तन्त्र शान्ति स्तोत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक स्तोत्र है जो शांति, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति के लिए पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र तांत्रिक साधकों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह नकारात्मक शक्तियों, बाधाओं और शत्रुओं से रक्षा करता है, और साधक को आत्मिक बल प्रदान करता है।
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तन्त्र शान्ति स्तोत्र (Tantra Shanti Stotra)
नश्यन्तु प्रेतकुष्माण्डा नश्यन्तु दूष का नराः ।
साधकानां शिवाः सन्तु आम्नायपरिपातिनाम् ॥ 1 ॥
जयन्ति मातरः सर्वा जयन्ति योगिनीगणाः ।
जयन्ति सिद्धडाकिन्यो जयन्ति गुरुपङ्क्तयः ॥ 2 ॥
जयन्ति साधकाः सर्वे विशुद्धाः साधकाश्च ये ।
जयन्ति पूज समयाचारसम्पन्ना का नराः ॥ 3 ॥
नन्दन्तु चाणिमासिद्धाः नन्दन्तु कुलपालकाः ।
देवताः सर्वे तृप्यन्तु इन्द्राद्या वास्तुदेवताः ॥ 4 ॥
चचन्द्रसूर्यादयो देवास्तृप्यन्तु भक्तिततः ।
मम नक्षत्राणि ग्रहा योगा करणा राशयश्च ये ॥ 5 ॥
सर्वे ते सुखिनो यान्तु सर्पा नश्यन्तु पक्षिणः ।
पशवस्तुरगाचैव पर्वताः कन्दरा गुहाः ॥ 6 ॥
ऋषयो ब्राह्मणाः सर्वे शान्ति कुर्वन्तु सर्वदा ।
स्तुता मे विदिताः सन्तु सिद्धास्तिष्ठन्तु पूजकाः ॥ 7 ॥
ये ये पापधियस्सुदूषणरता मन्निन्दकाः पूजने ।
वेदाचारविमर्दनेष्टहृदया भ्रष्टष्य ये साधकाः ।
दृष्टवा चक्रमपूर्वमन्दहृदया ये कोलिका दूषकास्ते ।
ते यान्तु विनाशमत्र समय श्री भैरवस्याज्ञया ॥ 8 ॥
द्वेष्टारः साधकानां सदैवाम्नायदूषकाः ।
डाकिनीनां मुखे यान्तु तृप्तास्तत्पिशितैः स्तुताः ॥ 9 ॥
ये वा शक्तिपरायणा: शिवपरा ये वैष्णवाः साधवः ।
सर्वस्मादखिले सुराधिपमजं सेव्यं सुरेः सन्ततम् ॥ 10 ॥
शक्तिं विष्णुधिया शिवं च सुधिया श्री कृष्णबुद्धया च ये ।
सेवन्ते त्रिपुरं त्वभेदमतयो गच्छन्तु मोक्षन्तु ते ॥ 11 ॥
शत्रवो नाशमायान्तु मम निन्दाकरच ये ।
द्वेष्टारः साधकानां च ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ॥ 12 ॥
ततः परं पठेत स्तोत्रमानन्दस्तोत्रमुत्तमम् ॥
॥ इति तन्त्र शान्ति स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
तन्त्र शान्ति स्तोत्र हिंदी अनुवाद (Tantra Shanti Stotra ka Hindi Anuvad)
भूत-प्रेत और कूष्मांड (बाधाएं देने वाली शक्तियाँ) नष्ट हों, और दोषयुक्त लोग भी नष्ट हो जाएं।
शिव के साधकों और वेद मार्ग के रक्षक हमेशा मंगलमय रहें। ॥ 1 ॥
सभी माताएं (देवियाँ) विजय प्राप्त करें, योगिनियों का समूह विजय पाए।
सिद्ध डाकिनियाँ और गुरु परंपरा की पंक्तियाँ भी विजयशाली हों। ॥ 2 ॥
सभी साधक जो पवित्र और समर्पित हैं, वे विजय प्राप्त करें।
जो पूजन और धार्मिक नियमों का पालन करते हैं, वे भी विजयशाली हों। ॥ 3 ॥
आणिमा सिद्धि वाले और कुल की रक्षा करने वाले देवता आनंदित हों।
सभी देवता जैसे इन्द्र आदि और वास्तु देवता तृप्त हों। ॥ 4 ॥
चन्द्रमा, सूर्य और अन्य देवता भक्ति भाव से तृप्त हों।
मेरे नक्षत्र, ग्रह, योग, करण और राशियाँ सभी शांत और सुखद हों। ॥ 5 ॥
