बगला पञ्जर न्यास स्तोत्र एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमय स्तोत्र है, जो देवी बगलामुखी की आराधना की विशेष क्रिया “न्यास” के रूप में किया जाता है। यह स्तोत्र दसों दिशाओं में साधक की सुरक्षा, वाणी-स्तम्भन, और शत्रु निवारण के लिए देवी की कृपा को आमंत्रित करता है। इसमें बगला देवी को दसों दिशाओं में विभिन्न रूपों में स्मरण कर उनकी शक्ति, स्तम्भन विद्या, और संरक्षण ऊर्जा का आह्वान किया जाता है।
यह स्तोत्र मुख्य रूप से तांत्रिक साधना में उपयोग किया जाता है, जहाँ साधक अपने शरीर और चारों ओर की दिशाओं में देवी की दिव्य शक्ति को स्थापन करके स्वयं को सुरक्षित करता है। यह स्तोत्र न केवल आत्मरक्षा के लिए प्रभावी है, बल्कि इससे मानसिक, आध्यात्मिक और ऊर्जा स्तर पर भी संतुलन प्राप्त होता है।
जो साधक बगला पञ्जर न्यास की विधिपूर्वक साधना करता है, उसे शत्रुओं से भय नहीं रहता, उसकी वाणी प्रभावशाली होती है, और वह जीवन के संकटों में भी स्थिर और निरंतर विजयी रहता है।
बगला पञ्जर न्यास स्तोत्र
बगला पूर्वतो रक्षेद् आग्नेय्यां च गदाधरी।
पीताम्बरा दक्षिणे च स्तम्भिनी चैव नैऋते।। 1।।
जिह्वाकीलिन्यतो रक्षेत् पश्चिमे सर्वदा हि माम्।
वायव्ये च मदोन्मत्ता कौवेर्यां च त्रिशूलिनी।। 2।।
ब्रह्मास्त्रदेवता पातु ऐशान्यां सततं मम।
संरक्षेन् मां तु सततं पाताले स्तब्धमातृका।। 3।।
ऊर्ध्वं रक्षेन् महादेवी जिह्वा-स्तम्भन-कारिणी।
एवं दश दिशो रक्षेद् बगला सर्वसिद्धिदा।। 4।।
एवं न्यास-विधिं कृत्वा यत् किञ्चिज्जपमाचरेत्।
तस्याः संस्मरेणादेव शत्रूणां स्तम्भनं भवेत्।। 5।।
।। इति बगला पंजर न्यास स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
बगला पञ्जर न्यास स्तोत्र हिंदी अनुवाद
पूर्व दिशा में बगला देवी रक्षा करें, आग्नेय दिशा में गदा धारण करने वाली देवी रक्षा करें।
दक्षिण दिशा में पीताम्बरा देवी रक्षा करें और नैऋत्य दिशा में स्तम्भन शक्ति वाली देवी रक्षा करें।। 1।।
जिह्वा को कीलित करने वाली देवी पश्चिम दिशा में सदैव मेरी रक्षा करें।
वायव्य दिशा में मदोन्मत्ता देवी और कुबेर दिशा में त्रिशूलधारी देवी रक्षा करें।। 2।।
ब्रह्मास्त्र की अधिष्ठात्री देवी ईशान कोण में मेरी सतत रक्षा करें।
पाताल लोक में स्तब्ध करने वाली मातृका देवी मेरी सदा रक्षा करें।। 3।।
ऊर्ध्व दिशा में जिह्वा को स्तम्भित करने वाली महादेवी मेरी रक्षा करें।
इस प्रकार दसों दिशाओं में बगला देवी रक्षा करें, जो सर्वसिद्धि देने वाली हैं।। 4।।
इस प्रकार न्यास की विधि करके जो कोई भी थोड़ा भी जप करता है,
उसके केवल स्मरण मात्र से ही शत्रुओं का स्तम्भन (नियंत्रण) हो जाता है।। 5।।
।। इति बगला पंजर न्यास स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
लाभ (Benefits)
- यह स्तोत्र अत्यंत गोपनीय और रहस्यमय माना जाता है, जो परीक्षित परिणाम देता है—साधक को प्रत्येक क्षेत्र में सफलता दिलाता है, घोर गरीबी और बाधाओं का नाश करता है।
- नियमित जप से देवी बगला खुद साधक की रक्षा करती हैं, शत्रु स्तब्ध होकर मूक हो जाते हैं।
- यह स्तोत्र समृद्धि, स्वास्थ्य, और आनंद देने वाला माना गया है; यह साधक की इच्छा पूर्णता और आत्मरक्षा सुनिश्चित करता है ।
विधि (Method)
स्तोत्र पाठ एवं न्यास के दौरान कुछ विशिष्ट विधियां अपनाई जाती हैं:
- ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4–6 बजे) का समय श्रेष्ठ माना गया है—इस समय स्नान करके, माला लेकर, बगला देवी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष बैठकर जप करना चाहिए।
- ध्यानपूर्वक योगाभ्यास या श्वसन क्रिया करके, फिर देवी के 108 नामों का पाठ करें—इसके बाद दश-दिशाओं में मंत्र उच्चारण करते हुए अंगुलियों से स्नैप (ताली जैसा संकेत) करें, जिससे स्तोत्र की शक्ति व्यापक रूप से फैले
- अंत में ‘सर्व-दिग्गः’ शब्द कहते समय सभी दिशाओं—पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर, ईशान, ऊपर और नीचे—पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी होता है
जप का समय (Auspicious Time)
- ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4‑6 बजे) को सर्वोत्तम माना गया है, जब ऊर्जा शांत और अनुकूल होती है।
- हालांकि विशेष अवसर—जैसे मंगलवार, अमावस्या, शत्रु निवारण तथा संकट मोचन मुहूर्त—भी एषतानुकूल होते हैं, परंतु ब्रह्म मुहूर्त का नियमित पालन सर्वोपरि है।