श्री ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है जो विशेष रूप से ऋण मुक्ति (debt relief) के लिए श्री गणपति की उपासना हेतु रचा गया है। इस स्तोत्र का उल्लेख शास्त्रों में आता है और इसके ऋषि स्वयं भगवान शुक्राचार्य माने गए हैं। यह स्तोत्र भगवान गणेश के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन करते हुए, उन्हें समर्पित होता है जो साधक को आर्थिक संकट, कर्ज़, रुकावटों और जीवन में आने वाले समस्त विघ्नों से मुक्ति प्रदान करता है।
इस स्तोत्र में गणपति जी के विविध रंगों, वस्त्रों, पुष्पों और स्वरूपों का ध्यान कर उनकी उपासना की जाती है। हर श्लोक एक विशेष रंग, गुण और भाव के साथ ऋण मुक्ति की कामना करता है।
श्री ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र (Rinmochan Maha Ganapati Stotram)
विनियोग –
ॐ अस्य श्रीऋण-मोचन महा-गणपति-स्तोत्र-मन्त्रस्य भगवान् शुक्राचार्य ऋषिः, ऋण-मोचन-गणपतिः देवता, मम-ऋण-मोचनार्थं जपे विनियोगः।
ऋष्यादि-न्यास –
भगवान् शुक्राचार्य ऋषये नमः शिरसि,
ऋण-मोचन-गणपति देवतायै नमः हृदि,
मम-ऋण-मोचनार्थे जपे विनियोगाय नमः अञ्जलौ।
श्री ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र
ॐ स्मरामि देव-देवेश वक्र-तुण्डं महा-बलम्।
षडक्षरं कृपा-सिन्धुं, नमामि ऋण-मुक्तये।। 1 ।।
महा-गणपतिं देवं, महा-सत्त्वं महा-बलम्।
महा-विघ्न-हरं सौम्यं, नमामि ऋण-मुक्तये।। 2 ।।
एकाक्षरं एक-दन्तं, एक-ब्रह्म सनातनम्।
एकमेवाद्वितीयं च, नमामि ऋण-मुक्तये।। 3 ।।
शुक्लाम्बरं शुक्ल-वर्णं, शुक्ल-गन्धानुलेपनम्।
सर्व-शुक्लमयं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये।। 4 ।।
रक्ताम्बरं रक्त-वर्णं, रक्त-गन्धानुलेपनम्।
रक्त-पुष्पैः पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।। 5 ।।
कृष्णाम्बरं कृष्ण-वर्णं, कृष्ण-गन्धानुलेपनम्।
कृष्ण-पुष्पैः पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।। 6 ।।
पीताम्बरं पीत-वर्णं, पीत-गन्धानुलेपनम्।
पीत-पुष्पैः पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।। 7 ।।
नीलाम्बरं नील-वर्णं, नील-गन्धानुलेपनम्।
नील-पुष्पैः पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।। 8 ।।
धूम्राम्बरं धूम्र-वर्णं, धूम्र-गन्धानुलेपनम्।
धूम्र-पुष्पैः पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।। 9 ।।
सर्वाम्बरं सर्व-वर्णं, सर्व-गन्धानुलेपनम्।
सर्व-पुष्पैः पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।। 10 ।।
भद्र-जातं च रूपं च, पाशांकुश-धरं शुभम्।
सर्व-विघ्न-हरं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये।। 11 ।।
फलश्रुति –
यः पठेत् ऋण-हरं स्तोत्रं, प्रातःकाले सुधी नरः।
षण्मासाभ्यन्तरे चैव, ऋणच्छेदो भविष्यति।।
।। इति श्री ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र संपूर्णम् ।।
श्री ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र – हिंदी अनुवाद
(Rinmochan Maha Ganapati Stotram – Hindi Translation)
विनियोग –
ॐ इस श्री ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र मंत्र के ऋषि भगवान शुक्राचार्य हैं, देवता ऋणमोचन गणपति हैं, और इसका उपयोग मेरे ऋणों के निवारण के लिए किया जाता है।
ऋष्यादि-न्यास –
भगवान शुक्राचार्य ऋषि को सिर में नमस्कार,
ऋणमोचन गणपति देवता को हृदय में नमस्कार,
मेरे ऋण निवारण के लिए जप के विनियोग को हाथों में नमस्कार।
श्री ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र – अनुवाद
ॐ मैं स्मरण करता हूँ देवों के देव, वक्रतुण्ड, महान बलशाली का।
जो छः अक्षरों का मंत्रस्वरूप हैं, कृपा के सागर हैं – उन्हें मैं ऋण से मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।। 1 ।।
जो देव महागणपति हैं, महान तेजस्वी हैं, महान बलशाली हैं।
जो महान विघ्नों को हरने वाले और सौम्य स्वरूप हैं – उन्हें मैं ऋण से मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।। 2 ।।
जो एकाक्षरी हैं, एकदंत हैं, सनातन ब्रह्म हैं।
जो एकमात्र और अद्वितीय हैं – उन्हें मैं ऋण से मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।। 3 ।।
जो श्वेत वस्त्रधारी हैं, श्वेत वर्ण के हैं, श्वेत गंध से सुगंधित हैं।
जो सम्पूर्ण रूप से श्वेत हैं – ऐसे देव को मैं ऋण से मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।। 4 ।।
