श्री बालरक्षा स्तोत्र” एक दिव्य एवं शक्तिशाली स्तोत्र है जो विशेष रूप से बच्चों की रक्षा, स्वास्थ्य, और सुख-समृद्धि के लिए रचा गया है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के विभिन्न स्वरूपों का आवाहन करता है कि वे बालक के शरीर, मन, प्राण, इंद्रियाँ और बुद्धि की सर्वदिशाओं से रक्षा करें। इसमें विष्णु के विविध नामों – जैसे अच्युत, केशव, मधुसूदन, गोविंद, माधव, उपेन्द्र, हृषीकेश, नारायण, योगेश्वर आदि – का प्रयोग कर उनके संरक्षणकारी रूपों का वर्णन किया गया है।
यह स्तोत्र उन सभी अदृश्य और हानिकारक शक्तियों जैसे भूत-प्रेत, पिशाच, डाकिनी, कूष्मांड, ग्रह दोष, अपस्मार (मिर्गी), उन्माद (पागलपन), बालग्रह आदि से सुरक्षा की प्रार्थना करता है। साथ ही यह बताता है कि भगवान विष्णु का नाम लेने मात्र से ही समस्त बाधाएं नष्ट हो जाती हैं।
पाठ का उद्देश्य:
यह स्तोत्र माता-पिता, संरक्षक, गुरुजनों और सेवकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो अपने बच्चों की रक्षा के लिए दिव्य उपाय की तलाश करते हैं। नियमित रूप से इसका श्रद्धा व विश्वास के साथ पाठ करने से बालक को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक सुरक्षा मिलती है।
बाल रक्षा स्तोत्र (Bal Raksha Stotra)
श्री गणेशाय नमः
अव्यादजोऽङ्घ्रि मणिमांस्तव जान्वथोरू
यज्ञोऽच्युतः कटितटं जठरं हयास्यः।
हृत्केशवस्त्वदुर ईश इनस्तु कण्ठं
विष्णुर्भुजं मुखमुरुक्रम ईश्वरः कम ॥१॥
चक्र्यग्रतः सहगदो हरिरस्तु पश्चात्
त्वत्पार्श्वयोर्धनुरसी मधुहाजनश्च।
कोणेषु शङ्ख उरुगाय उपर्युपेन्द्रस्
तार्क्ष्यः क्षितौ हलधरः पुरुषः समन्तात् ॥२॥
इन्द्रियाणि हृषीकेशः प्राणान्नारायणोऽवतु।
श्वेतद्वीपपतिश्चित्तं मनो योगेश्वरोऽवतु ॥३॥
पृश्निगर्भस्तु ते बुद्धिमात्मानं भगवान्परः।
क्रीडन्तं पातु गोविन्दः शयानं पातु माधवः ॥४॥
व्रजन्तमव्याद्वैकुण्ठ आसीनं त्वां श्रियः पतिः।
भुञ्जानं यज्ञभुक्पातु सर्वग्रहभयङ्करः ॥५॥
डाकिन्यो यातुधान्यश्च कुष्माण्डा येऽर्भकग्रहाः।
भूतप्रेतपिशाचाश्च यक्षरक्षोविनायकाः ॥६॥
कोटरा रेवती ज्येष्ठा पूतना मातृकादयः।
उन्मादा ये ह्यपस्मारा देहप्राणेन्द्रियद्रुहः ॥७॥
स्वप्नदृष्टा महोत्पाता वृद्धबालग्रहाश्च ये।
सर्वे नश्यन्तु ते विष्णोर्नामग्रहणभीरवः ॥८॥
॥ इति श्री बालरक्षा स्तोत्र संपूर्णम् ॥
“श्री बालरक्षा स्तोत्र” का हिंदी अनुवाद
श्री गणेशाय नमः।
श्लोक 1
अज (भगवान विष्णु) आपके चरणों की उँगलियों को,
जानु (घुटनों) और जंघाओं की रक्षा करें।
यज्ञस्वरूप अच्युत आपकी कमर और पेट की रक्षा करें,
हयग्रीव (घोड़े के मुख वाले विष्णु रूप) आपके पेट की रक्षा करें।
हृदय की रक्षा केशव करें, कंठ की ईश्वर करें,
और भुजाओं की रक्षा विष्णु करें। आपके मुख की रक्षा उरुक्रम (विष्णु का एक नाम) करें।
श्लोक 2
आपके आगे चक्रधारी हरि (विष्णु) रक्षा करें,
पीछे गदाधारी हरि रक्षा करें।
आपके दोनों पार्श्वों की रक्षा धनुषधारी मधुहंता (मधु नामक असुर का संहारक) करें।
चारों दिशाओं की रक्षा शंखधारी उरुगाय करें।
ऊपर उपेन्द्र (बलराम) और नीचे क्षितिज पर हलधर (शेषनाग या बलराम) रक्षा करें।
चारों दिशाओं से पुरुष (विष्णु) रक्षा करें।
श्लोक 3
आपकी इंद्रियों की रक्षा हृषिकेश (इंद्रियों के स्वामी) करें,
प्राणों की रक्षा नारायण करें।
चित्त की रक्षा श्वेतद्वीप के स्वामी करें,
और मन की रक्षा योगेश्वर करें।
श्लोक 4
बुद्धि की रक्षा पृश्निगर्भ (विष्णु) करें,
और आत्मा की रक्षा भगवान परमात्मा करें।
जब आप खेलें तो गोविंद रक्षा करें,
और जब आप सो रहें हों, तो माधव रक्षा करें।
श्लोक 5
जब आप चल रहे हों, तो वैकुण्ठ आपकी रक्षा करें,
जब आप बैठे हों, तो लक्ष्मीपति आपकी रक्षा करें।
जब आप भोजन कर रहे हों, तो यज्ञभुक (यज्ञ का भाग ग्रहण करने वाले) रक्षा करें,
वे सभी भयों से रक्षा करें जो ग्रहों के कारण होते हैं।
श्लोक 6
डाकिनी, यातुधानी, कूष्मांड और जो बालग्रह हैं,
भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष, राक्षस और विनायक —
श्लोक 8
जो स्वप्न में दिखाई देने वाले महान अपशकुन हैं,
जो वृद्ध और बालग्रह जैसे शत्रु हैं,
विष्णु के नाम के उच्चारण से सभी नष्ट हो जाएँ — जो नाम सुनकर डरते हैं।
॥ श्री बालरक्षा स्तोत्र समाप्त ॥
मुख्य लाभ:
- बालकों की शारीरिक रक्षा
- रोग, अपशकुन, भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति
- ग्रहदोष और बालग्रहों के प्रभाव से छुटकारा
- शांत, स्वस्थ और संरक्षित वातावरण की प्राप्ति
जप का उचित समय:
- सूर्योदय के समय या रात्रि में सोते समय
- किसी ग्रहदोष या डर की स्थिति में
- नवजात शिशु के जन्म के बाद नियमित सुरक्षा हेतु
नोट: यह स्तोत्र न केवल बालकों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए उपयोगी है जो आत्मरक्षा और दिव्य आशीर्वाद चाहता है। यह विष्णुभक्तों के लिए विशेष रूप से पूज्यनीय स्तोत्र है।