राहु स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली वैदिक स्तोत्र है, जो विशेष रूप से राहु ग्रह की शांति, कृपा और अनिष्ट प्रभावों को निवारण हेतु रचा गया है। राहु, नवग्रहों में एक छाया ग्रह माने जाते हैं, जो जीवन में अचानक उत्पन्न होने वाले संकट, मानसिक भ्रम, ग्रहण दोष, कालसर्प योग, और अप्रत्याशित बाधाओं के लिए उत्तरदायी होता है।
इस स्तोत्र में राहु के 25 शक्तिशाली नामों का वर्णन किया गया है, जिनका स्मरण मात्र से राहु जनित दोषों का शमन होता है और साधक को स्वास्थ्य, संतान, धन, मान-सम्मान तथा दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है। यह स्तोत्र राहु के स्वभाव, स्वरूप, शक्तियों और उसके उपासक को प्राप्त होने वाले लाभों का संपूर्ण विवरण देता है।
राहु स्तोत्र का नियमित पाठ न केवल राहु की दशा/महादशा/अंतर्दशा में राहत देता है, बल्कि जीवन में अनावश्यक उलझनों, भय, अपयश, कोर्ट-कचहरी, मानसिक भ्रम, दुर्घटनाओं और शत्रु बाधा जैसी समस्याओं से भी रक्षा करता है।
राहू स्तोत्र (Rahu Stotra)
राहुर्दानवमंत्री च सिंहिकाचित्तनन्दन: ।
अर्धकाय: सदा क्रोधी चन्द्रादित्य विमर्दन: ।। 1 ।।
रौद्रो रूद्रप्रियो दैत्य: स्वर्भानु र्भानुभीतिद: ।
ग्रहराज सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुक: ।। 2 ।।
कालदृष्टि: कालरूप: श्री कण्ठह्रदयाश्रय: ।
बिधुंतुद: सैंहिकेयो घोररूपो महाबल: ।। 3 ।।
ग्रहपीड़ाकरो दंष्टो रक्तनेत्रो महोदर: ।
पंचविंशति नामानि स्म्रत्वा राहुं सदानर: ।। 4 ।।
य: पठेन्महती पीड़ा तस्य नश्यति केवलम् ।
आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ।। 5 ।।
ददाति राहुस्तस्मै य: पठेत स्तोत्र मुत्तमम् ।
सततं पठेत यस्तु जीवेद्वर्षशतं नर: ।। 6 ।।
।। इति राहु स्तोत्र संपूर्णम् ।।
राहु स्तोत्र हिंदी अनुवाद
Rahu Stotra in Hindi Translation
राहु दानवों का मंत्री है और सिंहिका का चित्त प्रसन्न करने वाला पुत्र है।
वह अर्ध शरीर वाला, सदैव क्रोध करने वाला और चंद्र-सूर्य से युद्ध करने वाला है।। 1।।
वह उग्र स्वभाव वाला, रुद्र को प्रिय, दैत्य स्वर्भानु है और सूर्य के लिए भय उत्पन्न करने वाला है।
वह ग्रहों का राजा, अमृतपान करने वाला और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रसित करने की इच्छा रखने वाला है।। 2।।
वह काल दृष्टि वाला, काल स्वरूप, भगवान शिव के कंठ व हृदय में स्थित रहने वाला है।
चंद्रमा को ग्रसित करने वाला, सिंहिका का पुत्र, भयानक रूप वाला और महान पराक्रमी है।। 3।।
वह ग्रहों के कष्ट देने वाला, तीव्र दाँतों वाला, लाल नेत्रों वाला और विशाल पेट वाला है।
जो मनुष्य उसके ये पच्चीस नाम स्मरण करता है, वह राहु से सदैव मुक्त रहता है।। 4।।
जो मनुष्य इस श्रेष्ठ स्तोत्र का पाठ करता है, उसकी बड़ी से बड़ी पीड़ा केवल समाप्त हो जाती है।
उसे उत्तम स्वास्थ्य, अनुपम संतान, लक्ष्मी, अन्न और पशुधन की प्राप्ति होती है।। 5।।
राहु उस व्यक्ति को ये सभी वस्तुएँ देता है जो इस उत्तम स्तोत्र का पाठ करता है।
