“परमेश्वर स्तोत्र” एक आराधनात्मक स्तुति है, जिसमें “जगदीश, सुधीश, भवेश…” आरंभिक मंत्र है। यह ईश्वर को सर्वोच्च, पवित्र और पालनहार रूप में पुकारती है। विशेष रूप से यह मंत्र उन भक्तों के लिए लिखा गया जिनका जीवन दुःख, संकल्पशून्यता या पाप कर्मों से पीड़ित हो — जिसमें ईश्वर से दया और उद्धार की कामना की जाती है
मां कालरात्रि मंत्र (Maa Kalratri Mantra)
परमेश्वर स्तोत्र (Parmeshwar Stotra)
जगदीश सुधीश भवेश विभो परमेश परात्पर पूत पित: ।
प्रणतं पतितं हतबुद्धिबलं जनतारण तारय तापितकम् ।। 1 ।।
गुणहीनसुदीनमलीनमतिं त्वयि पातरि दातरि चापरतिम् ।
तमसा रजसावृतवृत्तिमिमं जन ।। 2 ।।
मम जीवनमीनमिमं पतितं मरूघोरभुवीह सुवीहमहो ।
करुणाब्धिचलोर्मिजलानयनं जन ।। 3 ।।
भववारण कारण कर्मततौ भवसिन्धुजले शिव मग्नमत: ।
करुणाञ्च समर्प्य तरिं त्वरितं जन ।। 4 ।।
अतिनाश्य जनुर्मम पुण्यरुचे दूरितौघभरै: परिपूर्णभुव: ।
सुजघन्यमगण्यमपुण्यरुचिं जन ।। 5 ।।
भवकारक नारकहारक हे भवतारक पातकदारक हे ।
हर शंकर किंकरकर्मचयं जन ।। 6 ।।
तृषितश्चिरमस्मि सुधां हित मेऽच्युत चिन्मय देहि वदान्यवर ।
अतिमोहवशेन विनष्टकृतं जन ।। 7 ।।
प्रणमामि नमामि नमामि भवं भवजन्मकृतिप्रणिषूदनकम् ।
गुणहीनमनन्तमितं शरणं जन ।। 8 ।।
।। इति परमेश्वर स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
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परमेश्वर स्तोत्र हिंदी अनुवाद
जगदीश, सुधीश, भवेश, हे विभो! हे परमेश्वर! हे परात्पर, पवित्र और पालन करने वाले पिता!
जो व्यक्ति पतित है, जिसकी बुद्धि और शक्ति नष्ट हो चुकी है — ऐसे दुखी जन को तारने वाले प्रभु! मेरी रक्षा करो।
।। 1 ।।
मैं गुणहीन, अत्यंत दीन, और मलिन बुद्धिवाला हूँ।
हे पालन करने वाले, हे देने वाले! मैं तमस और रजस से ढकी वृत्तियों से ग्रस्त हूँ — कृपया मेरा उद्धार करो।
।। 2 ।।
मेरा जीवन एक मछली की तरह है, जो तपते हुए रेगिस्तान रूपी संसार में गिर पड़ी है।
हे करुणासागर! आपकी कृपा की लहरें ही मेरे जीवन को बचा सकती हैं — कृपया मुझे बचाइए।
।। 3 ।।
मैं अपने कर्मों की वजह से भवसागर में डूबा हुआ हाथी (गज) हूँ।
हे शिव! कृपा की नौका देकर शीघ्र मुझे इस संसार-सागर से पार लगाइए।
।। 4 ।।
मेरा जन्म ही पापमय है, पुण्य की ओर मेरी कोई रुचि नहीं रही।
दुरितों के भार से मैं पूरी तरह भरा हूँ, इसलिए मेरे भीतर अपवित्रता और अधर्म की प्रवृत्ति है — मुझे शुद्ध कर दो।
।। 5 ।।
हे भवकारक! हे नरक से छुड़ाने वाले! हे संसार से तारने वाले! हे पापों को नष्ट करने वाले!
हे शंकर! मैं आपके दासों जैसे कर्मों से बंधा हूँ — कृपा करके इन्हें हर लो।
।। 6 ।।
मैं बहुत समय से अमृत-रूपी आध्यात्मिक ज्ञान का प्यासा हूँ।
हे अच्युत! हे चिन्मय स्वरूप! हे दयालु श्रेष्ठ दाता! मोहवश मैंने जो पुण्य और कर्तव्य नष्ट कर दिए हैं, उन्हें पुनः प्रदान करें।
।। 7 ।।
मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ, बार-बार नमस्कार करता हूँ, जो जन्म-मरण और उनके कर्मों का नाश करने वाले हैं।
हे गुणहीन को भी स्वीकार करने वाले अनंत प्रभु! मैं आपकी शरण में आया हूँ।
।। 8 ।।
।। इस प्रकार परमेश्वर स्तोत्र समाप्त हुआ ।।
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लाभ (Benefit)
वेब स्रोतों के अनुसार, इस स्तोत्र के नियमित पाठ से निम्न लाभ मिलते हैं :
- जीवन में सफलता और प्रगति
- बुरी शक्तियों से सुरक्षा
- नए अवसरों का सृजन
- व्यक्तित्व में आत्मविश्वास और सकारात्मकता
- उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभप्रद; जो रोग, मानसिक अवसाद, या संबंध-संकट से जूझ रहे हैं
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विधि (पाठ-विधि) (Method)
- भूतपूर्व समय: सुबह या शाम जैसे शांत और शुभ काल
- पर्यावरण: स्वच्छ, शांत स्थान—संभव हो तो दीप या धूप के साथ
- भाव और श्रद्धा: पूर्ण नमन और आशा के साथ पढ़ें
- पाठ के अंत में: श्लोक समाप्ति “।। इति परमेश्वर स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।” का उच्चारण करें
- मिटाने की इच्छा: इस स्तोत्र को आप सुबह या किसी अन्य शुभ समय पूजन या पूजा के अंत में भी पढ़ सकते हैं
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जप समय और पुनरावृत्ति (Chanting time and repetition)
- दैनिक जप: 7 बार पाठ बहुत शुभ माना जाता है
- विशेष अवसर: संकट या मनोकामना-पूर्ति हेतु 11, 21 या अधिक प्रभावशाली 108 बार जप
- विराम: जप के बाद शांत मन से थोड़ी देर ध्यान करना फायदेमंद हो सकता है
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