श्री लक्ष्मी स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली और मंगलकारी स्तोत्र है, जो देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धापूर्वक पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से महालक्ष्मी के विभिन्न रूपों, गुणों और शक्तियों की स्तुति करता है। इसमें देवी के वैभव, करुणा, शक्ति, ज्ञान, और मोक्ष प्रदान करने वाले स्वरूप का विस्तृत वर्णन मिलता है।
यह स्तोत्र “अष्टकम्” रूप में है – अर्थात इसमें आठ मुख्य श्लोक हैं जो देवी लक्ष्मी के स्वरूपों को समर्पित हैं, साथ ही इसके अंत में फलश्रुति (पाठ के लाभ) भी वर्णित हैं। इसमें वर्णित है कि जो साधक श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसे पापों से मुक्ति, सिद्धियों की प्राप्ति, शत्रुओं पर विजय और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
श्री लक्ष्मी स्तोत्र को धन, वैभव, सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से फलदायी माना गया है। यह न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति कराता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
लक्ष्मी स्तोत्र (Lakshmi Stotra)
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि ।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।
सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि ।
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि ।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ।
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी ।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।
श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते ।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर: ।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ।।
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् ।
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित: ।।
त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् ।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ।।
।। इति श्री लक्ष्मी स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
श्री लक्ष्मी स्तोत्र (हिंदी अनुवाद सहित) (Shri Lakshmi Stotra (with Hindi translation))
हे महामाया! आपको नमस्कार है। आप श्रीपीठ पर विराजमान हैं और देवताओं द्वारा पूजित हैं। आपके हाथों में शंख, चक्र और गदा है – हे महालक्ष्मी! आपको नमन है। (1)
आप गरुड़ पर विराजमान हैं, कोलासुर राक्षस का संहार करने वाली हैं। हे देवी! आप समस्त पापों को हरने वाली हैं – हे महालक्ष्मी! आपको नमन है। (2)
आप सर्वज्ञ (सब कुछ जानने वाली) हैं, सभी वर देने वाली हैं। आप दुष्टों के लिए भय पैदा करने वाली और सभी दुःखों का नाश करने वाली हैं – हे महालक्ष्मी! आपको नमन है। (3)
हे देवी! आप सिद्धि और बुद्धि देने वाली हैं। आप भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली हैं। आप मंत्रों से पवित्र हैं – हे महालक्ष्मी! आपको नमन है। (4)
हे देवी! आप आदि और अंत से रहित हैं। आप आदि शक्ति और महेश्वरी हैं। आप योग से उत्पन्न और योग से प्रकट हुई हैं – हे महालक्ष्मी! आपको नमन है। (5)
आप स्थूल, सूक्ष्म और अत्यंत रौद्र रूप में हैं। आप महान शक्ति और विशाल उदर वाली हैं। आप महान पापों को नष्ट करने वाली हैं – हे महालक्ष्मी! आपको नमन है। (6)
हे देवी! आप कमल के आसन पर विराजमान हैं। आप परब्रह्म की स्वरूपिणी, परमेश्वरी और समस्त संसार की माता हैं – हे महालक्ष्मी! आपको नमन है। (7)
हे देवी! आप श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, अनेक आभूषणों से सुसज्जित हैं। आप सम्पूर्ण जगत में स्थित हैं और जगत की माता हैं – हे महालक्ष्मी! आपको नमन है। (8)
जो भी भक्तिभाव से इस महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्र का पाठ करता है, वह सभी सिद्धियों को प्राप्त करता है और सदा राज्य प्राप्त करता है। (9)
जो इसे प्रतिदिन एक बार पढ़ता है, उसके महान पाप नष्ट हो जाते हैं। जो इसे दिन में दो बार पढ़ता है, वह धन-धान्य से भरपूर हो जाता है। (10)
जो इसे प्रतिदिन तीन बार पढ़ता है, उसके महान शत्रु नष्ट हो जाते हैं। महालक्ष्मी सदा प्रसन्न, वरदायिनी और शुभ फल देने वाली बनती हैं। (11)
।। इस प्रकार श्री लक्ष्मी स्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ।।
श्री लक्ष्मी स्तोत्र के लाभ (Benefits)
- धन-समृद्धि की प्राप्ति: इस स्तोत्र के नियमित पाठ से घर में लक्ष्मी जी का वास होता है और धन की वृद्धि होती है।
- विपत्तियों का नाश: जीवन में चल रही आर्थिक परेशानियाँ, कर्ज, और दरिद्रता समाप्त होती हैं।
- शत्रुओं से रक्षा: त्रिकाल पाठ करने पर शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में सुरक्षा मिलती है।
- पापों का क्षय: एककाल पाठ (दिन में एक बार) करने से बड़े-बड़े पाप नष्ट हो जाते हैं।
- मन की शुद्धि और आत्मिक शांति: यह स्तोत्र मानसिक तनाव और बेचैनी को दूर करता है और मन में स्थिरता लाता है।
- राज्य व पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति: यह स्तोत्र पढ़ने वाला व्यक्ति जीवन में उच्च पद और मान-सम्मान प्राप्त करता है।
श्री लक्ष्मी स्तोत्र पाठ विधि (Puja & Path Vidhi)
- स्थान चयन: शांत, स्वच्छ और पवित्र स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- स्नान व शुद्धता: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें, सफेद या पीले वस्त्र शुभ माने जाते हैं।
- दीपक और धूप जलाएं: देवी लक्ष्मी के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- कमल पुष्प या गुलाब अर्पित करें: लक्ष्मी जी को कमल पुष्प बहुत प्रिय हैं।
- संकल्प करें: मानसिक रूप से संकल्प लें कि आप श्रद्धा से स्तोत्र का पाठ कर रहे हैं।
- शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें: श्री लक्ष्मी स्तोत्र का शांत मन से पाठ करें।
- अंत में आरती और प्रार्थना करें: “जय लक्ष्मी माता” की आरती करें और समर्पण भाव रखें।
श्री लक्ष्मी स्तोत्र जप का समय (Best Time to Chant)
पाठ की संख्या | समय | फल |
---|---|---|
एक बार (1 बार) | प्रातः काल | पापों का नाश होता है। |
दो बार (2 बार) | प्रातः और संध्या | धन-धान्य की वृद्धि होती है। |
तीन बार (3 बार) | प्रातः, मध्यान्ह और संध्या | शत्रुओं का नाश, लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। |
विशेष दिवस:
- शुक्रवार को लक्ष्मी जी का प्रिय दिन माना जाता है, इस दिन पाठ विशेष फलदायी होता है।
- दीपावली, धनतेरस, अक्षय तृतीया, कोजागरी पूर्णिमा आदि तिथियों पर पाठ करना अत्यंत शुभ होता है।