चक्र राज स्तोत्र का उल्लेख श्री गरुड़ पुराण में मिलता है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र को समर्पित है, जो कि उनके दिव्य आयुध हैं। यह माना जाता है कि इस स्तोत्र के नियमित पाठ से जीवन की बाधाएँ वैसे ही काट दी जाती हैं जैसे सुदर्शन चक्र असुरों को नष्ट करता है।
ओम गं ऋणहर्तायै नमः – कर्ज मुक्ति मंत्र (Om Gam Rin hartaye Namah – Karj Mukti Mantra)
इतिहास में हैहय वंश के कर्तवीर्य अर्जुन को सुदर्शन चक्र का अवतार माना गया है, और उनकी साधना के माध्यम से इस स्तोत्र की महिमा प्रकट हुई है। यह स्तोत्र विशेष रूप से खोई हुई वस्तुएँ या व्यक्ति को पुनः प्राप्त करने में सहायक माना जाता है।
चक्र राज स्तोत्र हिंदी पाठ
Chakra Raj Stotra in Hindi
प्रोक्ता पञ्चदशी विद्या महात्रिपुरसुन्दरी।
श्रीमहाषोडशी प्रोक्ता महामाहेश्वरी सदा॥ १ ॥
प्रोक्ता श्रीदक्षिणा काली महाराज्ञीति संज्ञया।
लोके ख्याता महाराज्ञी नाम्ना दक्षिणकालिका।
आगमेषु महाशक्तिः ख्याता श्रीभुवनेश्वरी॥ २ ॥
महागुप्ता गुह्यकाली नाम्ना शास्त्रेषु कीर्तिता।
महोग्रतारा निर्दिष्टा महाज्ञप्तेति भूतले॥ ३ ॥
महानन्दा कुब्जिका स्यात् लोकेऽत्र जगदम्बिका।
त्रिशक्त्याद्याऽत्र चामुण्डा महास्पन्दा प्रकीर्तिता॥ ४ ॥
महामहाशया प्रोक्ता बाला त्रिपुरसुन्दरी।
श्रीचक्रराजः सम्प्रोक्तस्त्रिभागेन महेश्वरि॥ ५ ॥
॥ इति चक्र राज स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
सर्वमंगल मांगल्यै मंत्र – देवी दुर्गा मंत्र (Sarvamangal Mangalyai mantra – Devi Durga Mantra)
हिन्दी अनुवाद:
1)
पञ्चदशी विद्या (जो पन्द्रह अक्षरों वाली है) को महात्रिपुरसुन्दरी कहा गया है।
महाषोडशी विद्या (जो सोलह अक्षरों वाली है), सदा महामाहेश्वरी के रूप में प्रसिद्ध है।
(2)
श्रीदक्षिणा काली को महाराज्ञी (महान रानी) के नाम से कहा गया है।
इस लोक में वह महाराज्ञी और दक्षिणकालिका के नाम से प्रसिद्ध हैं।
आगमों में उन्हें महाशक्ति और श्रीभुवनेश्वरी कहा गया है।
(3)
महागुप्त रूप में उन्हें गुह्यकाली कहा गया है और शास्त्रों में उनकी इसी नाम से कीर्ति है।
वे महोग्रतारा के नाम से विख्यात हैं और इस पृथ्वी पर उन्हें महाज्ञप्ति (महान आज्ञा देने वाली) कहा गया है।
(4)
वे महानन्दा (परम आनंद देने वाली) और कुब्जिका (एक विशेष तांत्रिक देवी) के रूप में जानी जाती हैं, और इस लोक में जगदम्बिका (संपूर्ण सृष्टि की माता) कही गई हैं।
त्रैशक्ति आदि रूपों में वे चामुण्डा और महास्पन्दा (परम ऊर्जा) के रूप में प्रसिद्ध हैं।
(5)
महामहाशया के रूप में उन्हें बाला त्रिपुरसुन्दरी कहा गया है।
श्रीचक्रराज (श्रीविद्या का मूल चक्र) को त्रिभागों में विभाजित कर महेश्वरी के रूप में वर्णित किया गया है।
चक्र राज स्तोत्र के लाभ (Benefits)
- 🌀 खोई हुई वस्तुओं की प्राप्ति: यदि कोई वस्तु या व्यक्ति खो गया हो, तो इस स्तोत्र का नियमित जप करने से उसकी पुनः प्राप्ति संभव हो सकती है।
- 🙏 असंभव कार्य भी संभव बनें: यह माना जाता है कि जो व्यक्ति इस स्तोत्र का नित्य पाठ करता है, उसके असंभव कार्य भी सिद्ध हो जाते हैं।
- 🛡️ संकट और बाधाओं का नाश: सुदर्शन चक्र की तरह यह स्तोत्र भी सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं को काट देता है।
- 🧘♂️ मानसिक शांति और आत्मबल: यह स्तोत्र साधक को मानसिक रूप से स्थिर और शक्तिशाली बनाता है।
कवन सो काज कठिन जग माहीं (kavan so kaaj kathin jag maaheen)
पाठ विधि (How to Recite Chakra Raj Stotra)
- समय: प्रातःकाल या संध्या के समय, विशेष रूप से रविवार या एकादशी के दिन शुभ माना जाता है।
- स्थान: घर का पूजा स्थल या कोई शांत पवित्र स्थान।
- सामग्री: एक स्वच्छ आसन, दीपक, अगरबत्ती, भगवान विष्णु का चित्र या सुदर्शन चक्र का यंत्र।
- विधि:
- पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान पर दीपक जलाएं और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- सुदर्शन चक्र की प्रतिमा या यंत्र के समक्ष बैठें।
- श्रद्धा और एकाग्रता के साथ चक्र राज स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के बाद भगवान विष्णु से प्रार्थना करें और धन्यवाद अर्पित करें।
विशेष सुझाव: यदि आपको विधिपूर्वक पाठ में कठिनाई हो, तो किसी योग्य पंडित या आध्यात्मिक मार्गदर्शक से संपर्क करें।
मां सरस्वती की वंदना (Saraswati Vandana)
अच्युतानंद गोविंद मंत्र (Achyutananda Govinda-Mantra)
सर्वे भवन्तु सुखिनः (Sarve Bhavantu Sukhinaha)