यह स्तोत्र देवी दुर्गा के 108 नामों का संग्रह है, जो उन्हें विभिन्न रूपों, गुणों और शक्तियों में वर्णित करता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से नवरात्रि, दुर्गा अष्टमी, और अन्य देवी पूजा के अवसरों पर पाठ किया जाता है।
कार्तवीर्यार्जुन द्वादश नामस्तॊत्र (Kartaveeryarjuna Dwadash Namastotra)
श्री दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (Durgashtottar Stotra)
ईश्वर उवाच
शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने।
यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती॥ 1॥
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी।
आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी॥ 2॥
पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः।
मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चितिः॥ 3॥
सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्द स्वरूपिणी।
अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः॥ 4॥
शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा।
सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी॥ 5॥
अपर्णा अनेकवर्णा च पाटला पाटलावती।
पट्टाम्बर परीधाना कलमञ्जीररञ्जिनी॥ 6॥
अमेयविक्रमा क्रुरा सुन्दरी सुरसुन्दरी।
वनदुर्गा च मातङ्गी मतङ्गमुनिपूजिता॥ 7॥
ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा।
चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृतिः॥ 8॥
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा।
बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहन वाहना॥ 9॥
निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी।
मधुकैटभहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी॥ 10॥
सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी।
सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा॥ 11॥
अनेकशस्त्रहस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी।
कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यतिः॥ 12॥
अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्धमाता बलप्रदा।
महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला॥ 13॥
अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी।
नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी॥ 14॥
शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी।
कात्यायनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी॥ 15॥
य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम्।
नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति॥ 16॥
धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च।
चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम्॥ 17॥
कुमारीं पूजयित्वा तु ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम्।
पूजयेत् परया भक्त्या पठेन्नामशताष्टकम्॥ 18॥
तस्य सिद्धिर्भवेद् देवि सर्वैः सुरवरैरपि।
राजानो दासतां यान्ति राज्यश्रियमवाप्नुयात्॥ 19॥
गोरोचनालक्तककुङ्कुमेव सिन्धूरकर्पूरमधुत्रयेण।
विलिख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो भवेत् सदा धारयते पुरारिः॥ 20॥
भौमावास्यानिशामग्रे चन्द्रे शतभिषां गते।
विलिख्य प्रपठेत् स्तोत्रं स भवेत् संपदां पदम्॥ 21॥
॥ इति श्री दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
कामना सिद्धि स्रोत्र (Kamana Siddhi Stotra)
लाभ (Benefits)
श्री दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के नियमित पाठ से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- आध्यात्मिक उन्नति: देवी के 108 नामों का स्मरण आत्मा को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
- संकटों से मुक्ति: इस स्तोत्र का पाठ जीवन के विभिन्न संकटों और बाधाओं से मुक्ति दिलाता है।
- मन की शांति: देवी के नामों का जप मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
- संपत्ति और समृद्धि: देवी की कृपा से धन, धान्य, संतान, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
कामकला कालीस्तोत्रं (Kamakala Kali Stotram)
विधि (Method)
श्री दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का पाठ करने की विधि:
- स्नान और शुद्धता: प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल की तैयारी: देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और पुष्प अर्पित करें।
- ध्यान और संकल्प: देवी का ध्यान करते हुए संकल्प लें कि आप स्तोत्र का पाठ कर रहे हैं।
- स्तोत्र पाठ: श्री दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करें।
- आरती और प्रसाद: पाठ के पश्चात देवी की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
कल्कि स्तोत्रम् (Kalki Stotram)
जप का समय (Recitation Time)
इस स्तोत्र का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से निम्नलिखित समयों में इसका महत्व अधिक होता है:
- प्रातःकाल: सुबह के समय पाठ करने से दिनभर की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
- नवरात्रि के दिन: नवरात्रि के नौ दिनों में प्रतिदिन पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- अष्टमी और नवमी: इन विशेष तिथियों पर पाठ करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अद्या लक्ष्मी (Om Hreem Kleem Adya Lakshmi)
ॐ पूर्ण सत्वाय नमः (Om Purna Satvaya Namah)
ओम वर्धनाय नमः (Om Vardhanaya Namah)
ओम सिद्धि विनायकाय नमः (Om Siddhi Vinayakay Namah)