जो व्यक्ति इसका नियमित पाठ करता है वह सौ वर्षों तक जीवन जीता है।। 6।।
।। इस प्रकार राहु स्तोत्र पूर्ण हुआ ।।
राहु स्तोत्र के लाभ (Benefits of Rahu Stotra)
- राहु दोष शांति – कुंडली में राहु की दशा, महादशा, अंतर्दशा या राहु से संबंधित दोष (जैसे कालसर्प योग, पितृ दोष, ग्रहण योग आदि) से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति और स्पष्ट सोच – राहु भ्रम, मानसिक तनाव, और नकारात्मक सोच के लिए जिम्मेदार होता है। स्तोत्र पाठ से मन शांत और स्थिर होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा – राहु स्तोत्र से टोना-टोटका, बुरी दृष्टि, तांत्रिक बाधा या अदृश्य भय से बचाव होता है।
- कोर्ट-कचहरी, मुकदमे, और विवाद से मुक्ति – राहु न्याय से जुड़े मामलों में अड़चनें पैदा करता है, जिनसे छुटकारा मिलता है।
- राजनीतिक, गुप्त और विदेशी कार्यों में सफलता – राहु विदेश, राजनीति, रहस्य और तकनीक का कारक है। स्तोत्र पाठ से इन क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
- अचानक होने वाली घटनाओं की रोकथाम – दुर्घटनाएं, धोखा, आकस्मिक हानि आदि से रक्षा करता है।
- लंबी उम्र और संतान सुख – इस स्तोत्र में बताया गया है कि पाठक को उत्तम आरोग्य, संतान, धन, पशु और 100 वर्ष की आयु का आशीर्वाद मिलता है।
राहु स्तोत्र पाठ विधि (Vidhi of Rahu Stotra)
यह विधि सरल है, परंतु श्रद्धा और नियम आवश्यक हैं।
- दिन: किसी भी दिन आरंभ किया जा सकता है, परंतु शनिवार और राहु काल विशेष शुभ माने जाते हैं।
- स्थान: शांत व स्वच्छ स्थान चुनें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- स्नान एवं वस्त्र: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र (अधिमानतः नीले/काले) धारण करें।
- आसन: कुश, ऊन या कंबल का आसन प्रयोग करें।
- दीपक और धूप: सरसों के तेल का दीपक और गंधयुक्त धूप लगाएं।
- राहु स्तोत्र का पाठ:
- एक बार या तीन बार या ग्यारह बार पढ़ सकते हैं।
- पाठ से पहले “ॐ रां राहवे नमः” मंत्र से नमस्कार करें।
- पाठ के बाद राहु ग्रह से क्षमा प्रार्थना करें और प्रसन्नता से धन्यवाद ज्ञापित करें।
- नैवेद्य: नीले फूल, उड़द की दाल, नारियल, काले तिल आदि राहु को अर्पित करें।
राहु स्तोत्र जप / पाठ का उचित समय (Best Time for Chanting)
समय | विवरण |
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रोजाना | सुबह सूर्योदय से पूर्व या रात 8 बजे बाद |
राहु काल | हर दिन का राहु काल (लगभग 1.5 घंटे) – विशेष प्रभावशाली |
शनिवार | राहु का दिन माना जाता है – विशेष लाभकारी |
अमावस्या / ग्रहण | तांत्रिक दृष्टि से अति शुभ – विशेष रक्षा प्राप्त होती है |
कालसर्प योग काल | जब कुंडली में कालसर्प दोष हो, उस अवधि में नियमित रूप से करें |
सावधानियाँ (Precautions):
- स्तोत्र का पाठ करते समय श्रद्धा, नियम और ध्यान आवश्यक है।
- राहु से संबंधित अशुद्ध वस्त्र, नशा, मांस, झूठ आदि से बचें।
- पाठ करते समय मोबाइल, वार्तालाप, भोजन आदि से परहेज़ करें।