मंगल स्तोत्र वैदिक परंपरा में एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है जो मंगल ग्रह (भौम) को समर्पित है। वैदिक ज्योतिष में मंगल को शक्ति, पराक्रम, भूमि, साहस, ऊर्जा, रक्त और भाई से संबंधित ग्रह माना गया है। मंगल देवता को “भूमिपुत्र” कहा जाता है क्योंकि वे पृथ्वी माता के पुत्र हैं।
यह स्तोत्र उन सभी लोगों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है जिनकी जन्म कुंडली में मंगल दोष है या जो ऋण, विवाह में बाधा, धन की कमी, आक्रोश, दुर्घटनाएँ, अथवा भूमि संबंधी विवादों से पीड़ित हैं।
मंगल स्तोत्र का नित्य पाठ करने से जीवन में स्थायित्व, साहस, विजय, और आर्थिक उन्नति आती है। यह न केवल ग्रह दोष शमन करता है, बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मबल भी प्रदान करता है। मंगलदेव की कृपा से व्यक्ति के भीतर नेतृत्व क्षमता और निर्णयशक्ति का विकास होता है।
जो साधक मंगलवार को श्रद्धा से इसका पाठ करते हैं, उन्हें शीघ्र ही जीवन में शुभ समाचार, कर्ज मुक्ति, भूमि-वाहन सुख, और पारिवारिक समृद्धि का अनुभव होता है।
मंगल स्तोत्र (Mangal Stotra)
रक्ताम्बरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्मुखो मेघगदी गदाधृक्।
धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा मम स्याद्वरदः प्रशान्तः ॥1॥
ॐ मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरात्मजः महाकायः सर्वकामार्थसाधकः ॥2॥
लोहितो लोहिताङ्गश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः ॥3॥
अङ्गारकोऽतिबलवानपि यो ग्रहाणां स्वेदोद्भवस्त्रिनयनस्य पिनाकपाणेः।
आरक्तचन्दनसुशीतलवारिणाप्यभ्यर्चितोऽथ विपुलां प्रददाति सिद्धिम् ॥4॥
भौमो धरात्मज इति प्रथितः पृथिव्यां दुःखापहो दुरितशोकसमस्तहर्ता।
नृणां ऋणं हरति तान्धनिकः प्रकुर्यात् पूजितः सकलमङ्गलवासरेषु ॥5॥
एकेन हस्तेन गदां विभर्ति त्रिशूलमन्येन ऋजुकमेण।
शक्तिं सदान्येन वरं ददाति चतुर्भुजो मंगलमादधातु ॥6॥
यो मंगलमादधाति मध्यग्रहो यच्छति वाञ्छितार्थम्।
धर्मार्थकामादिसुखं प्रभुत्वं कलत्रपुत्रैर्न कदा वियोगः ॥7॥
कनकमयशरीरतेजसा दुर्निरीक्ष्यो हुतवहसमकान्तिर्मालवे लब्धजन्मा।
अवनिजतनमेषु श्रूयते यः पुराणो दिशतु मम विभूतिं भूमिजः सप्रभावः ॥8॥
॥ इति मंगल स्तोत्र संपूर्णम् ॥
मंगल स्तोत्र हिंदी अनुवाद (Mangal Stotra Hindi Translation)
जो लाल वस्त्र धारण करते हैं, जिनका शरीर रक्तवर्ण है, जो मुकुटधारी हैं, चार मुखों वाले हैं, मेघ की गड़गड़ाहट जैसे गदा उठाए हुए हैं, जो पृथ्वी के पुत्र हैं, शक्ति धारण किए हुए हैं, त्रिशूल लिए हुए हैं — वे मुझे सदा वर प्रदान करने वाले शांत मंगलदेव कृपा करें। ॥1॥
ॐ मंगलदेव, जो भूमिपुत्र हैं, ऋण को हरने वाले हैं, धन देने वाले हैं, स्थिर बुद्धि वाले हैं, विशाल शरीर वाले हैं, और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। ॥2॥
जो रक्तवर्ण वाले हैं, जिनका शरीर भी रक्त के समान है, जो सामवेद के ज्ञाता हैं, कृपा करने वाले हैं, जो धरती के पुत्र हैं, जिन्हें कुज या भौम कहा जाता है, जो मंगलदायक हैं, और भूमि के नंदन हैं। ॥3॥
