जी की चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन में हर संकट का हल स्वयं मिल जाता है। आइए, श्रद्धा भाव से राणी सती दादी जी की चालीसा का पाठ करें।
राणी सती दादी चालीसा दोहा (Rani Sati Dadi Chalisa Doha)
श्री गुरु पद पंकज नमन, दुषित भाव सुधार I
राणी सती सू विमल यश, बरणौ मति अनुसार II
काम क्रोध मद लोभ में, भरम रह्यो संसार I
शरण गहि करूणा मई, सुख सम्पति संसार II
राणी सती दादी चालीसा चौपाई (Rani Sati Dadi Chalisa Chaupai)
नमो: नमो: श्री सती भवानी, जग विख्यात सभी मन मानी I
नमो: नमो: संकट को हरनी, मनवांछित पूरण सब करनी II (१)
नमो: नमो: जय जय जगदंबा, भक्तन काज न होय विलंबा।
नमो: नमो: जय जय जगतारिणी, सेवक जन के काज सुधारिणी II (२)
दिव्य रूप सिर चूनर सोहे, जगमगात कुन्डल मन मोहे I
मांग सिंदूर सुकाजर टीकी, गजमुक्ता नथ सुंदर नीकी II (३)
गल वैजंती माला विराजे, सोलहूं साज बदन पे साजे I
धन्य भाग गुरसामलजी को, महम डोकवा जन्म सती को II (४)
तन धनदास पति वर पाये, आनंद मंगल होत सवाये I
जालीराम पुत्र वधु होके, वंश पवित्र किया कुल दोके II (५)
पति देव रण मॉय जुझारे, सति रूप हो शत्रु संहारे I
पति संग ले सद् गती पाई , सुर मन हर्ष सुमन बरसाई II (६)
धन्य भाग उस राणा जी को, सुफल हुवा कर दरस सती का I
विक्रम तेरह सौ बावन कूं, मंगसिर बदी नोमी मंगल कूं II (७)
नगर झून्झूनू प्रगटी माता, जग विख्यात सुमंगल दाता I
दूर देश के यात्री आवे, धुप दिप नेवैध्य चढावे II (८)
उछाड़ उछाड़ते है आनंद से, पूजा तन मन धन श्रीफल से I
जात जङूला रात जगावे, बांसल गोत्री सभी मनावे II (९)
पूजन पाठ पठन द्विज करते, वेद ध्वनि मुख से उच्चरते I
नाना भाँति भाँति पकवाना, विप्र जनो को न्यूत जिमाना II (१०)
श्रद्धा भक्ति सहित हरसाते, सेवक मनवांछित फल पाते I
जय जय कार करे नर नारी, श्री राणी सतीजी की बलिहारी II (११)
द्वार कोट नित नौबत बाजे, होत सिंगार साज अति साजे I
रत्न सिंघासन झलके नीको, पलपल छिनछिन ध्यान सती को II (१२)
भाद्र कृष्ण मावस दिन लीला, भरता मेला रंग रंगीला I
भक्त सूजन की सकल भीड़ है, दरशन के हित नही छीड़ है II (१३)
अटल भुवन मे ज्योति तिहारी, तेज पूंज जग मग उजियारी I
आदि शक्ति मे मिली ज्योति है, देश देश मे भवन भौति है II (१४)
नाना विधी से पूजा करते, निश दिन ध्यान तिहारो धरते I
कष्ट निवारिणी दु:ख नासिनी, करूणामयी झुन्झुनू वासिनी II (15)
प्रथम सती नारायणी नामा, द्वादश और हुई इस धामा I
तिहूं लोक मे कीरति छाई, राणी सतीजी की फिरी दुहाई II (१६)
सुबह शाम आरती उतारे, नौबत घंटा ध्वनि टंकारे I
राग छत्तीसों बाजा बाजे, तेरहु मंड सुन्दर अति साजे II (१७)
त्राहि त्राहि मैं शरण आपकी, पुरी मन की आस दास की I
मुझको एक भरोसो तेरो, आन सुधारो मैया कारज मेरो II (१८)
पूजा जप तप नेम न जानू, निर्मल महिमा नित्य बखानू I
भक्तन की आपत्ति हर लिनी, पुत्र पौत्र सम्पत्ति वर दीनी II (१९)
पढे चालीसा जो शतबारा, होय सिद्ध मन माहि विचारा I
टाबरिया ली शरण तिहारी, क्षमा करो सब भूल चूक हमारी II (२०)
राणी सती दादी चालीसा दोहा (Rani Sati Dadi Chalisa Doha)
दु:ख आपद विपदा हरण, जन जीवन आधार I
बिगड़ी बात सुधारियो, सब अपराध बिसार II
॥ इति श्री राणी सती दादी चालीसा सम्पूर्ण ॥
श्रीकृष्ण वासुदेव मन्त्र (Shree krishnaya vasudevaya Mantra)
श्री राम रक्षा स्तोत्रम् (Shri Ram Raksha Stotram)
शिव तांडव स्तोत्र (Shiv Tandav Stotra)
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र मंत्र (Navgrah Peeda har Stotra Mantra)
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् – अयि गिरिनन्दिनि (Mahishasura Mardini Stotram – Aigiri Nandini)
श्री गणेश जी आरती (Shree Ganesh Ji Aarti)
ॐ नीलकण्ठेश्वराय नमः मंत्र (Om Neelkantheshwaraya Namah Mantra)
खाटू श्याम चालीसा (Khatu Shyam Chalisa)