गोपाल हृदय स्तोत्र एक अत्यंत शक्तिशाली वैदिक स्तोत्र है, जो भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों की स्तुति करता है। इसका पाठ करने से भक्त के हृदय में भगवान श्रीगोपाल (वासुदेव) की दिव्य उपस्थिति अनुभव होती है और उसके सारे पापों का नाश होता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से श्रीसंखर्षण द्वारा बताया गया है और इसमें वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न, अनिरुद्ध आदि चतुर्व्युह रूपों का विस्तार से उल्लेख है।
Kankali Devi Temple, Tigawa (Tigma), Bahoriband Katni
गोपाल हृदय स्तोत्र को विष्णुहृदयस्तोत्रम् भी कहा जाता है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के विभिन्न स्वरूपों – जैसे वासुदेव, नारायण, गोविंद, मधुसूदन, रामचंद्र, नृसिंह, हयग्रीव आदि – के नामों के माध्यम से उनका स्मरण करता है। यह स्तोत्र संकर्षण ऋषि द्वारा ऋषिरूप में बताया गया है और गायत्री छंद में रचा गया है।
गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra)
गोपाल हृदय स्तोत्र (विष्णुहृदयस्तोत्रम्)
॥ श्री गणेशाय नमः ॥
ॐ अस्य श्रीगोपालहृदयस्तोत्रमन्त्रस्य
श्रीभगवान् सङ्कर्षण ऋषिः ।
गायत्री छन्दः । ॐ बीजम् । लक्ष्मीः शक्तिः ।
गोपालः परमात्मा देवता ।
प्रद्युम्नः कीलकम् ।
मनोवाक्कायार्जितसर्वपापक्षयार्थे
श्रीगोपालप्रीत्यर्थे गोपालहृदयस्तोत्रजपे विनियोगः ॥
श्रीसङ्कर्षण उवाच —
ॐ ममाग्रतः सदा विष्णुः पृष्ठतश्चापि केशवः ।
गोविन्दो दक्षिणे पार्श्वे वामे च मधुसूदनः ॥ १ ॥
उपरिष्टात्तु वैकुण्ठो वाराहः पृथिवीतले ।
अवान्तरदिशः पातु तासु सर्वासु माधवः ॥ २ ॥
गच्छतस्तिष्ठतो वापि जाग्रतः स्वपतोऽपि वा ।
नरसिंहकृताद्गुप्तिर्वासुदेवमयो ह्ययम् ॥ ३ ॥
अव्यक्तं चैवास्य योनिं वदन्ति व्यक्तं देहं दीर्घमायुर्गतिश्च ।
वह्निर्वक्त्रं चन्द्रसूर्यौ च नेत्रे दिशः श्रोते घ्राणमायुश्च वायुम् ॥ ४ ॥
वाचं वेदा हृदयं वै नभश्च पृथ्वी पादौ तारका रोमकूपाः ।
अङ्गान्युपाङ्गान्यधिदेवता च विद्यादुपस्थं हि तथा समुद्रम् ॥ ५ ॥
तं देवदेवं शरणं प्रजानां यज्ञात्मकं सर्वलोकप्रतिष्ठम् ।
अजं वरेण्यं वरदं वरिष्ठं ब्रह्माणमीशं पुरुषं नमस्ते ॥ ६ ॥
आद्यं पुरुषमीशानं पुरुहूतं पुरस्कृतम् ।
ऋतमेकाक्षरं ब्रह्म व्यक्तासक्तं सनातनम् ॥ ७ ॥
महाभारतमाख्यानं कुरुक्षेत्रं सरस्वतीम् ।
केशवं गां च गङ्गां च कीर्तयेन्मां प्रसीदति ॥ ८ ॥
मंत्रात्मक स्तुति:
ॐ भूः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ भुवः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ स्वः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ महः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ जनः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ तपः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ सत्यं पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ भूर्भुवः स्वः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ वासुदेवाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ सङ्कर्षणाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ प्रद्युम्नाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ अनिरुद्धाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ हयग्रीवाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ भवाद्भवाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ केशवाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ नारायणाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ माधवाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ गोविन्दाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ विष्णवे पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ मधुसूदनाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ वैकुण्ठाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ अच्युताय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ त्रिविक्रमाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ वामनाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ श्रीधराय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ हृषीकेशाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ पद्मनाभाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ मुकुन्दाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ दामोदराय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ सत्याय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ ईशानाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ तत्पुरुषाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ पुरुषोत्तमाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ श्रीरामचन्द्राय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ श्रीनृसिंहाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ अनन्ताय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ विश्वरूपाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ प्रणवेन्दुवह्निरविसहस्रनेत्राय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ॥
फलश्रुति (स्तोत्र का फल)
य इदं गोपालहृदयमधीते स ब्रह्महत्यायाः पूतो भवति ।
सुरापानात्, स्वर्णस्तेयात्, वृषलीगमनात्, पति सम्भाषणात्,
असत्यादगम्यागमनात्, अपेयपानात्, अभक्ष्यभक्षणाच्च पूतो भवति ।
अब्रह्मचारी ब्रह्मचारी भवति ।
भगवान् महाविष्णुरित्याह ॥
॥ इति गोपालहृदयस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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लाभ (Benefits):
- 🔹 सभी पापों का नाश – विशेष रूप से ब्रह्महत्या, सुरापान, चोरी, असत्य बोलना, अनीति संबंधों जैसे पापों से मुक्ति मिलती है।
- 🔹 हृदय की शुद्धि – यह स्तोत्र हृदय को पवित्र करता है और ईश्वर का साक्षात अनुभव देता है।
- 🔹 संकटों से रक्षा – जीवन में आने वाले सभी संकटों से रक्षा होती है।
- 🔹 भक्ति और ब्रह्मचर्य की प्राप्ति – ब्रह्मचारी को दृढ़ता मिलती है, और अब्रह्मचारी भी ब्रह्मचारी हो सकता है।
- 🔹 मानसिक शांति और दिव्य ऊर्जा – नियमित पाठ से मानसिक बल, ऊर्जा और शांति प्राप्त होती है।
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पाठ विधि (Vidhi):
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक व धूप जलाकर आसन ग्रहण करें।
- शांत चित्त होकर ध्यानपूर्वक गोपाल हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के अंत में भगवान विष्णु से प्रार्थना करें कि वे आपकी रक्षा करें और सभी पापों का नाश करें।
- यदि समय हो तो तुलसीपत्र अर्पण करें और अंत में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें (यदि संभव हो)।
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जप का समय (Recommended Time):
- 📿 प्रातःकाल (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) – सर्वोत्तम समय माना गया है।
- 📿 सायंकाल में सूर्यास्त के समय – मानसिक शांति के लिए उत्तम।
- विशेष रूप से एकादशी, गुरुवार या वैष्णव पर्व (जैसे जन्माष्टमी, रामनवमी आदि) पर इसका पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है।
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