जो लाल वस्त्रधारी हैं, लाल वर्ण के हैं, लाल गंध से सुगंधित हैं।
जो लाल पुष्पों से पूजित हैं – उन्हें मैं ऋण से मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।। 5 ।।
जो काले वस्त्रधारी हैं, काले वर्ण के हैं, काले गंध से सुगंधित हैं।
जो काले पुष्पों से पूजित हैं – उन्हें मैं ऋण से मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।। 6 ।।
जो पीले वस्त्रधारी हैं, पीले वर्ण के हैं, पीले गंध से सुगंधित हैं।
जो पीले पुष्पों से पूजित हैं – उन्हें मैं ऋण से मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।। 7 ।।
जो नीले वस्त्रधारी हैं, नीले वर्ण के हैं, नीले गंध से सुगंधित हैं।
जो नीले पुष्पों से पूजित हैं – उन्हें मैं ऋण से मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।। 8 ।।
जो धूसर वस्त्रधारी हैं, धूसर वर्ण के हैं, धूम्र गंध से सुगंधित हैं।
जो धूम्र पुष्पों से पूजित हैं – उन्हें मैं ऋण से मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।। 9 ।।
जो सभी प्रकार के वस्त्र, रंग, गंध और पुष्पों से पूजित होते हैं।
ऐसे सर्वरूपधारी देव को मैं ऋण से मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।। 10 ।।
जो शुभ रूपधारी हैं, भद्र जाति के हैं, पाश और अंकुश धारण करते हैं।
जो समस्त विघ्नों का नाश करने वाले हैं – उन्हें मैं ऋण से मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।। 11 ।।
फलश्रुति (फल) –
जो बुद्धिमान मनुष्य इस ऋणहरण स्तोत्र का प्रतिदिन प्रातःकाल पाठ करता है,
उसका छः महीने के भीतर ऋण समाप्त हो जाता है।
।। इस प्रकार श्री ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र पूर्ण हुआ ।।
विशेषताएं:
- इसमें भगवान गणेश के ग्यारह स्वरूपों की स्तुति की गई है।
- हर श्लोक “नमामि ऋण-मुक्तये” (मैं ऋण से मुक्ति के लिए नमन करता हूँ) से समाप्त होता है।
- यह स्तोत्र ऋण, विघ्न, वित्तीय अड़चन, मानसिक चिंता, तथा अवरोधों को दूर करने वाला माना गया है।
श्री ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र के लाभ
(Benefits of Rinmochan Maha Ganapati Stotra)
- 🔷 ऋण मुक्ति में सहायक
– जो व्यक्ति कर्ज़ से परेशान है, उसे इस स्तोत्र के नियमित पाठ से आर्थिक भार से राहत मिलती है। - 🔷 वित्तीय स्थिरता और प्रगति
– यह स्तोत्र आर्थिक अवरोधों को दूर कर व्यापार, नौकरी और धन-संबंधी कार्यों में वृद्धि करता है। - 🔷 विघ्न बाधाओं का नाश
– भगवान गणेश सभी विघ्नों के विनाशक हैं। यह स्तोत्र जीवन में आने वाली अज्ञात बाधाओं को समाप्त करता है। - 🔷 मानसिक चिंता और तनाव में कमी
– जब कर्ज़ और आर्थिक बोझ से मन अशांत होता है, यह स्तोत्र मन को शांति देता है। - 🔷 शुभता और समृद्धि का वर्धन
– गृहस्थ जीवन में शांति, सुख और लक्ष्मी की कृपा बढ़ती है। - 🔷 शुभ योग निर्मित करता है
– यह स्तोत्र ग्रहदोषों से भी मुक्ति दिलाता है, विशेषकर यदि शुक्र और राहु के कारण ऋण की स्थिति बनी हो।
श्री ऋणमोचन स्तोत्र की पाठ विधि
(Vidhi of Path or Chanting)
- पाठ का आरंभ दिन
– किसी भी बुधवार, चतुर्थी तिथि या शुक्ल पक्ष के दिन प्रारंभ करना श्रेष्ठ होता है। - स्थान और स्थिति
– शांत, स्वच्छ और पवित्र स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। - पूजन सामग्री
– गणेश जी की प्रतिमा या चित्र, दूर्वा (घास), मोदक, लाल या पीले फूल, दीपक, धूप, गंध। - दीप-धूप प्रज्वलन के बाद
– विनियोग, ऋष्यादि न्यास करके श्रद्धापूर्वक स्तोत्र का पाठ करें। - नियम
– स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें, जितना संभव हो दैनिक पाठ करें।
– पाठ समाप्ति के बाद भगवान गणेश से ऋण मुक्ति के लिए प्रार्थना करें। - संख्या
– दिन में 1 बार, या यदि अधिक प्रभावी बनाना हो तो 3 बार प्रतिदिन पढ़ें।
पाठ का शुभ समय (Jaap / Path Time)
समय | विवरण |
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प्रातःकाल | सूर्योदय से पूर्व का समय श्रेष्ठ माना जाता है। |
बुधवार को | गणेश जी का वार है, अतः विशेष फलदायी होता है। |
चतुर्थी तिथि | हर माह की चतुर्थी पर पाठ करने से तीव्र फल मिलता है। |
विशेष योग में | जब आर्थिक संकट हो, कर्ज़ चुकाना कठिन हो या ऋणदाताओं से भय हो – तब प्रतिदिन करना चाहिए। |
जो व्यक्ति उक्त “ऋणमोचन स्तोत्र” का नित्य प्रातःकाल पाठ करता है, उसका छः मास में ऋण-निवारण होता है।