माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र देवी भुवनेश्वरी के महातत्त्व, शक्ति और कृपा का एक अत्यंत प्रभावशाली स्तुति ग्रंथ है। यह स्तोत्र “रुद्रयामल तंत्र” के अंतर्गत भगवान शिव और माता पार्वती के संवाद से लिया गया है। इसमें देवी भुवनेश्वरी के अनेक रूपों, गुणों और शक्तियों का वर्णन करते हुए उनकी उपासना का महत्त्व बताया गया है।
माँ भुवनेश्वरी दस महाविद्याओं में से एक हैं, जिन्हें समस्त ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री शक्ति माना गया है। यह स्तोत्र उनकी कृपा प्राप्त करने, दरिद्रता से मुक्ति पाने, शत्रुओं का नाश करने, रोगों से रक्षा करने और चारों ओर समृद्धि लाने के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।
जो साधक इस स्तोत्र का नित्य श्रद्धा और भक्ति से पाठ करता है, उसे देवी भुवनेश्वरी की कृपा से धन, सुख, विजय और स्वास्थ्य जैसे सभी सांसारिक और आध्यात्मिक लाभ सहज ही प्राप्त होते हैं। यह स्तोत्र विशेषकर उन लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो अपने जीवन में आत्मबल, सुरक्षा और चमत्कारिक उन्नति की कामना रखते हैं।
माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र
अष्टसिद्धिरालक्ष्मी अरुणाबहुरुपिणि
त्रिशूल भुक्कुरादेवी पाशाकुशविदारिणी ॥ १ ॥
खड्गखेटधरादेवी घण्टनि चक्रधारिणी
षोडशी त्रिपुरादेवी त्रिरेखा परमेश्वरी ॥ २ ॥
कौमारी पिंगलाचैव वारीनी जगामोहिनी
दुर्गदेवी त्रिगंधाच नमस्ते शिवनायक ॥ ३ ॥
एवंचाष्टशतनामंच श्लाके त्रिनयभावितं
भक्तये पठेन्नित्यं दारिद्रयं नास्ति निश्चितं ॥ ४ ॥
एकः काले पठेन्नित्यं धनधान्य समाकुलं
द्विकालेयः पठेन्नित्यं सर्व शत्रुविनाशानं ॥ ५ ॥
त्रिकालेयः पठेन्नित्यं सर्व रोग हरम परं
चतुःकाले पठेन्नित्यं प्रसन्नं भुवनेश्वरी ॥ ६ ॥
इति श्री रुद्रयावले ईश्वरपार्वति संवादे
॥ इति माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र (हिंदी अनुवाद)
जो देवी आठों सिद्धियों की दात्री हैं,
जो अरुण वर्ण की अनेक रूपों वाली हैं,
त्रिशूल धारण करने वाली, पाश और अंकुश से संकटों को काटने वाली हैं ॥ १ ॥
जो खड्ग (तलवार) और ढाल धारण करती हैं,
घंटी और चक्र धारण करने वाली हैं,
षोडशी स्वरूपा, त्रिपुरा देवी, तीन रेखाओं वाली परमेश्वरी हैं ॥ २ ॥
जो कौमारी और पिंगला रूप में पूजित हैं,
जो जगत को मोहित करने वाली हैं,
दुर्गा देवी, त्रिगंधा रूपी, हे शिवनायक! आपको नमस्कार है ॥ ३ ॥
इस प्रकार, इस स्तोत्र के आठ सौ नामों के समूह में
त्रिनयन भाव से युक्त यह स्तुति यदि भक्तिपूर्वक नित्य पढ़ी जाए,
तो निर्धनता निश्चित रूप से नहीं रहती ॥ ४ ॥
जो व्यक्ति इसे दिन में एक बार पढ़ता है,
वह धन-धान्य से परिपूर्ण होता है,
जो दिन में दो बार पढ़ता है,
वह अपने समस्त शत्रुओं का नाश कर लेता है ॥ ५ ॥
जो दिन में तीन बार इसका पाठ करता है,
वह समस्त रोगों से मुक्त होता है,
और जो दिन में चार बार इसका पाठ करता है,
उसे माँ भुवनेश्वरी की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है ॥ ६ ॥
इति श्री रुद्रयामले ईश्वर-पार्वती संवाद में
॥ माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र सम्पूर्ण ॥
माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र – लाभ, विधि और जाप का समय
लाभ (Benefits):
- दरिद्रता और अभाव से मुक्ति: इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और घर में धन, धान्य व समृद्धि आती है।
- रोग और शत्रु नाश: यह स्तोत्र शत्रुओं का विनाश करता है तथा सभी रोगों को समाप्त करने में सहायक होता है।
- रक्षात्मक शक्ति: माँ भुवनेश्वरी की कृपा से साधक के चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच बनता है जो नकारात्मक शक्तियों को दूर रखता है।
- मनोवांछित फल की प्राप्ति: श्रद्धा से पाठ करने पर साधक को सौभाग्य, ज्ञान, विवेक और इच्छित वरदान प्राप्त होते हैं।
- मोह, वशीकरण और आकर्षण: माँ भुवनेश्वरी को आकर्षण और वाक् सिद्धि की देवी माना जाता है, अतः यह स्तोत्र वाक् प्रभाव और समाज में सम्मान दिलाता है।
विधि (Puja & Paath Vidhi):
- स्थान: किसी शांत और पवित्र स्थान पर बैठें, घर के पूजा स्थान या माँ के मंदिर में।
- स्नान और शुद्धता: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माँ की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएं।
- माता को लाल फूल, प्रसाद (खीर, फल, मिश्री आदि) अर्पित करें।
- “ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमः” बीज मंत्र का 108 बार जाप करें।
- फिर श्रद्धा और भक्ति से स्तोत्र का पाठ करें।
- अंत में माँ से प्रार्थना करें कि वह आपके जीवन के कष्टों को हरें और सुख, शांति प्रदान करें।
जाप/पाठ का उत्तम समय:
- प्रातः काल (सुबह 5 से 7 बजे के बीच) – सबसे शुभ समय माना जाता है।
- सायंकाल (शाम 6 से 8 बजे के बीच) – मानसिक शांति और रात्रि सुरक्षा के लिए उपयुक्त है।
- विशेष तिथियाँ: नवरात्रि, शुक्रवार, पूर्णिमा, अमावस्या और किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए चुनी गई तिथि।