दरिद्रता नाशक स्तोत्र’ भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है, जो सभी प्रकार की दरिद्रता और कष्टों का नाशक है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भक्त को आर्थिक समृद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो आर्थिक संकट, ऋण, रोग या मानसिक तनाव से ग्रस्त हैं।
ॐ अर्यमायै नमः (Om Aryamayai Namah)
दरिद्रता नाशक स्तोत्र (Daridrta Naashak Stotra)
जय देव जगन्नाथ, जय शंकर शाश्वत।
जय सर्व-सुराध्यक्ष, जय सर्व-सुरार्चित।।
जय सर्व-गुणातीत, जय सर्व-वर-प्रद।
जय नित्य-निराधार, जय विश्वम्भराव्यय।।
जय विश्वैक-वेद्येश, जय नागेन्द्र-भूषण।
जय गौरी-पते शम्भो, जय चन्द्रार्ध-शेखर।।
जय कोट्यर्क-संकाश, जयानन्त-गुणाश्रय।
जय रुद्र-विरुपाक्ष, जय चिन्त्य-निरञ्जन।।
जय नाथ कृपा-सिन्धो, जय भक्तार्त्ति-भञ्जन।
जय दुस्तर-संसार-सागरोत्तारण-प्रभो।।
प्रसीद मे महा-भाग, संसारार्त्तस्य खिद्यतः।
सर्व-पाप-भयं हृत्वा, रक्ष मां परमेश्वर।।
महा-दारिद्रय-मग्नस्य, महा-पाप-हृतस्य च।
महा-शोक-विनष्टस्य, महा-रोगातुरस्य च।।
ऋणभार-परीत्तस्य, दह्यमानस्य कर्मभिः।
ग्रहैः प्रपीड्यमानस्य, प्रसीद मम शंकर।।
फलश्रुति
दारिद्रयः प्रार्थयेदेवं, पूजान्ते गिरिजा-पतिम्।
अर्थाढ्यो वापि राजा वा, प्रार्थयेद् देवमीश्वरम्।।
दीर्घमायुः सदाऽऽरोग्यं, कोष-वृद्धिर्बलोन्नतिः।
ममास्तु नित्यमानन्दः, प्रसादात् तव शंकर।।
शत्रवः संक्षयं यान्तु, प्रसीदन्तु मम गुहाः।
नश्यन्तु दस्यवः राष्ट्रे, जनाः सन्तुं निरापदाः।।
दुर्भिक्षमरि-सन्तापाः, शमं यान्तु मही-तले।
सर्व-शस्य समृद्धिनां, भूयात् सुख-मया दिशः।।
।। इति दरिद्रता नाशक स्तोत्र सम्पूर्णम्।।
वाराही गायत्री मंत्र (Varahi Gayatri Mantra)
दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र का हिन्दी अनुवाद (Hindi translation of Daridrya Dahan Shiv Stotra)
- जय देव जगन्नाथ, जय शंकर शाश्वत।
जय सर्व-सुराध्यक्ष, जय सर्व-सुरार्चित।।
अनुवाद:
हे देवों के स्वामी! हे जगत के नाथ! आपको नमन है।
हे शंकर! हे शाश्वत प्रभु! समस्त देवताओं के अधिपति और उनके पूज्य, आपको बारंबार प्रणाम।
- जय सर्व-गुणातीत, जय सर्व-वर-प्रद।
जय नित्य-निराधार, जय विश्वम्भराव्यय।।
अनुवाद:
हे सभी गुणों से परे! हे समस्त वरदान देने वाले!
आप निराधार हैं (किसी पर निर्भर नहीं), नित्य हैं और समस्त संसार के पालनकर्ता हैं – आपको वंदन है।
- जय विश्वैक-वेद्येश, जय नागेन्द्र-भूषण।
जय गौरी-पते शम्भो, जय चन्द्रार्ध-शेखर।।
अनुवाद:
हे सम्पूर्ण जगत द्वारा जाने जाने योग्य प्रभु! हे नाग को आभूषण स्वरूप धारण करने वाले!
हे पार्वती के प्रिय शंभू! हे मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करने वाले – आपको नमन है।
- जय कोट्यर्क-संकाश, जयानन्त-गुणाश्रय।
जय रुद्र-विरुपाक्ष, जय चिन्त्य-निरञ्जन।।
अनुवाद:
हे करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी! हे अनंत गुणों के आश्रय!
