“श्रीकृष्ण शरणं ममः” का अर्थ है — “भगवान श्रीकृष्ण ही मेरी एकमात्र शरण हैं।” यह मंत्र अथवा स्तोत्र पूर्ण समर्पण, प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह वाक्य हर उस भक्त की आत्मा की पुकार है, जो जीवन के संघर्षों में ईश्वर की छाया चाहता है।
भगवान श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं। उनका जन्म मथुरा में देवकी और वासुदेव के घर हुआ तथा लालन-पालन गोकुल में नंद-यशोदा के घर। बाल्यकाल में वे गोपाल के रूप में, और युवावस्था में रास रचैया बनकर लोक कल्याण के लिए प्रकट हुए। उन्होंने महाभारत में अर्जुन को भगवद्गीता का ज्ञान दिया और धर्म की पुनः स्थापना की।
श्रीकृष्ण के विविध रूप — जैसे बालकृष्ण, माखनचोर, गोविंद, गिरिधारी, रासविलासी, द्वारकाधीश — भारतीय भक्तों के हृदय में विशेष स्थान रखते हैं। उनके बालरूप ‘लड्डू गोपाल’ से लेकर राजसी स्वरूप ‘जगन्नाथ’ तक, वे हर भक्त के भीतर बसे हुए हैं।
श्रीकृष्ण शरणं ममः
Shri Krishna Sharanam Mamah
।। श्रीकृष्ण एव शरणं मम, श्रीकृष्ण एव शरणम् ।।
(ध्रुवपद)
गुणमय्येषा न यत्र माया न च जनुरपि मरणम्।
यद्यतयः पश्यन्ति समाधौ परममुदाभरणम् ॥1॥
यद्धेतोर्निवहन्ति बुधा ये जगति सदाचरणम्।
सर्वापद्भ्यो विहितं महतां येन समुद्धरणम् ॥2॥
भगवति यत्सन्मतिमुद्वहतां ह्रदयतमोहरणम्।
हरिपरमा यद्धजन्ति सततं निषेव्य गुरुचरणम् ॥3॥
असुरकुलक्षतये कृतममरैर्यस्य सदादरणम्।
भुवनतरुं धत्ते यन्निखिलं विविधविषयपर्णम् ॥4॥
अवाप्य यद्भूयोऽच्युतभक्ता न यान्ति संसरणम्।
कृष्णलालजीद्विजस्य भूयात्तदघहरस्मरणम् ॥5॥
।। इति श्रीकृष्ण शरणं ममः सम्पूर्णम् ।।
श्रीकृष्ण शरणं ममः — हिंदी अनुवाद
Shri Krishna Sharanam Mamah – Hindi Translation
।। श्रीकृष्ण ही मेरी शरण हैं, श्रीकृष्ण ही मेरी शरण हैं ।।
(ध्रुवपद)
1.
जहाँ केवल गुणों से भरी चेतना है, न माया है,
और न जन्म है, न मृत्यु —
जिसे योगीजन ध्यान में परम आभूषण रूप में देखते हैं।
2.
जिसके कारण ज्ञानी पुरुष संसार में
सदा सदाचरण करते हैं,
जो सभी संकटों से रक्षा करता है
और महापुरुषों के उद्धार का कारण बनता है।
3.
जो भगवान की शुभ बुद्धि प्रदान करता है
और हृदय के अंधकार को हरता है,
जिसे परम भक्तजन सदा भजते हैं
और गुरुजनों के चरणों की सेवा करते हैं।
4.
जिसका देवताओं द्वारा सदैव आदर किया गया है
असुरों के नाश हेतु,
जो समस्त लोकों का वृक्ष है
और अनेक विषयों की शाखाओं से भरा हुआ है।
5.
जिसकी प्राप्ति के पश्चात अच्युत (कृष्ण) के भक्त
फिर कभी संसार के चक्र में नहीं पड़ते,
श्रीकृष्णलालजी द्विज द्वारा रचित यह स्मरण
सभी पापों का नाश करने वाला हो।
।। इस प्रकार श्रीकृष्ण शरणं ममः सम्पूर्ण हुआ ।।
श्रीकृष्ण शरणं ममः जप के लाभ (Benefits of chanting Shri Krishna Sharanam Mamah):
- यह मंत्र मन को स्थिर, हृदय को शांत और आत्मा को शुद्ध करता है।
- जो स्त्री-पुरुष संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उन्हें लाभ मिलता है।
- विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं।
- यह स्तोत्र दाम्पत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ाता है।
- आत्मबल, विश्वास और आत्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
- सभी प्रकार के पाप, दोष, भय और तनाव समाप्त हो जाते हैं।
किन्हें करना चाहिए यह पाठ (Who should do this lesson):
- जो भक्त अपने जीवन में भक्ति, शांति और सुख चाहते हैं।
- जो संतान सुख, वैवाहिक सफलता, अथवा आध्यात्मिक उत्थान की कामना रखते हों।
- स्त्रियाँ, पुरुष, युवा— सभी इसके पाठ से लाभान्वित हो सकते हैं।
- यह स्तोत्र विशेष रूप से प्रातःकाल स्नान कर, भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष श्रद्धा से जपें।
नियमित श्रद्धा से “श्रीकृष्ण शरणं ममः” का स्मरण करने से जीवन में श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है, और हर संकट सहजता से टल जाते हैं।
।। श्रीकृष्ण शरणं ममः ।।
।। हरि: ओम् ।।