“श्री गंगा दशहरा स्तोत्र” एक अत्यंत पुण्यदायी स्तोत्र है जो माँ गंगा की महिमा का गान करता है। यह स्तोत्र मुख्यतः गंगा दशहरा पर्व पर, या फिर किसी भी दिन माँ गंगा की कृपा प्राप्त करने हेतु पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र गंगा जी को ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र, शुद्धता, मोक्ष और पापनाशिनी रूप में पूजता है।
काली गायत्री मन्त्र (Kali Gayatri Mantra)
गंगा दशहरा स्तोत्र (Ganga Dussehra Stotra):
ॐ नमः शिवायै गंगायै, शिवदायै नमो नमः ।
नमस्ते विष्णु-रुपिण्यै, ब्रह्म-मूर्त्यै नमोऽस्तु ते ।। (1)
नमस्ते रुद्र-रुपिण्यै, शांकर्यै ते नमो नमः ।
सर्व-देव-स्वरुपिण्यै, नमो भेषज-मूर्त्तये ।। (2)
सर्वस्य सर्व-व्याधीनां, भिषक्-श्रेष्ठ्यै नमोऽस्तु ते ।
स्थास्नु-जंगम-सम्भूत-विष-हन्त्र्यै नमोऽस्तु ते ।। (3)
संसार-विष-नाशिन्यै, जीवानायै नमोऽस्तु ते ।
ताप-त्रितय-संहन्त्र्यै, प्राणश्यै ते नमो नमः ।। (4)
शन्ति-सन्तान-कारिण्यै, नमस्ते शुद्ध-मूर्त्तये ।
सर्व-संशुद्धि-कारिण्यै, नमः पापारि-मूर्त्तये ।। (5)
भुक्ति-मुक्ति-प्रदायिन्यै, भद्रदायै नमो नमः ।
भोगोपभोग-दायिन्यै, भोग-वत्यै नमोऽस्तु ते ।। (6)
मन्दाकिन्यै नमस्तेऽस्तु, स्वर्गदायै नमो नमः ।
नमस्त्रैलोक्य-भूषायै, त्रि-पथायै नमो नमः ।। (7)
नमस्त्रि-शुक्ल-संस्थायै, क्षमा-वत्यै नमो नमः ।
त्रि-हुताशन-संस्थायै, तेजो-वत्यै नमो नमः ।। (8)
नन्दायै लिंग-धारिण्यै, सुधा-धारात्मने नमः ।
नमस्ते विश्व-मुख्यायै, रेवत्यै ते नमो नमः ।। (9)
बृहत्यै ते नमस्तेऽस्तु, लोक-धात्र्यै नमोऽस्तु ते ।
नमस्ते विश्व-मित्रायै, नन्दिन्यै ते नमो नमः ।। (10)
पृथ्व्यै शिवामृतायै च, सु-वृषायै नमो नमः ।
परापर-शताढ्यै, तारायै ते नमो नमः ।। (11)
पाश-जाल-निकृन्तिन्यै, अभिन्नायै नमोऽस्तु ते ।
शान्तायै च वरिष्ठायै, वरदायै नमो नमः ।। (12)
उग्रायै सुख-जग्ध्यै च, सञ्जीविन्यै नमोऽस्तु ते ।
ब्रह्मिष्ठायै-ब्रह्मदायै, दुरितघ्न्यै नमो नमः ।। (13)
प्रणतार्ति-प्रभञ्जिन्यै, जग्मात्रे नमोऽस्तु ते ।
सर्वापत्-प्रति-पक्षायै, मंगलायै नमो नमः ।। (14)
शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे ।
सर्वस्यार्ति-हरे देवि! नारायणि ! नमोऽस्तु ते ।। (15)
निर्लेपायै दुर्ग-हन्त्र्यै, सक्षायै ते नमो नमः ।
परापर-परायै च, गंगे निर्वाण-दायिनि ।। (16)
गंगे ममाऽग्रतो भूया, गंगे मे तिष्ठ पृष्ठतः ।
गंगे मे पार्श्वयोरेधि, गंगे त्वय्यस्तु मे स्थिति ।। (17)
आदौ त्वमन्ते मध्ये च, सर्व त्वं गांगते शिवे!
