“बुध पंचविंशति नाम स्तोत्रम्” एक प्राचीन वैदिक स्तोत्र है, जिसमें भगवान बुध (बुध ग्रह) के 25 शुभ और प्रभावशाली नामों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है जिनकी जन्मकुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो, या जिनकी बुद्धि, वाणी, व्यापार, शिक्षा या संचार कौशल में बाधाएं आ रही हों।
बुध ग्रह को बुद्धि, वाणी, तर्क, गणना, लेखन, व्यवसाय, और शिक्षा का अधिपति माना गया है। यह स्तोत्र भगवान बुध की स्तुति करता है, जिससे वे प्रसन्न होकर साधक को धन, ज्ञान, तेज, संपन्नता और सुख-शांति प्रदान करते हैं। इसमें बुधदेव के रूप, स्वभाव, कार्य और प्रभाव को संक्षेप में बहुत ही सुंदरता से प्रस्तुत किया गया है।
बुध पंचाविमशातिनमा स्तोत्रं (Budha Panchavimshatinama Stotram)
बुधो बुद्धिमतां श्रेष्ठो बुद्धिदाता धनप्रदः।
प्रियंगुकुलिकाश्यामः कञ्जनेत्रो मनोहरः॥ १ ॥
ग्रहोपमो रौहिणेयः नक्षत्रेशो दयाकरः।
विरुद्धकार्यहन्ता सौम्यो बुद्धिविवर्धनः॥ २ ॥
चन्द्रात्मजो विष्णुरूपी ज्ञानी ज्ञो ज्ञानिनायकः।
ग्रह्पीडाहरो दारपुत्रधान्यपशुप्रदः॥ ३ ॥
लोकप्रियः सौम्यमूर्तिः गुणदो गुणिवत्सलः।
पञ्चविंशतिनामानि बुधस्यैतानि यः पठेत्॥ ४ ॥
स्मृत्वा बुधं सदा तस्य पीडा सर्वा विनश्यति।
तद्दिने वा पठेद्यस्तु लभते स मनोगतम्॥ ५ ॥
॥ इति बुध पंचविंशति नाम स्तोत्रम् संपूर्णम् ॥
बुध पंचविंशति नाम स्तोत्रम् हिंदी अर्थ सहित
बुधो बुद्धिमतां श्रेष्ठो बुद्धिदाता धनप्रदः।
प्रियंगुकुलिकाश्यामः कञ्जनेत्रो मनोहरः॥ १ ॥
बुध बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, बुद्धि और धन देने वाले हैं।
उनका रंग प्रियंगु पुष्प के समान काला है, कमल जैसे नेत्र वाले और अत्यंत मनमोहक हैं।
ग्रहोपमो रौहिणेयः नक्षत्रेशो दयाकरः।
विरुद्धकार्यहन्ता सौम्यो बुद्धिविवर्धनः॥ २ ॥
वे ग्रहों के समान प्रभावशाली हैं, रोहिणी के पुत्र हैं, नक्षत्रों के स्वामी हैं और दया करने वाले हैं।
विरोधी कार्यों को नष्ट करने वाले हैं, सौम्य स्वभाव के हैं और बुद्धि को बढ़ाने वाले हैं।
चन्द्रात्मजो विष्णुरूपी ज्ञानी ज्ञो ज्ञानिनायकः।
ग्रह्पीडाहरो दारपुत्रधान्यपशुप्रदः॥ ३ ॥
वे चंद्रमा के पुत्र हैं, विष्णु के समान रूप वाले हैं, स्वयं ज्ञानी हैं और ज्ञानियों के नेता हैं।
ग्रह पीड़ा को दूर करने वाले हैं और पत्नी, पुत्र, अन्न व पशु प्रदान करने वाले हैं।
लोकप्रियः सौम्यमूर्तिः गुणदो गुणिवत्सलः।
पञ्चविंशतिनामानि बुधस्यैतानि यः पठेत्॥ ४ ॥
वे सबको प्रिय हैं, सौम्य मूर्ति वाले हैं, गुण देने वाले हैं और गुणियों से स्नेह रखने वाले हैं।
जो भी व्यक्ति बुधदेव के ये 25 नाम पढ़ता है…
स्मृत्वा बुधं सदा तस्य पीडा सर्वा विनश्यति।
तद्दिने वा पठेद्यस्तु लभते स मनोगतम्॥ ५ ॥
और जो सदा बुध का स्मरण करता है, उसकी सारी पीड़ाएँ नष्ट हो जाती हैं।
जो बुधवार के दिन इन नामों का पाठ करता है, उसे अपनी मनचाही वस्तु की प्राप्ति होती है।
॥ इति बुध पंचविंशति नाम स्तोत्रम् संपूर्णम् ॥
स्तोत्र के लाभ:
- बुध ग्रह की पीड़ा, दोष या शांति के लिए अत्यंत प्रभावशाली।
- वाणी दोष, निर्णय क्षमता की कमी, शिक्षा में बाधा और व्यापार में नुकसान को दूर करता है।
- बुध ग्रह के प्रभाव से होने वाले चर्म रोग, नर्वस सिस्टम और मानसिक अशांति में राहत मिलती है।
- बुधवार को पाठ करने से विशेष लाभ होता है।
पाठ विधि:
- प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध होकर हरे वस्त्र पहनें।
- एक साफ स्थान पर बुध ग्रह की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक व अगरबत्ती जलाएं।
- हरे रंग के पुष्प चढ़ाएं और हरे मूंग या मिश्री का भोग लगाएं।
- श्रद्धा एवं एकाग्रता से यह स्तोत्र पढ़ें या सुनें।
- पाठ के बाद “ॐ बुधाय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
जप का उपयुक्त समय:
- बुधवार को विशेष फलदायक।
- नित्य प्रातःकाल या शाम को भी पाठ किया जा सकता है।
- बुध ग्रह की महादशा या अंतरदशा में रोज पाठ करना अत्यंत शुभ होता है।