शनि स्तोत्र हिन्दू धर्म में अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली स्तोत्रों में से एक है, जिसे शनि देव को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धा से पढ़ा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह को न्यायाधीश का स्थान प्राप्त है, जो व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। यह ग्रह धीमी गति से चलता है और जिस भी राशि में आता है वहाँ लगभग ढाई वर्ष तक रहता है। जब किसी जातक की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैया आती है, तब अनेक प्रकार के मानसिक, शारीरिक, पारिवारिक और आर्थिक संकट उत्पन्न हो सकते हैं।
शनि स्तोत्र का नियमित और श्रद्धा से पाठ करने से शनि के कुप्रभावों से मुक्ति मिलती है और जीवन में संतुलन, धैर्य, न्याय और स्थिरता आती है।
शनि स्तोत्र (Shani Stotra)
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।। 1 ।।
नमो निर्मासदेहाय दिर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्काय भयाक्रते ।। 2 ।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्ने च वै पुन: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्राय ते नम: ।। 3 ।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्षाय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय करालिने ।। 4 ।।
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुखाय ते नम: ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्कराऽभयदाय च ।। 5 ।।
अधोद्रष्टे नमस्तेऽस्तु संवर्तकाय ते नम: ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ।। 6 ।।
तपसा दग्ध देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ।। 7 ।।
ज्ञानचक्षुष्मते तुभ्यं काश्यपात्मजसूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ।। 8 ।।
देवासुरमनुष्याश्य सिद्धविद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति च मूलतः ।। 9 ।।
प्रसादं कुरु मे देव वरार्होऽस्मात्युपात्रत: ।
मया स्तुत: प्रसन्नास्य: सर्व सौभाग्य दायक: ।। 10 ।।
।। इति शनि स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
शनि स्तोत्र हिंदी अनुवाद
Shani Stotra – Hindi Translation
हे कृष्णवर्ण (काले रंग वाले), नीलवर्ण और भगवान शंकर के समान स्वरूप वाले शनिदेव,
कालाग्नि (प्रलय की अग्नि) और यमराज के समान स्वरूप वाले आपको नमस्कार है।
।। 1 ।।
जिनका शरीर मांसरहित (हड्डी-मात्र), लम्बी जटाएं और बड़ी दाढ़ी है,
बड़े-बड़े नेत्रों वाले, सूखे शरीर वाले, और भय उत्पन्न करने वाले हैं — आपको नमस्कार है।
।। 2 ।।
जिनका शरीर पुष्ट है, रोम (बाल) मोटे और घने हैं,
लंबे, सूखे शरीर और काल-दंत (मृत्यु देने वाले दांत) वाले — आपको नमस्कार है।
।। 3 ।।
गहरे गड्ढे जैसे नेत्रों वाले, जिन पर देखना भी कठिन है — आपको नमस्कार है,
भयंकर, रौद्र रूपधारी, भयावह और विकराल स्वरूप वाले आपको नमस्कार है।
।। 4 ।।
सर्वभक्षी (सब कुछ खाने वाले), बलशाली मुख वाले आपको नमस्कार है,
हे सूर्यपुत्र, हे भास्करपुत्र, भय से मुक्ति देने वाले देव! आपको नमस्कार है।
।। 5 ।।
जो नीचे दृष्टि रखते हैं (नीचे देखने वाले हैं), संहार करने वाले हैं — आपको नमस्कार है,
धीमे चलने वाले, निस्त्रिंश (तीव्र तलवार वाले) देव को मैं नमस्कार करता हूँ।
।। 6 ।।
तपस्या द्वारा जला हुआ शरीर रखने वाले, सदा योग में लीन रहने वाले,
हमेशा भूखे रहने वाले, अतृप्त (कभी तृप्त न होने वाले) — आपको नमस्कार है।
।। 7 ।।
जिनके पास ज्ञान की दृष्टि है, जो कश्यप ऋषि के पुत्र हैं,
प्रसन्न होने पर राज्य प्रदान करते हैं और कुपित होने पर तुरंत छीन लेते हैं।
।। 8 ।।
देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध, विद्याधर, नाग —
आपकी दृष्टि में आने मात्र से सभी मूल रूप से नष्ट हो जाते हैं।
।। 9 ।।
हे देव! मुझ पर कृपा करें, क्योंकि मैं योग्य पात्र हूँ,
मैंने आपकी स्तुति की है, आप प्रसन्न होकर समस्त सौभाग्य प्रदान करने वाले हैं।
।। 10 ।।
।। इति शनि स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
शनि स्तोत्र के लाभ (Benefits of Shani Stotra)
- शनि स्तोत्र का जाप शनि देव की कृपा प्राप्त करने का अत्यंत सरल और प्रभावी माध्यम है।
- यह हमारे पिछले कर्मों के दुष्परिणामों को कम करता है और अच्छे फल प्रदान करता है।
- यह मानसिक तनाव, निराशा और भय को दूर करता है तथा आत्मबल और धैर्य को बढ़ाता है।
- जो लोग शनि की साढ़ेसाती, ढैया या शनि महादशा से पीड़ित हैं, उनके लिए यह स्तोत्र अत्यंत लाभकारी है।
- इसके पाठ से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
- यह व्यक्ति को न्याय, अनुशासन और कर्तव्यबोध के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
कौन कर सकता है शनि स्तोत्र का पाठ? (Who can recite Shani Stotra?)
- जो व्यक्ति अपने जीवन में दुख, बाधा, तनाव और असफलता का सामना कर रहे हों।
- जिनकी कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हो या शनि की साढ़ेसाती चल रही हो।
- जो व्यक्ति आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ाना चाहते हों।
- इसे पुरुष और महिलाएं दोनों श्रद्धापूर्वक कर सकते हैं, विशेषकर शनिवार के दिन इसका पाठ अत्यंत फलदायी होता है।