त्वमेव मूल-प्रकृतिस्त्वं पुमान् पर एव हि ।
गंगे त्वं परमात्मा च, शिवस्तुभ्यं नमः शिवे ।। (18)
।। फलश्रुति ।।
य इदं पठते स्तोत्रं, श्रृणुयाच्छ्रद्धयाऽपि यः ।
दशधा मुच्यते पापैः, काय-वाक्-चित्त-सम्भवैः ।। (19)
रोगस्थो रोगतो मुच्येद्, विपद्भ्यश्च विपद्-युतः ।
मुच्यते बन्धनाद् बद्धो, भीतो भीतेः प्रमुच्यते ।। (20)
।। इति श्री गंगा दशहरा स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
अन्नपूर्णा गायत्री मन्त्र (Annapurna Gayatri Mantra)
गंगा दशहरा स्तोत्र का हिन्दी अनुवाद (Hindi Translation of Ganga Dussehra Stotra)
ॐ नमः शिवायै गंगायै, शिवदायै नमो नमः ।
नमस्ते विष्णु-रुपिण्यै, ब्रह्म-मूर्त्यै नमोऽस्तु ते ।। (1)
नमस्ते रुद्र-रुपिण्यै, शांकर्यै ते नमो नमः ।
सर्व-देव-स्वरुपिण्यै, नमो भेषज-मूर्त्तये ।। (2)
सर्वस्य सर्व-व्याधीनां, भिषक्-श्रेष्ठ्यै नमोऽस्तु ते ।
स्थास्नु-जंगम-सम्भूत-विष-हन्त्र्यै नमोऽस्तु ते ।। (3)
संसार-विष-नाशिन्यै, जीवानायै नमोऽस्तु ते ।
ताप-त्रितय-संहन्त्र्यै, प्राणश्यै ते नमो नमः ।। (4)
शन्ति-सन्तान-कारिण्यै, नमस्ते शुद्ध-मूर्त्तये ।
सर्व-संशुद्धि-कारिण्यै, नमः पापारि-मूर्त्तये ।। (5)
भुक्ति-मुक्ति-प्रदायिन्यै, भद्रदायै नमो नमः ।
भोगोपभोग-दायिन्यै, भोग-वत्यै नमोऽस्तु ते ।। (6)
मन्दाकिन्यै नमस्तेऽस्तु, स्वर्गदायै नमो नमः ।
नमस्त्रैलोक्य-भूषायै, त्रि-पथायै नमो नमः ।। (7)
नमस्त्रि-शुक्ल-संस्थायै, क्षमा-वत्यै नमो नमः ।
त्रि-हुताशन-संस्थायै, तेजो-वत्यै नमो नमः ।। (8)
नन्दायै लिंग-धारिण्यै, सुधा-धारात्मने नमः ।
नमस्ते विश्व-मुख्यायै, रेवत्यै ते नमो नमः ।। (9)
बृहत्यै ते नमस्तेऽस्तु, लोक-धात्र्यै नमोऽस्तु ते ।
नमस्ते विश्व-मित्रायै, नन्दिन्यै ते नमो नमः ।। (10)
पृथ्व्यै शिवामृतायै च, सु-वृषायै नमो नमः ।
परापर-शताढ्यै, तारायै ते नमो नमः ।। (11)
पाश-जाल-निकृन्तिन्यै, अभिन्नायै नमोऽस्तु ते ।
शान्तायै च वरिष्ठायै, वरदायै नमो नमः ।। (12)
उग्रायै सुख-जग्ध्यै च, सञ्जीविन्यै नमोऽस्तु ते ।
ब्रह्मिष्ठायै-ब्रह्मदायै, दुरितघ्न्यै नमो नमः ।। (13)
प्रणतार्ति-प्रभञ्जिन्यै, जग्मात्रे नमोऽस्तु ते ।
सर्वापत्-प्रति-पक्षायै, मंगलायै नमो नमः ।। (14)
शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे ।
सर्वस्यार्ति-हरे देवि! नारायणि ! नमोऽस्तु ते ।। (15)
निर्लेपायै दुर्ग-हन्त्र्यै, सक्षायै ते नमो नमः ।
परापर-परायै च, गंगे निर्वाण-दायिनि ।। (16)
गंगे ममाऽग्रतो भूया, गंगे मे तिष्ठ पृष्ठतः ।
गंगे मे पार्श्वयोरेधि, गंगे त्वय्यस्तु मे स्थिति ।। (17)
आदौ त्वमन्ते मध्ये च, सर्व त्वं गांगते शिवे!
