शिवाष्टकम स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने वाला अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। भगवान शिव को प्रसन्न करना अत्यंत सरल है, और जब वे प्रसन्न हो जाते हैं तो अपने भक्तों के सभी दुखों का अंत कर देते हैं। उनकी कृपा से जीवन के सभी कष्टों, दुखों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है तथा आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। भगवान शिव सब कुछ नियंत्रित करते हैं और समस्त सृष्टि में विद्यमान हैं। वे सूर्य, चंद्रमा, वायु, यज्ञ, जल और पृथ्वी — सभी में निवास करते हैं। समस्त वेद और ऋषि-मुनि उनकी आराधना करते हैं।
शास्त्रों, वेदों और पुराणों में भगवान शिव की महिमा का विस्तार से वर्णन है। वे त्रयम्बक, निराकार, ओंकार और लिंग रूप में पूजनीय हैं। यह कहा गया है कि जो भक्त पवित्र मन से स्नान करके, स्वच्छ श्वेत वस्त्र पहनकर, शिव मंदिर में बेलपत्र, गाय का दूध, चंदन, फूल, चावल, फल आदि अर्पित करता है — और इस स्तोत्र का श्रद्धा से पाठ करता है, उसे शिव शंभू की विशेष कृपा प्राप्त होती है। वे उसे जीवन की हर कठिनाई से जूझने की शक्ति और प्रकाश प्रदान करते हैं।
शिवाष्टकम स्तोत्र हिंदी पाठ
Shivashtakam Stotra in Hindi
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं
जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम्।
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 1 ॥
गले रुण्ड मालं तनौ सर्पजालं
महाकाल कालं गणेशादि पालम्।
जटाजूट गङ्गोत्तरङ्गैर्विशालं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 2 ॥
मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं
महा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम्।
अनादिंह्यपारं महा मोहमारं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 3 ॥
वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासं
महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम्।
गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 4 ॥
गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहं
गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम्।
परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 5 ॥
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं
पदाम्भोज नम्राय कामं ददानम्।
बली वर्धमानं सुराणां प्रधानं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 6 ॥
शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रं
त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम्।
अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 7 ॥
हरं सर्पहारं चिता भूविहारं
भवं वेदसारं सदा निर्विकारं।
श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 8 ॥
स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणे
पठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम्।
सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रं
विचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति ॥ 9 ॥
॥ इति शिवाष्टकम स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
शिवाष्टकम स्तोत्र का हिंदी अनुवाद
Shivashtakam Stotra Hindi Translation
मैं उन प्रभु शिव का गुणगान करता हूँ – जो प्राणों के स्वामी, सर्वव्यापक, विश्वनाथ, जगत के नाथ, आनंद देने वाले, वर्तमान-भविष्य और भूत के स्वामी, भूतों के अधिपति, शिव, शंकर, शम्भु और ईशान हैं। ॥ 1 ॥
जिनके गले में मुण्डों की माला है, शरीर पर साँपों का जाल सुशोभित है, जो महाकाल के भी काल हैं, गणेश आदि देवों के रक्षक हैं, जिनकी जटाओं से गंगा की लहरें प्रवाहित होती हैं – ऐसे विशाल स्वरूप शिव की मैं स्तुति करता हूँ। ॥ 2 ॥
जो आनंद के स्रोत हैं, अलंकारों से विभूषित हैं, विशाल ब्रह्मांड के स्वामी हैं, जिनका श्रृंगार भस्म है, जो आदि और अंत से रहित हैं, असीम हैं और अज्ञान रूपी मोह को नष्ट करने वाले हैं – ऐसे शिव की मैं वंदना करता हूँ। ॥ 3 ॥
जो वट वृक्ष के नीचे निवास करते हैं, जिनकी हँसी अत्यंत प्रचण्ड है, जो बड़े-बड़े पापों का नाश करते हैं और सदैव प्रकाशित रहते हैं, जो पर्वतराज के स्वामी हैं, गणेश और सभी देवताओं के भी ईश्वर हैं – मैं ऐसे शिव का स्तवन करता हूँ। ॥ 4 ॥
जिन्होंने पर्वतराज हिमालय की पुत्री (पार्वती) को अपने आधे शरीर में स्थान दिया है, जो कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं, जो सदैव संकट में पड़े हुए भक्तों के घर में पधारते हैं, जो परब्रह्म हैं और ब्रह्मा आदि देवता भी जिनकी वंदना करते हैं – मैं उन शिव की स्तुति करता हूँ। ॥ 5 ॥
जिनके हाथों में कपाल और त्रिशूल है, जो चरणों में झुके हुए भक्तों को इच्छित फल देते हैं, जो बलवान हैं और देवताओं के नेता हैं – मैं उन शिव, शंकर, शम्भु, ईशान की वंदना करता हूँ। ॥ 6 ॥
जिनका शरीर शरद ऋतु के चंद्रमा की तरह उज्ज्वल है, जो गणों को आनंद देने वाले हैं, जिनकी तीन आँखें हैं, जो पवित्र हैं, धन के देवता कुबेर के मित्र हैं, जिनकी पत्नी पार्वती हैं, जो सदैव पुण्य आचरण वाले हैं – मैं ऐसे शिव की स्तुति करता हूँ। ॥ 7 ॥
जो सर्पों की माला धारण करते हैं, चिता भूमि में विचरण करते हैं, जो संसार के सार (तत्व) हैं, सदा अचल रहते हैं, श्मशान में वास करते हैं और कामदेव को भस्म कर देने वाले हैं – मैं ऐसे शिव की वंदना करता हूँ। ॥ 8 ॥
जो व्यक्ति त्रिशूल धारण करने वाले प्रभु शिव के इस स्तोत्र रूपी रत्न को प्रातःकाल श्रद्धा से पढ़ता है, वह इस लोक में उत्तम पुत्र, उत्तम अन्न, उत्तम मित्र, उत्तम पत्नी प्राप्त करता है और मोक्ष को भी प्राप्त करता है। ॥ 9 ॥
॥ इति शिवाष्टकम स्तोत्र का हिंदी अनुवाद सम्पूर्णम् ॥
शिवाष्टकम स्तोत्र के लाभ (Benefits of Shivashtakam Stotra):
- इस स्तोत्र का नियमित जप साधक को गहन आध्यात्मिक अनुभूति की अवस्था में ले जाता है, जिससे चित्त शुद्ध होता है और मन को शांति मिलती है।
- भगवान शिव को शीघ्र प्रसन्न करने वाला यह स्तोत्र भाग्य को भी बदलने की क्षमता रखता है। यहाँ तक कि निश्चित मृत्यु को भी यह टाल सकता है।
- जो व्यक्ति किसी रोग से पीड़ित है, उसे शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होता है।
- यदि कोई अपने पूर्व जन्म के कर्मों से परेशान है, तो यह स्तोत्र उस कर्मफल के प्रभाव को भी नष्ट कर सकता है।
- नियमित पाठ करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता आती है।
किन लोगों को इसका पाठ करना चाहिए (Who should read it):
- जिन्हें जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा की कमी महसूस होती है।
- जिनका स्वास्थ्य लंबे समय से ठीक नहीं है या जो मानसिक तनाव से ग्रस्त हैं।
- जिनकी कार्यक्षमता, आत्मविश्वास या भाग्य प्रभावित हो चुका है।
- जो अपने कर्मों या दुर्भाग्य से मुक्ति चाहते हैं।