ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है जो भगवान गणेश को समर्पित है। यह विशेष रूप से ऋण (कर्ज), दरिद्रता (गरीबी), एवं आर्थिक संकटों को दूर करने के लिए पाठ किया जाता है। इसका नियमित पाठ व्यक्ति को कुबेर के समान धन-समृद्धि प्राप्त करने में सहायक माना गया है।
ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का अर्थ है—“कर्जों को हरने वाला गणेश स्तोत्र।” यह स्तोत्र उस श्रीगणेश की स्तुति है, जिन्हें समस्त विघ्नों का नाशक तथा सिद्धियों का दाता माना जाता है। ऋषि-मुनियों, देवताओं, व अन्य महान पुरुषों ने अपने-अपने उद्देश्यों की सिद्धि के लिए जब-जब गणेशजी की आराधना की, तब-तब उन्हें सफलता प्राप्त हुई। इस स्तोत्र में ऐसे कई उदाहरणों का उल्लेख है।
||ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र ||
॥ ध्यान ॥
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् ।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥
॥ मूल-पाठ ॥
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥
हिंदी अनुवाद सहित मूल पाठ (Original text with Hindi translation):
॥ ध्यान ॥
ॐ
सिंदूर के समान वर्ण वाले, दो भुजाओं वाले, लम्बोदर (बड़े पेट वाले), कमल के फूल पर विराजमान श्रीगणेश को मैं प्रणाम करता हूँ, जो ब्रह्मा आदि देवताओं और सिद्धों द्वारा सेवित हैं।
॥ मूल स्तोत्र ॥
1.
सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्माजी द्वारा पूजित गणेशजी फल-सिद्धि देने वाले हैं।
सदैव पार्वती-पुत्र गणेश मेरा ऋण नाश करें॥
2.
त्रिपुर राक्षस के वध से पूर्व भगवान शिव द्वारा पूजित गणेशजी।
सदैव पार्वती-पुत्र गणेश मेरा ऋण नाश करें॥
3.
हिरण्यकश्यप आदि दैत्यों के वध के लिए विष्णु द्वारा पूजित गणेशजी।
सदैव पार्वती-पुत्र गणेश मेरा ऋण नाश करें॥
4.
महिषासुर के वध के समय देवी द्वारा पूजित गणेशजी।
सदैव पार्वती-पुत्र गणेश मेरा ऋण नाश करें॥
5.
तारकासुर के वध से पूर्व भगवान कार्तिकेय (कुमार) द्वारा पूजित गणेशजी।
सदैव पार्वती-पुत्र गणेश मेरा ऋण नाश करें॥
6.
सूर्यदेव द्वारा अपनी तेज़ वृद्धि हेतु पूजित श्रीगणेश।
सदैव पार्वती-पुत्र गणेश मेरा ऋण नाश करें॥
7.
चंद्रदेव द्वारा अपनी कांति बढ़ाने के लिए पूजित गणेश।
सदैव पार्वती-पुत्र गणेश मेरा ऋण नाश करें॥
8.
तपस्वियों की रक्षा हेतु विश्वामित्र मुनि द्वारा पूजित गणेशजी।
सदैव पार्वती-पुत्र गणेश मेरा ऋण नाश करें॥
फलश्रुति (पाठ के लाभ) (Phalashruti (benefits of the lesson):)
“इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एकवारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहितः।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत्॥”
अनुवाद:
जो व्यक्ति इस ऋणहर्ता स्तोत्र का एक वर्ष तक नित्य एक बार श्रद्धा और एकाग्रता से पाठ करता है, वह भीषण दरिद्रता को त्यागकर कुबेर के समान संपत्ति और वैभव को प्राप्त करता है।
इस स्तोत्र के पाठ के विशेष लाभ (Special benefits of reciting this stotra):
- मानसिक शांति एवं आत्मबल में वृद्धि
- ऋण एवं आर्थिक संकटों से मुक्ति
- व्यवसाय या नौकरी में स्थिरता और सफलता
- दरिद्रता व दुर्भाग्य का नाश
- भगवान गणेश की विशेष कृपा की प्राप्ति