यह स्तोत्र स्वयं भगवान महाकाल द्वारा देवी भैरवी को उपदेश स्वरूप प्रदान किया गया था। इसकी महिमा अनंत और अद्वितीय है। इस स्तोत्र में भगवान महाकाल के अनेक दिव्य नामों और स्वरूपों का उल्लेख करते हुए उनकी महिमा का गान किया गया है। शिव भक्तों के लिए यह स्तोत्र एक दिव्य वरदान के समान है। इसका नित्य एक बार जप करने से साधक के भीतर आत्मबल, ओज और वीरता का जागरण होता है तथा मन में आनंद और उत्साह का संचार होता है। भगवान शिव की साधना में यदि इस स्तोत्र का पाठ किया जाए तो सिद्धि प्राप्ति की संभावनाएं अत्यंत प्रबल हो जाती हैं।
महाकाल स्तोत्र (Mahakaal Stotra)
ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते
महाकाल महायोगिन महाकाल नमोस्तुते
महाकाल महादेव महाकाल महा प्रभो
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोस्तुते
महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोपहन
महाकाल महाकाल महाकाल नमोस्तुते
भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशुना पतये नमः
उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः
भीमाय च नमस्तुभ्यं मिशानाया नमो नमः
ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः
सघोजात नमस्तुभ्यं शुक्ल वर्ण नमो नमः
अधः काल अग्नि रुद्राय रूद्र रूपाय वै नमः
स्थितुपति लयानाम च हेतु रूपाय वै नमः
परमेश्वर रूप स्तवं नील कंठ नमोस्तुते
पवनाय नमतुभ्यम हुताशन नमोस्तुते
सोम रूप नमस्तुभ्यं सूर्य रूप नमोस्तुते
यजमान नमस्तुभ्यं अकाशाया नमो नमः
सर्व रूप नमस्तुभ्यं विश्व रूप नमोस्तुते
ब्रहम रूप नमस्तुभ्यं विष्णु रूप नमोस्तुते
रूद्र रूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोस्तुते
स्थावराय नमस्तुभ्यं जंघमाय नमो नमः
नमः उभय रूपाभ्यां शाश्वताय नमो नमः
हुं हुंकार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः
सचिदानंद रूपाय महाकालाय ते नमः
प्रसीद में नमो नित्यं मेघ वर्ण नमोस्तुते
प्रसीद में महेशान दिग्वासाय नमो नमः
ॐ ह्रीं माया – स्वरूपाय सच्चिदानंद तेजसे
स्वः सम्पूर्ण मन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः
फल श्रुति:
इत्येवं देव देवस्य महकालास्य भैरवी
कीर्तितं पूजनं सम्यक साधकानां सुखावहम
।। इति महाकाल स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
महाकाल स्तोत्र का हिंदी अनुवाद
ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते
– हे महाकाल! हे विशाल शरीर वाले! हे संपूर्ण जगत के स्वामी!
महाकाल महायोगिन महाकाल नमोस्तुते
– हे महान योगी महाकाल! आपको नमस्कार है।
महाकाल महादेव महाकाल महा प्रभो
– हे महाकाल! हे महादेव! हे परम प्रभु!
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोस्तुते
– हे महारुद्र स्वरूप महाकाल! आपको बारंबार नमस्कार।
महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोपहन
– हे समस्त ज्ञान के स्वरूप महाकाल! आप अज्ञान के अंधकार को दूर करने वाले हैं।
महाकाल महाकाल महाकाल नमोस्तुते
– हे महाकाल! आपको बारंबार प्रणाम है।
भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः
– हे भव (सृजन करने वाले) और हे शर्व (संहारक)! आपको नमस्कार।
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशुना पतये नमः
– हे रुद्र! हे समस्त प्राणियों के स्वामी! आपको नमस्कार।
उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः
– हे उग्र रूप धारण करने वाले! हे महादेव! आपको नमस्कार।
भीमाय च नमस्तुभ्यं मिशानाया नमो नमः
– हे भयानक स्वरूप वाले भीम! हे ईशान दिशा के अधिपति! आपको नमस्कार।
ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः
– हे ईश्वर! हे तत्पुरुष स्वरूप! आपको नमस्कार।
सघोजात नमस्तुभ्यं शुक्ल वर्ण नमो नमः
– हे वज्र समान जन्म वाले (घोर जात)! हे शुभ्र वर्ण वाले! आपको नमस्कार।
अधः काल अग्नि रुद्राय रूद्र रूप आय वै नमः
– हे अधोमुखी काल अग्नि के समान! हे रुद्र रूप! आपको नमस्कार।
स्थितुपति लयानाम च हेतु रूप आय वै नमः
– हे सृष्टि, स्थिति और संहार के कारण स्वरूप! आपको नमस्कार।