त्वमेव मूल-प्रकृतिस्त्वं पुमान् पर एव हि ।
गंगे त्वं परमात्मा च, शिवस्तुभ्यं नमः शिवे ।। (18)
।। फलश्रुति ।।
य इदं पठते स्तोत्रं, श्रृणुयाच्छ्रद्धयाऽपि यः ।
दशधा मुच्यते पापैः, काय-वाक्-चित्त-सम्भवैः ।। (19)
रोगस्थो रोगतो मुच्येद्, विपद्भ्यश्च विपद्-युतः ।
मुच्यते बन्धनाद् बद्धो, भीतो भीतेः प्रमुच्यते ।। (20)
।। इति श्री गंगा दशहरा स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
दुर्गा गायत्री मन्त्र (Durga Gayatri Mantra)
लाभ (Benefits)
- पापों का नाश: कायिक (शारीरिक), वाचिक (वाणी से), और मानसिक पापों से मुक्ति मिलती है।
- रोगों से छुटकारा: यह स्तोत्र पढ़ने से पुराने से पुराने रोग भी शांत हो जाते हैं।
- भय व बंधनों से मुक्ति: शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक भय समाप्त होते हैं।
- शांति, समृद्धि और मोक्ष: मानसिक शांति, परिवार में सुख-शांति और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- गंगा का आशीर्वाद: गंगा माता का संरक्षण जीवन भर प्राप्त होता है।
हयग्रीव गायत्री मन्त्र (Hayagriva Gayatri Mantra)
विधि (Vidhi)
- स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- घर में गंगा जल या गंगा माता की तस्वीर रखें।
- दीपक जलाएं, चंदन, फूल और गंध अर्पित करें।
- यदि संभव हो तो गंगा जल से आचमन करें या थोड़ा सिर पर छिड़कें।
- शुद्ध उच्चारण के साथ इस स्तोत्र का एकाग्रचित्त होकर पाठ करें।
- पाठ के अंत में गंगा आरती करें और अपनी मनोकामना बोलें।
दक्षिणामूर्ती गायत्री मन्त्र (Dakshinamurti Gayatri Mantra)
जाप का समय (Jaap Time)
- प्रातःकाल (सुबह 4 से 8 बजे के बीच) — उत्तम समय।
- गंगा दशहरा, दशमी तिथि, सोमवती अमावस्या, या किसी भी विशेष गंगा पर्व पर विशेष फलदायी।
- यदि गंगा तट पर हों, तो सूर्योदय या सूर्यास्त के समय पाठ सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
विष्णु गायत्री मन्त्र (Vishnu Gayatri Mantra)
जाप संख्या (Jaap Sankhya)
- 1 बार नित्य पाठ से भी लाभ प्राप्त होता है।
- विशेष लाभ हेतु:
- 11 बार पाठ — रोग मुक्ति के लिए
- 21 बार पाठ — पाप नाश के लिए
- 108 बार पाठ — संपूर्ण कल्याण और मोक्ष के लिए
ब्रह्मा गायत्री मन्त्र (Brahma Gayatri Mantra)
लक्ष्मी गायत्री मंत्र (Lakshmi Gayatri Mantra)
ॐ वामदेवाय नमः मंत्र – वामदेव मंत्र (Om Vamdevaya Namah Mantra – Vamdev Mantra)
ॐ नमो भगवती पद्मावती – पद्मावती मंत्र (Om Namo Bhagwati Padmavati – Padmavati Mantra)