सूर्य देव को वेदों में चक्षु (नेत्र), आत्मा और प्रकाश स्वरूप माना गया है। वे केवल तेजस्वी ग्रह नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड की ऊर्जा के आधार हैं। ऋषियों द्वारा रचित यह सूर्य ग्रह स्तोत्र एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो सूर्यदेव की महिमा, रूप, शक्ति और उनके त्रैलोक्य व्यापी प्रभाव का गुणगान करता है।
इस स्तोत्र का नित्य प्रात:काल पाठ करने से न केवल आत्मबल और शारीरिक ऊर्जा प्राप्त होती है, बल्कि यह शत्रु, रोग, भय, आलस्य और दुर्भाग्य को दूर करने वाला भी माना गया है। इसके मंत्रात्मक श्लोक वेदों, यजुर्वेद और सामवेद की छाया लिए हुए हैं जो इसकी आध्यात्मिक शक्ति को और भी प्रभावशाली बनाते हैं।
सूर्य ग्रह से संबंधित कष्टों को शांति देने, नवग्रह दोष को शांत करने और विशेषकर स्वास्थ्य, आत्मविश्वास, प्रतिष्ठा एवं सफलता के लिए यह स्तोत्र अत्यंत उपयोगी माना गया है।
सूर्य ग्रह स्तोत्र
Surya Graha Stotra
प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषी ।
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यचिन्त्यरूपम् ।। 1 ।।
प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाऽमनोभि
ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैनतमर्चितं च ।
वृष्टि प्रमोचन विनिग्रह हेतुभूतं
त्रैलोक्य पालनपरंत्रिगुणात्मकं च ।। 2 ।।
प्रातर्भजामि सवितारमनन्तशक्तिं
पापौघशत्रुभयरोगहरं परं चं ।
तं सर्वलोककनाकात्मककालमूर्ति
गोकण्ठबंधन विमोचनमादिदेवम् ।। 3 ।।
ॐ चित्रं देवानामुदगादनीकं
चक्षुर्मित्रस्य वरुणस्याग्ने: ।
आप्रा धावाप्रथिवी अन्तरिक्षं
सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्र्व ।। 4 ।।
सूर्यो देवीमुषसं रोचमानां
मत्योन योषामभ्येति पश्र्वात् ।
यत्रा नरो देवयन्तो युगानि
वितन्वते प्रति भद्राय भद्रम् ।। 5 ।।
।। इति सूर्य ग्रह स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
सूर्य ग्रह स्तोत्र हिंदी अनुवाद सहित (Surya Graha Stotra with Hindi Translation)
प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषी ।
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यचिन्त्यरूपम् ।। 1 ।।
हिंदी अर्थ:
प्रात:काल मैं उस श्रेष्ठ सविता (सूर्य देव) के दिव्य स्वरूप का स्मरण करता हूँ, जिनका शरीर वेदों के ऋचाओं, यजु: मंत्रों और साम गानों से युक्त है। जिनकी किरणें इस सृष्टि की उत्पत्ति का कारण हैं और जो ब्रह्म स्वरूप, अदृश्य तथा अचिन्त्य रूप वाले हैं।
प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाऽमनोभि
ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैनतमर्चितं च ।
वृष्टि प्रमोचन विनिग्रह हेतुभूतं
त्रैलोक्य पालनपरंत्रिगुणात्मकं च ।। 2 ।।
हिंदी अर्थ:
प्रात:काल मैं सूर्य देव को तन और मन से नमस्कार करता हूँ, जिनकी पूजा ब्रह्मा, इन्द्र और अन्य देवता भी करते हैं। जो वर्षा करने, रोकने, और नियंत्रण करने के हेतु हैं तथा तीनों लोकों की रक्षा करने वाले त्रिगुणस्वरूप भगवान हैं।