परमेश्वर रूप स्तवं नील कंठ नमोस्तुते
– हे परमेश्वर! हे विष का पान करने वाले नीलकंठ! आपको नमस्कार।
पवनाय नमतुभ्यम हुताशन नमोस्तुते
– हे वायु स्वरूप! हे अग्नि देव स्वरूप! आपको नमस्कार।
सोम रूप नमस्तुभ्यं सूर्य रूप नमोस्तुते
– हे चंद्रमा स्वरूप! हे सूर्य स्वरूप! आपको नमस्कार।
यजमान नमस्तुभ्यं अकाशाया नमो नमः
– हे यज्ञकर्ता! हे आकाश स्वरूप! आपको नमस्कार।
सर्व रूप नमस्तुभ्यं विश्व रूप नमोस्तुते
– हे सभी रूपों में विद्यमान! हे विश्व के स्वरूप! आपको नमस्कार।
ब्रहम रूप नमस्तुभ्यं विष्णु रूप नमोस्तुते
– हे ब्रह्मा स्वरूप! हे विष्णु स्वरूप! आपको नमस्कार।
रूद्र रूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोस्तुते
– हे रूद्र रूप! हे महाकाल! आपको नमस्कार।
स्थावराय नमस्तुभ्यं जंघमाय नमो नमः
– हे स्थावर (स्थिर) और जंगम (चल) दोनों स्वरूपों वाले प्रभु! आपको नमस्कार।
नमः उभय रूपा भ्याम शाश्वताय नमो नमः
– हे दोनों रूपों से युक्त! हे शाश्वत (अनंत) प्रभु! आपको नमस्कार।
हुं हुंकार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः
– हे ‘हुं’ बीजध्वनि वाले! हे निर्गुण और अव्यक्त स्वरूप! आपको नमस्कार।
सचिदानंद रूप आय महाकालाय ते नमः
– हे सत-चित-आनंद स्वरूप! हे महाकाल! आपको नमस्कार।
प्रसीद में नमो नित्यं मेघ वर्ण नमोस्तुते
– हे मेघवर्ण (नीले) प्रभु! सदा मुझ पर प्रसन्न रहें, आपको नमस्कार।
प्रसीद में महेशान दिग्वासाय नमो नमः
– हे महेश! हे दिशाओं में निवास करने वाले! मुझ पर कृपा करें, आपको नमस्कार।
ॐ ह्रीं माया – स्वरूपाय सच्चिदानंद तेजसे
– ॐ ह्रीं! जो माया के रूप हैं, जो सच्चिदानंद और तेजस्वी हैं…
स्वः सम्पूर्ण मन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः
– आप ही वह सम्पूर्ण मंत्रस्वरूप हैं — ‘सोऽहं’, ‘हंस’ (परमात्मा) स्वरूप — आपको नमस्कार।
फलश्रुति (पाठ के फल)
इत्येवं देव देवस्य महकालास्य भैरवी
कीर्तितं पूजनं सम्यक साधकानाम सुखावहम
– इस प्रकार देवी भैरवी को भगवान महाकाल ने जो स्तोत्र बताया, उसका पाठ साधकों को सुख, सिद्धि और कल्याण देने वाला है।
।। इति महाकाल स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
लाभ (Benefits)
- प्रतिदिन एक बार जप से नई ऊर्जा, शक्ति और वीरता का संचार होता है तथा मन में खुशी और उत्साह की अनुभूति होती है।
- यह स्तोत्र साधक को सफलता के करीब ले जाता है तथा जीवन के बड़े कष्टों को काटने में सहायक होता है।
- जप से प्रसन्न मनोवृत्ति, धन-धान्य में वृद्धि, यश‑कीर्ति, और अकाल मृत्यु का भय समाप्त होने की मान्यता है।
- साथ ही दोष निवारण—जैसे रोग, ग्रह दोष, या तंत्र-प्रभाव जैसी बाधाओं से मुक्ति भी मिलती है।
विधि (Vidhi)
- स्थान और समय
- प्रातः स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर घर में शिवालय या पूजा स्थल पर बैठें।
- शुरुआती मंत्र जप
- शीघ्र परिणाम के लिए पहले यह बीज मंत्र 11, 21 या 108 बार जपें:
“हुं‑हुं महाकाल प्रसीद प्रसीद ह्रीं ह्रीं स्वाहा”
- शीघ्र परिणाम के लिए पहले यह बीज मंत्र 11, 21 या 108 बार जपें:
- मुख्य स्तोत्र पाठ
- फिर महाकाल स्तोत्र का संपूर्ण पाठ करें, जिसमें “ॐ महाकाल महाकाय…” से लेकर अंत तक सभी श्लोक पढ़ें।
- समाप्ति विधान
- जप के अंत में प्रणाम करें, दीप या फूल अर्पित करें और “ॐ इंद्राय नमः” कहते हुए पूजा समाप्त करें।
- गुणवत्ता बढ़ाने हेतु
- रुद्राक्ष माला (11 या 108 माला) का प्रयोग करें।
- अन्य सामग्री: सिद्ध महाकाल रुद्राक्ष, दीपक, धूप, साफ कपड़े, संयम, ब्रह्मचर्य व दान का पालन करें।
जप का समय और अवधि (Jaap ka Samay)
- दिन में एक बार जप करना पर्याप्त माना जाता है।
- प्रातःकाल जप विशेष रूप से शुभ होता है—स्नानादि नित्य कर्म के बाद घर या शिवालय में जप करें।
- सोमवती अमावस्या, सोमवार, प्रदोष, महाशिवरात्रि, नवरात्रि जैसे विशेष दिनों में जप और अधिक प्रभावशाली होता है।
- गहन साधना के लिए 16 दिन तक प्रतिदिन 11 माला या 108 माला जप करना श्रेष्ठ माना गया है।