श्री मारुति स्तोत्र एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली स्तोत्र है जो भगवान हनुमान जी को समर्पित है। यह स्तोत्र विशेष रूप से वाहन दुर्घटनाओं से रक्षा, अचानक आने वाली बाधाओं से मुक्ति, और भूत-प्रेत, पिशाच, ग्रह-बाधा, काले जादू जैसी नकारात्मक शक्तियों से बचाने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। इसमें हनुमान जी को “विचित्रवीर” (अद्भुत पराक्रमी) के रूप में स्तुति की गई है।
इस स्तोत्र का पाठ करते समय साधक भगवान राम की आज्ञा के अंतर्गत हनुमान जी से अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति की प्रार्थना करता है। इसमें न केवल दैहिक, दैविक, भौतिक बाधाओं का निवारण होता है, बल्कि यह साधक को आत्मबल, निर्भयता और शत्रु-विजय का आशीर्वाद भी प्रदान करता है।
यह स्तोत्र तांत्रिक स्वरूप लिए हुए है और इसे अत्यंत श्रद्धा और नियम से पढ़ने पर सर्वत्र विजय, रक्षा, और कार्यक्षमता प्राप्त होती है। विशेष रूप से संकट काल, कोर्ट केस, शत्रु बाधा, या जीवन की कठिन घड़ियों में इसका पाठ संजीवनी बूटी जैसा कार्य करता है।
ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय ।
प्रतापवज्रदेहाय । अंजनीगर्भसंभूताय ।
प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय ।
भूतग्रहबंधनाय । प्रेतग्रहबंधनाय । पिशाचग्रहबंधनाय ।
शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय । काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय ।
ब्रह्मग्रहबंधनाय । ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय । चोरग्रहबंधनाय ।
मारीग्रहबंधनाय । एहि एहि । आगच्छ आगच्छ । आवेशय आवेशय ।
मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय । स्फुर स्फुर । प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय ।
व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन।
शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन । अमुकं मे वशमानय ।
क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय ।
श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय।
चूर्णय चूर्णय खे खे।
श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु।
ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा।
विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु ।
हन हन हुं फट् स्वाहा ॥
एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति ॥
॥ इति श्री मारुति स्तोत्र संपूर्णम् ॥
श्री मारुति स्तोत्र का हिंदी अनुवाद
ॐ नमो भगवते विचित्रवीर हनुमते, प्रलयकाल की अग्नि जैसी चमक वाले को नमस्कार है।
👉 हे हनुमान जी! आप विचित्र पराक्रम वाले हैं, प्रलय की अग्नि की तरह प्रज्वलित हैं, आपको मेरा प्रणाम है।
आप वज्र के समान बलवान शरीर वाले हैं, अंजनी माता के गर्भ से उत्पन्न हुए हैं।
👉 आपका शरीर वज्र के समान कठोर है, और आप माता अंजनी की संतान हैं।
आपका प्रकट हुआ पराक्रम, दैत्य, दानव, यक्ष, राक्षस और सभी प्रकार के बंधनों को तोड़ने वाला है।
👉 आपके बल से सभी बुरी शक्तियाँ भयभीत रहती हैं।
आप भूत, प्रेत, पिशाच और अन्य असुरी बाधाओं को बाँधने की शक्ति रखते हैं।
आप शाकिनी, डाकिनी, काकिनी, कामिनी जैसी स्त्री-रूपी दुष्ट शक्तियों को वश में कर सकते हैं।
आप ब्रह्मग्रह, ब्रह्मराक्षस, चोरग्रह आदि को बाँध सकते हैं।
मारी ग्रह जैसी व्याधियों को रोक सकते हैं।
हे प्रभु! आइए, आइए! आवेश में आइए! मेरे हृदय में प्रवेश कीजिए।
आप मेरे अंदर प्रविष्ट होकर कंपन करें, स्फुरण करें, और सत्य बोलें।
आप शेर, साँप, राजा, स्त्री, सभा और शत्रुओं के चेहरे पर अंकुश लगा सकते हैं।
आप समस्त प्रकार के शत्रुओं और बुराइयों का नाश करने में समर्थ हैं।
लंका के महल को गिराने वाले वीर! अमुक व्यक्ति को मेरे वश में कर दो।
‘क्लीं क्लीं क्लीं’, ‘ह्रीं’, ‘श्रीं’ इन बीज मंत्रों द्वारा राजा को मेरे वश में कर दो।
‘श्रीं’, ‘ह्रीं’, ‘क्लीं’ मंत्रों के द्वारा स्त्रियों को आकर्षित करो, शत्रुओं को मर्दन करो, मार डालो।
उनका चूर्ण बना दो, उड़ाओ!
श्रीरामचंद्र जी की आज्ञा से मेरा कार्य सिद्ध करो, सिद्ध करो।
ॐ ह्रां, ह्रीं, ह्रूं, ह्रैं, ह्रौं, ह्रः, फट् स्वाहा।
हे विचित्रवीर हनुमान! मेरे समस्त शत्रुओं को भस्म कर दो।
हन हन, हुं फट् स्वाहा!
इस स्तोत्र का यदि कोई व्यक्ति १११ बार जप करता है, तो वह अपने सभी शत्रुओं को वश में कर सकता है — इसमें कोई संदेह नहीं।
॥ इति श्री मारुति स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
लाभ (Benefits)
- वाहन दुर्घटनाओं से सुरक्षा – यह स्तोत्र विशेष रूप से वाहन चलाते समय दुर्घटनाओं से रक्षा करता है।
- शत्रु नाश – यह स्तोत्र शत्रुओं को परास्त करने की शक्ति देता है।
- भूत-प्रेत बाधा निवारण – जिन लोगों को प्रेतबाधा, काले जादू, ग्रह दोष आदि से समस्या होती है, उनके लिए यह अत्यंत प्रभावी है।
- साहस और निर्भयता में वृद्धि – हनुमान जी का स्मरण करने से भय दूर होता है और आत्मबल बढ़ता है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश – यह स्तोत्र किसी भी नकारात्मक शक्ति, बाधा या टोने-टोटके को समाप्त करने की क्षमता रखता है।
- कार्य सिद्धि – इसमें ‘रामाज्ञया कार्यसिद्धिं कुरु कुरु’ मंत्र के साथ कार्यों की पूर्ति का संकल्प होता है।
- मानसिक और आत्मिक शांति – मन को शांति, स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
विधि (Puja Vidhi)
- प्रातः या संध्या काल में स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
- अपने पूजन स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति या चित्र रखें।
- दीपक, अगरबत्ती जलाएं और हनुमान जी को लाल फूल, सिंदूर और नैवेद्य (गुड़-चना) अर्पित करें।
- “ॐ श्री हनुमते नमः” का स्मरण करते हुए मन को स्थिर करें।
- श्री मारुति स्तोत्र का पाठ मन से या आवाज में श्रद्धापूर्वक करें।
- पाठ के बाद “हनुमान चालीसा” या “राम नाम” का जाप करें (यदि संभव हो)।
- अंत में हनुमान जी से रक्षा और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
जाप का समय (Best Time to Chant)
- सर्वश्रेष्ठ समय:
– सुबह ब्रह्ममुहूर्त (4:00 AM – 6:00 AM)
– या शाम को सूर्यास्त के बाद (6:00 PM – 8:00 PM) - विशेष दिन:
– मंगलवार और शनिवार को इसका पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
– अमावस्या, पूर्णिमा, और हनुमान जयंती के दिन पाठ करना भी शुभ माना जाता है।