जो अंगारक हैं, अत्यंत शक्तिशाली हैं, सभी ग्रहों में प्रमुख हैं, भगवान शिव के पसीने से उत्पन्न हुए हैं, त्रिनेत्रधारी शिव जिनके गुरु हैं, और जो रत्नारक्त चंदन व शीतल जल से पूजे जाने पर भी महान सिद्धियाँ प्रदान करते हैं। ॥4॥
जो भौम (मंगल) हैं, पृथ्वीपुत्र के रूप में प्रसिद्ध हैं, जो समस्त दुःख और दोषों को दूर करने वाले हैं, जो मनुष्यों के ऋण और क्लेश को हरने वाले हैं, और जो सभी मंगल दिनों में पूजे जाने पर धन, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करते हैं। ॥5॥
जो एक हाथ में गदा, दूसरे में त्रिशूल, तीसरे में शक्ति, और चौथे में वरद मुद्रा धारण करते हैं — वे चतुर्भुज मंगलदेव मुझे मंगल प्रदान करें। ॥6॥
जो मध्य में स्थित ग्रह हैं, जो वांछित फल प्रदान करते हैं, जो धर्म, अर्थ, काम आदि सभी सुख देते हैं, और जिनकी कृपा से कभी भी पत्नी या पुत्र से वियोग नहीं होता। ॥7॥
जो स्वर्ण के समान देदीप्यमान शरीर वाले हैं, जिन्हें देखना कठिन है, जो अग्नि के समान तेजस्वी हैं, जिनका जन्म मालव देश में हुआ, जो पौराणिक रूप से प्रसिद्ध हैं और जो पृथ्वी पर जन्मे प्रभावशाली मंगलदेव मुझे ऐश्वर्य प्रदान करें। ॥8॥
॥ इति मंगल स्तोत्र अनुवाद संपूर्णम् ॥
मंगल स्तोत्र के लाभ (Benefits of Mangal Stotra)
- ऋण मुक्ति: जिन लोगों पर कर्ज (ऋण) बहुत अधिक हो, वे इस स्तोत्र का नियमित पाठ करें — यह ऋण मुक्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली है।
- मंगल दोष निवारण: कुंडली में मंगल दोष, विशेषतः मांगलिक दोष, की शांति हेतु यह स्तोत्र विशेष रूप से फलदायक है।
- धन प्राप्ति: स्तोत्र का पाठ करने से स्थायी धन, भूमि और वाहन प्राप्ति के योग बनते हैं।
- क्रोध और दुर्घटनाओं से रक्षा: मंगल ग्रह से संबंधित क्रोध, दुर्घटना, रक्त विकार और संघर्ष आदि समस्याओं में राहत मिलती है।
- नौकरी व पदोन्नति में सफलता: प्रतियोगिता परीक्षा, पुलिस, सेना, प्रशासनिक क्षेत्र व सरकारी नौकरी के इच्छुक लोगों को बल और विजय प्राप्त होती है।
- शुभता एवं ऊर्जा का संचार: यह स्तोत्र ऊर्जा, साहस, आत्मबल और पराक्रम को बढ़ाता है।
पाठ विधि (Puja & Path Vidhi)
- स्थान चयन: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके शांत स्थान पर बैठें।
- साफ-सुथरे वस्त्र पहनें, और लाल वस्त्र अथवा लाल आसन पर बैठना श्रेष्ठ होता है।
- मंगल यंत्र या मंगल देव की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
- लाल पुष्प, लाल चंदन, लाल फल, और गुड़-चना आदि अर्पण करें।
- संकल्प लें कि आप किस कार्य के लिए पाठ कर रहे हैं (जैसे ऋण मुक्ति, विवाह बाधा, नौकरी आदि)।
- मंगल स्तोत्र का शांत चित्त से पाठ करें — चाहें तो 1, 3, 5, या 11 बार करें।
- अंत में मंगल ग्रह के बीज मंत्र का 108 बार जप करें (optional): ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
जप व पाठ का उपयुक्त समय (Best Time for Chanting/Path)
- दिन:
- मंगलवार (मंगलवार को पाठ विशेष फलदायक होता है)
- समय:
- सुबह 6 बजे से 8 बजे के बीच अथवा
- रात्रि 8 बजे के बाद शांत वातावरण में
- मंगल होरा में (मंगलवार के दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है)
- मंगल ग्रह की महादशा/अंतर्दशा या कुंडली में दोष के समय भी इसका पाठ करना उपयोगी होता है।