प्रातर्भजामि सवितारमनन्तशक्तिं
पापौघशत्रुभयरोगहरं परं चं ।
तं सर्वलोककनाकात्मककालमूर्ति
गोकण्ठबंधन विमोचनमादिदेवम् ।। 3 ।।
हिंदी अर्थ:
प्रात:काल मैं उस अनंत शक्ति वाले सविता (सूर्य देव) की उपासना करता हूँ, जो पापों, शत्रुओं, भय और रोगों का नाश करते हैं। जो समस्त लोकों की आत्मा, कालरूप और गो के गले के बंधनों को काटने वाले आदि देव हैं।
ॐ चित्रं देवानामुदगादनीकं
चक्षुर्मित्रस्य वरुणस्याग्ने: ।
आप्रा धावाप्रथिवी अन्तरिक्षं
सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्र्व ।। 4 ।।
हिंदी अर्थ:
वह अद्भुत सूर्य देवताओं के मुखमंडल की तरह उदय हुए हैं। वे मित्र, वरुण और अग्नि के समान दृष्टि वाले हैं। वे पृथ्वी और आकाश को प्रकाशित करते हैं। सूर्य सम्पूर्ण चराचर जगत की आत्मा हैं।
सूर्यो देवीमुषसं रोचमानां
मत्योन योषामभ्येति पश्र्वात् ।
यत्रा नरो देवयन्तो युगानि
वितन्वते प्रति भद्राय भद्रम् ।। 5 ।।
हिंदी अर्थ:
सूर्यदेव, देवी उषा (प्रभात) को प्रकाशित करते हुए, जैसे कोई नववधू अपने पति के पास आती है, वैसे ही पूर्व दिशा से प्रकट होते हैं। जहां देवतुल्य लोग युगों से भलाई के लिए कार्य करते हैं, वहीं सूर्य भी कल्याण हेतु अपनी ऊर्जा फैलाते हैं।
।। इति सूर्य ग्रह स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
सूर्य ग्रह स्तोत्र के लाभ (Benefits)
- स्वास्थ्य लाभ:
नियमित पाठ से नेत्र रोग, त्वचा रोग, हृदय संबंधी समस्याएं और कमजोरी जैसे शारीरिक कष्टों से राहत मिलती है। - मानसिक शक्ति व आत्मबल:
यह स्तोत्र आत्मविश्वास, साहस और मनोबल को बढ़ाता है। नकारात्मकता और भय का नाश करता है। - आत्मिक उन्नति:
यह स्तोत्र सूर्य देव को ब्रह्मा, विष्णु और शिव के त्रिगुण रूप में पूजता है, जिससे साधक का ध्यान, ध्यानशीलता और आध्यात्मिक जागृति बढ़ती है। - पितृ दोष व ग्रह दोष शांति:
सूर्य ग्रह संबंधी दोष, कुंडली के अशुभ प्रभाव (जैसे पितृ दोष या सूर्य की नीच स्थिति) में इसका पाठ विशेष फलदायक होता है। - प्रतिष्ठा व सफलता:
सूर्य आत्मा और तेज का प्रतीक हैं — इसलिए यह स्तोत्र सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, राजकीय सफलता और नेतृत्व के गुण प्रदान करता है।
सूर्य ग्रह स्तोत्र पाठ विधि (Vidhi)
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें।
- अपने सामने सूर्य देव का चित्र, तांबे का सूर्य यंत्र या दीपक रखें।
- “ॐ घृणि: सूर्याय नमः” मंत्र से ध्यान करें।
- इसके बाद पूरे मन से सूर्य ग्रह स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के बाद “ॐ आदित्याय नमः” का 11 बार जप करें और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
जाप का उपयुक्त समय (Best Time for Chanting)
- प्रात:काल (सुबह 6 बजे से पहले):
सबसे शुभ समय। जब सूर्य उदय हो रहा हो, उस समय इसका पाठ करने से अधिकतम लाभ मिलता है। - विशेष दिन:
रविवार, सप्तमी तिथि (विशेषकर रथ सप्तमी), या जब जन्मकुंडली में सूर्य कमजोर हो। - नित्य जाप की संख्या:
1, 3, या 5 बार — श्रद्धा और समय के अनुसार।