हे रुद्र! हे त्रिनेत्रधारी! आप चिंतन से परे, निष्कलंक और निराकार हैं – आपको प्रणाम।
- जय नाथ कृपा-सिन्धो, जय भक्तार्त्ति-भञ्जन।
जय दुस्तर-संसार-सागरोत्तारण-प्रभो।।
अनुवाद:
हे प्रभु! आप कृपा के सागर हैं और भक्तों के दुखों का नाश करने वाले हैं।
हे कठिन संसार-सागर से पार कराने वाले भगवान! आपको नमन है।
- प्रसीद मे महा-भाग, संसारार्त्तस्य खिद्यतः।
सर्व-पाप-भयं हृत्वा, रक्ष मां परमेश्वर।।
अनुवाद:
हे परम सौभाग्यशाली शिव! जो संसार के दुखों से पीड़ित और दुखी है, उस पर कृपा करें।
मेरे सारे पाप और भय को दूर करके मेरी रक्षा करें – हे परमेश्वर!
- महा-दारिद्रय-मग्नस्य, महा-पाप-हृतस्य च।
महा-शोक-विनष्टस्य, महा-रोगातुरस्य च।।
अनुवाद:
जो व्यक्ति घोर दरिद्रता, भारी पापों, गहरे शोक और गंभीर रोगों से पीड़ित हो…
- ऋणभार-परीत्तस्य, दह्यमानस्य कर्मभिः।
ग्रहैः प्रपीड्यमानस्य, प्रसीद मम शंकर।।
अनुवाद:
…जो ऋण के बोझ से दबा हो, अपने कर्मों में जल रहा हो, और ग्रहों की पीड़ा से संतप्त हो –
हे शंकर! कृपया उस पर दया करें।
फलश्रुति (पाठ के फल)
दारिद्रयः प्रार्थयेदेवं, पूजान्ते गिरिजा-पतिम्।
अर्थाढ्यो वापि राजा वा, प्रार्थयेद् देवमीश्वरम्।।
अनुवाद:
पूजा के अंत में दरिद्र व्यक्ति हो या धनी राजा – हर कोई इस प्रकार गिरिजा-पति (शिव) की प्रार्थना करे।
दीर्घमायुः सदाऽऽरोग्यं, कोष-वृद्धिर्बलोन्नतिः।
ममास्तु नित्यमानन्दः, प्रसादात् तव शंकर।।
अनुवाद:
हे शंकर! आपकी कृपा से मुझे दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, धन की वृद्धि, बल और स्थायी आनंद प्राप्त हो।
शत्रवः संक्षयं यान्तु, प्रसीदन्तु मम गुहाः।
नश्यन्तु दस्यवः राष्ट्रे, जनाः सन्तुं निरापदाः।।
अनुवाद:
मेरे शत्रु नष्ट हो जाएं, मेरी बुद्धि शुभ और प्रसन्न रहे, देश में दस्यु (चोर/दुर्जन) समाप्त हों और लोग निश्चिंत एवं सुरक्षित रहें।
दुर्भिक्षमरि-सन्तापाः, शमं यान्तु मही-तले।
सर्व-शस्य समृद्धिनां, भूयात् सुख-मया दिशः।।
अनुवाद:
हे शिव! पृथ्वी से दुर्भिक्ष, युद्ध और संताप समाप्त हों; चारों दिशाएं अन्न और सुख से भरपूर रहें।
Om Varahi Namaha (ॐ वाराही नमः)
लाभ (Benefit)
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: पाठ से नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य का नाश होता है, जिससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
आर्थिक समृद्धि: इस स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक संकट दूर होते हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
मानसिक शांति: पाठ से मानसिक तनाव, चिंता और निराशा कम होती है, जिससे मन में शांति और संतुलन बना रहता है।
आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है, जिससे आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
Om Varahaya Namaha (ॐ वराहाय नमः)
विधि (Method)
- स्थान और समय: शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर, प्रातःकाल या संध्या समय में पाठ करें।
- स्नान और शुद्धता: पाठ से पूर्व स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- दीपक और धूप: भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएं।
- संकल्प: अपने उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संकल्प लें।
- पाठ: शुद्ध उच्चारण के साथ स्तोत्र का पाठ करें।
- आरती और प्रार्थना: पाठ के पश्चात शिवजी की आरती करें और प्रार्थना करें।
उपयुक्त समय (Appropriate Time)
- प्रातःकाल: सुबह के समय पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है
- सोमवार: सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है, इस दिन पाठ विशेष लाभकारी होता है।
- महाशिवरात्रि: इस पर्व पर पाठ करने से विशेष पुण्य और लाभ प्राप्त होता है।
- प्रदोष व्रत: प्रदोष व्रत के दिन पाठ करने से दरिद्रता का नाश होता है।
इस स्तोत्र का नियमित और श्रद्धापूर्वक पाठ करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र न केवल आर्थिक दरिद्रता को दूर करता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायक होता है। भगवान शिव की कृपा से जीवन के समस्त कष्टों का नाश होता है और सुखद भविष्य की ओर मार्ग प्रशस्त होता है।
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