सभी सुखी हों, साँप नष्ट हो जाएं, और पक्षी शांत हो जाएं।
पशु, घोड़े, पर्वत, गुफाएं और खाइयाँ भी शांत हों। ॥ 6 ॥
ऋषि और ब्राह्मण सदा शांति स्थापित करें।
मेरे द्वारा स्तुत किए गए सिद्ध और पूजक सदा प्रतिष्ठित रहें। ॥ 7 ॥
जो पापी, दूषित विचार वाले, मेरी निंदा करने वाले,
वेदाचार का अपमान करने वाले और ईर्ष्या से भरे साधक हैं,
जो पूर्वकाल के चक्र को देखकर भी मंद बुद्धि से दोष निकालते हैं,
वे सभी इस समय श्री भैरव की आज्ञा से नष्ट हो जाएं। ॥ 8 ॥
जो साधकों से द्वेष रखते हैं और वेद मार्ग को दूषित करते हैं,
वे डाकिनियों के मुख में चले जाएं, और वे डाकिनियाँ उनके मांस से तृप्त हों। ॥ 9 ॥
जो शक्ति, शिव और विष्णु के भक्त हैं,
वे समस्त देवताओं के अधिपति अजन्मा प्रभु की सदा सेवा करें। ॥ 10 ॥
जो शक्ति को विष्णु के रूप में, शिव को बुद्धि से और श्रीकृष्ण की भावना से पूजते हैं,
और त्रिपुर (परम तत्व) को अभेद भाव से सेवा करते हैं – वे मोक्ष प्राप्त करें। ॥ 11 ॥
जो मेरे निंदा करने वाले और साधकों से द्वेष करने वाले हैं –
वे सभी नष्ट हो जाएं, शिव की आज्ञा से। ॥ 12 ॥
इसके बाद कोई भी व्यक्ति “आनंद स्तोत्र” नामक उत्तम स्तोत्र का पाठ करे।
॥ इसी के साथ तन्त्र शान्ति स्तोत्र समाप्त होता है ॥
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लाभ (Advantage)
- नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: यह स्तोत्र प्रेत, कूष्मांड और अन्य नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने में सहायक है।
- साधना में सफलता: तांत्रिक साधकों को साधना में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है।
- शत्रुओं का नाश: शत्रुओं और ईर्ष्यालु व्यक्तियों से रक्षा करता है।
- ग्रह दोषों का शमन: ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम करता है और जीवन में संतुलन लाता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक है।
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पाठ विधि (Lesson method)
- स्थान: शांत और पवित्र स्थान का चयन करें।
- स्नान और शुद्धता: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- आसन: उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- दीपक और धूप: दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
- संकल्प: मन में संकल्प लें कि आप शांति और सुरक्षा के लिए स्तोत्र का पाठ कर रहे हैं।
- पाठ: ध्यानपूर्वक और स्पष्ट उच्चारण के साथ स्तोत्र का पाठ करें।
- समापन: पाठ के अंत में भगवान शिव या अपने इष्ट देवता का ध्यान करें और आभार व्यक्त करें।
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उपयुक्त समय (Suitable time)
- सप्ताह का दिन: गुरुवार (गुरुवार) को प्रारंभ करना शुभ माना जाता है।
- समय: दोपहर का समय (12:00 PM से 3:00 PM) उत्तम है।
- दिशा: उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) की ओर मुख करके पाठ करें।
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