
मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र की पवित्र भूमि रतलाम में स्थित कलिका माता मंदिर एक ऐसा धार्मिक स्थल है, जहाँ भक्ति, इतिहास और सामाजिक जीवन का सुंदर संगम दिखाई देता है। मंदिर शहर के बीचोंबीच स्थित है और इसके पास फैला झाली तालाब इसकी सुंदरता को और बढ़ा देता है। माँ कलिका की दिव्य प्रतिमा के दर्शन करने मात्र से मन को अद्भुत शांति और ऊर्जा का अनुभव होता है।
केदारेश्वर महादेव मंदिर, सैलाना ,रतलाम
इतिहास (History)
कलिका माता मंदिर का इतिहास लगभग 350 वर्ष पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि रतलाम के राजा रतासिंहजी ने इस मंदिर की स्थापना 17वीं शताब्दी में की थी। माँ की प्रतिमा धार नगर से लाकर यहाँ स्थापित की गई थी। पहले यह स्थान एक छोटे मंदिर के रूप में था, पर समय के साथ इसका पुनर्निर्माण हुआ और आज यह एक भव्य स्वरूप में लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।
वास्तुकला (Architecture)

मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक हिंदू शैली में निर्मित है। मुख्य गर्भगृह में माँ कलिका की प्रतिमा स्थापित है, जिसके चारों ओर नक्काशीदार पत्थर के स्तंभ हैं। मंदिर के ऊपर एक ऊँचा शिखर है जो सूर्य की किरणों से सुबह-सुबह स्वर्णिम दिखाई देता है। मंदिर के बाहर खुला प्रांगण और पास में स्थित तालाब यहाँ की सुंदरता को और बढ़ाते हैं।
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विशेषताएँ (Special Features)
- मंदिर रतलाम शहर के केंद्र में स्थित है, जिससे यहाँ पहुँचना बहुत आसान है।
- मंदिर के पास स्थित झाली तालाब वातावरण को शांत और मनोहर बनाता है।
- नवरात्रि के दिनों में यहाँ गरबा, भजन और विशेष आरती का आयोजन किया जाता है।
- भक्तों के लिए प्रसाद वितरण और निःशुल्क जल सेवा की व्यवस्था रहती है।
मंदिर के देवी-देवता (Deities in Temple)

मंदिर में माँ कलिका मुख्य रूप से विराजमान हैं। उनके साथ माँ चामुंडा और माँ अन्नपूर्णा की प्रतिमाएँ भी स्थापित हैं। यह तीनों देवियाँ क्रमशः शक्ति, रक्षा और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं।
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मंदिर की टाइमिंग, आरती और भजन (Timings, Aarti & Bhajans)
- दर्शन का समय: सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक
- सुबह की आरती: 5:00 AM
- शाम की आरती: 6:00 PM
आरती के समय मंदिर में घंटियों की ध्वनि, शंखनाद और भक्ति गीतों की गूँज पूरे वातावरण को पवित्र बना देती है। रोजाना सुबह-शाम भजन-कीर्तन होते हैं जिनमें स्थानीय भक्त और महिलाएँ बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं।
त्योहार और कार्यक्रम (Festivals & Events)
नवरात्रि यहाँ का सबसे प्रमुख उत्सव है। इन नौ दिनों तक मंदिर को फूलों, दीपों और रोशनी से सजाया जाता है। हर सुबह प्रातःकालीन गरबा की परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त भाग लेते हैं। इसके अलावा दुर्गा अष्टमी, राम नवमी और दीपावली पर भी विशेष पूजा होती है।
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आसपास के दर्शनीय स्थल (Nearby Attractions)
- झाली तालाब – मंदिर के पास स्थित यह तालाब मन को शांति देता है।
- रतलाम किला – ऐतिहासिक महत्व का स्थल, मंदिर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित।
- हनुमान ताल मंदिर – रतलाम का एक और प्रमुख धार्मिक स्थल।
- गौरीशंकर मंदिर – सुंदर शिवलिंग और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध।
कैसे पहुँचें (How to Reach)
- रेल द्वारा: रतलाम जंक्शन रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 3 किमी दूर है। स्टेशन से ऑटो या टैक्सी द्वारा पहुँचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग से: रतलाम शहर के किसी भी हिस्से से मंदिर तक स्थानीय वाहन आसानी से उपलब्ध हैं।
- हवाई मार्ग से: निकटतम हवाई अड्डा इंदौर (लगभग 140 किमी) है, जहाँ से टैक्सी या बस द्वारा रतलाम पहुँचा जा सकता है।
मंदिर जाने का सही समय (Best Time to Visit)
मंदिर दर्शन के लिए सुबह का समय सबसे उत्तम माना जाता है। विशेषकर शारदीय नवरात्रि और वसंत नवरात्रि के दौरान यहाँ का वातावरण अद्भुत भक्ति-भाव से भरा होता है। मौसम की दृष्टि से अक्टूबर से फरवरी का समय सबसे उपयुक्त है।
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ध्यान देने योग्य बातें (Important Tips)
- मंदिर में प्रवेश से पहले जूते-चप्पल बाहर ही उतारें।
- श्रद्धा और शांति बनाए रखें, मोबाइल फोन साइलेंट पर रखें।
- प्रसाद व पूजा सामग्री मंदिर परिसर में ही उपलब्ध होती है।
- हुई भीड़ के समय बुजुर्गों और बच्चों का विशेष ध्यान रखें।
- तालाब के आसपास सफाई बनाए रखना भक्तों का कर्तव्य है।
पूर्ण पता (Full Address)
कलिका माता मंदिर
आनंद कॉलोनी, शास्त्री नगर,
रतलाम – 457001, मध्य प्रदेश, भारत
दर्शन का समय: सुबह 5:00 AM से रात 9:00 PM तक
आरती समय: सुबह 5:00 AM और शाम 6:00 PM
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