माँ कालरात्रि देवी नवरात्रि की सातवीं शक्ति हैं, जिन्हें सप्तमी तिथि को पूजा जाता है। इनका स्वरूप अत्यंत भयावह होते हुए भी अत्यंत शुभकारी है, इसलिए इन्हें “शुभंकरी” भी कहा जाता है। माँ कालरात्रि का रंग अंधकार के समान काला है, उनके बाल बिखरे हुए हैं, और वे गर्दभ (गधे) की सवारी करती हैं। उनके चार हाथों में खड्ग, वज्र, अभय और वरमुद्रा होती है। माँ कालरात्रि की पूजा से सभी प्रकार के भय, रोग, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
काल भैरव तांडव स्तोत्रं (Kaal Bhairav Tandav Stotram)
माँ कालरात्रि देवी स्तोत्र
करालवदनां घोरां मुक्तकेशीं चतुर्भुताम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युत्मालाविभूषिताम्॥
दिव्य लौहवज्रखड्ग वामाघोर्ध्वकराम्बुजाम्।
अभयं वरदांचैव दक्षिणोध्र्वाघ:पाणिकाम्॥
महामेघप्रभां श्यामांतथा चैपगर्दभारूढां।
घोरदंष्टाकारालास्यां पीनोन्नतपयोधराम्॥
सुख प्रसन्न वदनास्मेरानसरोरूहाम्।
एवं संचियन्तयेत कालरात्रिं सर्वकामसमृद्धिधदाम्॥
स्तोत्र
हीं कालरात्रि श्रीं कराली चक्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलीदर्पध्नीकमदींशकृपन्विता॥
कामबीजजपान्दाकमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघन्कुलीनार्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लींहीं श्रीं मंत्रवर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधाराकृपापाराकृपागमा॥
इति माँ कालरात्रि देवी स्तोत्र सम्पूर्णम्॥
कामना सिद्धि स्रोत्र (Kamana Siddhi Stotra)
माँ कालरात्रि देवी स्तोत्र का सरल हिंदी अनुवाद:
1.
जो देवी भयानक मुख वाली हैं, अत्यंत घोर रूप वाली हैं, खुले हुए बालों वाली हैं, चार भुजाओं से युक्त हैं,
वे कालरात्रि देवी, जो प्रचंड हैं, विद्युतमाला से विभूषित हैं — उनका ध्यान कीजिए।
2.
जिनके बाएँ ऊपर के हाथ में लौह वज्र और खड्ग (तलवार) है,
और दाएँ ऊपर के हाथ में अभय (डर न लगने का वर) तथा वरदान देने वाली मुद्रा है — वे कालरात्रि माता हैं।
3.
जिनका रंग गहरे बादल के समान काला है, जो गर्दभ (गधे) पर सवार हैं,
जिनके दांत भयंकर हैं, और जिनका हास्य भीषण है, जिनकी स्तनस्थलियाँ उन्नत और पुष्ट हैं — वे माता हैं।
4.
जिनका मुखमंडल प्रसन्नता से भरा है, जिनके नेत्र कमल के समान सुंदर हैं —
ऐसी कालरात्रि देवी का ध्यान करने से सभी कामनाएँ पूर्ण होती हैं।
स्तोत्र का अर्थ:
1.
हीं, कालरात्रि! श्रीं, कराली! चक्लिं, कल्याणी! कलावती!
आप काल की माता हैं, कलियुग के अहंकार को नष्ट करने वाली हैं, और करुणा से युक्त हैं।
2.
आप कामबीज (काम का बीज) का जप करने वालों की रक्षक हैं, आप स्वयं कामबीज स्वरूपा हैं,
आप दुष्ट बुद्धि का नाश करने वाली हैं, और श्रेष्ठ कुल में उत्पन्न पीड़ितों को सुख देने वाली हैं।
3.
आप “क्लीं”, “हीं”, “श्रीं” इन मंत्राक्षरों द्वारा कालरूपी कांटे का नाश करने वाली हैं।
आप करुणा की स्वरूपा हैं — करुणा की धारा, करुणा की पराकाष्ठा, और करुणा की ही साक्षात प्रतीक हैं।
॥ इति माँ कालरात्रि देवी स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
कामकला कालीस्तोत्रं (Kamakala Kali Stotram)
लाभ (Benefits)
- भय और शत्रु से मुक्ति: माँ कालरात्रि की उपासना से जीवन के सभी भय और शत्रु बाधाएँ समाप्त होती हैं।
- रोगों से राहत: इनकी पूजा से शरीर और मन के रोग दूर होते हैं, और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: माँ कालरात्रि की कृपा से घर और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियाँ दूर होती हैं।
- शनि दोष से मुक्ति: माँ कालरात्रि को शनि ग्रह की नियंत्रक माना जाता है, अतः इनकी पूजा से शनि दोष कम होता है।
पूजा विधि (Puja Vidhi)
- स्नान और स्वच्छता: सप्तमी के दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें।
- मूर्ति स्थापना: माँ कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र को लाल कपड़े पर स्थापित करें।
- शुद्धिकरण: गंगाजल से मूर्ति का शुद्धिकरण करें और घी का दीपक जलाएं।
- पूजन सामग्री अर्पण: रोली, अक्षत, गुड़हल या रातरानी के फूल, कुमकुम, धूप और दीप अर्पित करें।
- भोग: माँ को गुड़, मालपुआ, शहद या गुड़ से बनी मिठाइयाँ अर्पित करें।
- मंत्र जाप: “ॐ कालरात्र्यै नमः” या “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
- पाठ और आरती: दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें और माँ की आरती उतारें।
कल्कि स्तोत्रम् (Kalki Stotram)
पूजा का समय (Puja Timing)
माँ कालरात्रि की पूजा सप्तमी तिथि को की जाती है। इस दिन पूजा का सर्वोत्तम समय रात्रि का होता है, क्योंकि माँ कालरात्रि रात्रि की देवी हैं। रात्रि में पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
ॐ सर्व भावनाय नमः (Om Sarva Bhavnaya Namah)
रचना का इतिहास (Composition History)
माँ कालरात्रि देवी स्तोत्र की रचना के बारे में विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है। यह स्तोत्र पारंपरिक रूप से मौखिक परंपरा में प्रचलित है और विभिन्न ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। यह स्तोत्र भक्तों द्वारा माँ कालरात्रि की स्तुति और आराधना के लिए प्रयोग किया जाता है।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अद्या लक्ष्मी (Om Hreem Kleem Adya Lakshmi)
माँ कालरात्रि की पूजा से जीवन में आने वाले सभी संकटों का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से भक्तों को भय, रोग, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की आराधना करके उनके आशीर्वाद से जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।
ॐ पूर्ण सत्वाय नमः (Om Purna Satvaya Namah)
ॐ गोप्त्रे नमः (Om Goptre Namah)
ओम वर्धनाय नमः (Om Vardhanaya Namah)