ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है जो भगवान गणेश को समर्पित है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो कर्ज़ के बोझ से दबे हुए हैं और आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं। यह स्तोत्र ब्रह्मांड पुराण से लिया गया है और इसे श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के साथ नियमित रूप से पढ़ने पर चमत्कारिक लाभ मिलते हैं।
‘ऋणमोचन’ का अर्थ क्या है? (What does ‘debt relief’ mean?)
‘ऋणमोचन’ दो शब्दों से मिलकर बना है –
- ऋण (कर्ज़)
- मोचन (मुक्ति या छुटकारा)
अर्थात भगवान गणेश का यह स्वरूप कर्ज़ से मुक्ति दिलाने वाला है।
क्यों करें ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र का पाठ? (Why recite the Debt Relief Mahaganapati Stotra?)
- यदि आप लंबे समय से कर्ज़ में डूबे हैं और सारी कोशिशों के बाद भी ऋण उतर नहीं रहा है, तो यह स्तोत्र संजीवनी का काम करता है।
- यह पाठ न केवल आर्थिक समस्याएं दूर करता है, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा, आत्मविश्वास और समृद्धि भी लाता है।
- यह स्तोत्र नकारात्मक शक्तियों को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करता है।
ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र के मुख्य लाभ (Main benefits of Debt Relief Mahaganapati Stotra)
✅ पुराने कर्ज़ से मुक्ति
✅ धन और समृद्धि की प्राप्ति
✅ घर में सुख-शांति और सौभाग्य का वास
✅ लक्ष्मी कृपा के साथ आर्थिक स्थिरता
✅ हर कार्य में सफलता और विघ्नों का नाश
✅ जीवन में तेज़ प्रगति और आत्मविकास
कौन करें इस स्तोत्र का पाठ? (Who should recite this hymn?)
- वे लोग जिनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी हो।
- जिन पर बहुत ज्यादा ऋण चढ़ चुका हो।
- जो अपनी मेहनत का फल नहीं पा रहे हों।
- जो समृद्धि और खुशहाल जीवन की कामना करते हों।
नियमित पाठ करने से आपको न केवल आर्थिक लाभ मिलेंगे, बल्कि मानसिक शांति और आत्मबल भी प्राप्त होगा।
ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र (Rinmochan Mahaganpati Stotra Lyrics)
विनियोग –
ॐ अस्य श्री ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र मंत्रस्य भगवान् शुक्राचार्य ऋषिः, ऋणमोचन गणपतिः देवता, मम ऋणमोचनार्थं जपे विनियोगः।
ऋष्यादि न्यास –
भगवान् शुक्राचार्य ऋषये नमः शिरसि,
ऋणमोचन गणपति देवतायै नमः हृदि,
मम ऋणमोचनार्थे जपे विनियोगाय नमः अञ्जलौ।
मूल स्तोत्र –
ॐ स्मरामि देवदेवेशं, वक्रतुण्डं महाबलम्।
षडक्षरं कृपासिन्धुं, नमामि ऋणमुक्तये॥1॥
महागणपतिं देवं, महासत्त्वं महाबलम्।
महाविघ्नहरं सौम्यं, नमामि ऋणमुक्तये॥2॥
एकाक्षरं एकदन्तं, एकब्रह्म सनातनम्।
एकमेवाद्वितीयं च, नमामि ऋणमुक्तये॥3॥
शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णं, शुक्लगन्धानुलेपनम्।
सर्वशुक्लमयं देवं, नमामि ऋणमुक्तये॥4॥
रक्ताम्बरं रक्तवर्णं, रक्तगन्धानुलेपनम्।
रक्तपुष्पैः पूज्यमानं, नमामि ऋणमुक्तये॥5॥
कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णं, कृष्णगन्धानुलेपनम्।
कृष्णपुष्पैः पूज्यमानं, नमामि ऋणमुक्तये॥6॥
पीताम्बरं पीतवर्णं, पीतगन्धानुलेपनम्।
पीतपुष्पैः पूज्यमानं, नमामि ऋणमुक्तये॥7॥
नीलाम्बरं नीलवर्णं, नीलगन्धानुलेपनम्।
नीलपुष्पैः पूज्यमानं, नमामि ऋणमुक्तये॥8॥
धूम्राम्बरं धूम्रवर्णं, धूम्रगन्धानुलेपनम्।
धूम्रपुष्पैः पूज्यमानं, नमामि ऋणमुक्तये॥9॥
सर्वाम्बरं सर्ववर्णं, सर्वगन्धानुलेपनम्।
सर्वपुष्पैः पूज्यमानं, नमामि ऋणमुक्तये॥10॥
भद्रजातं च रूपं च, पाशांकुशधरं शुभम्।
सर्वविघ्नहरं देवं, नमामि ऋणमुक्तये॥11॥
फलश्रुति –
यः पठेत् ऋणहरं स्तोत्रं प्रातःकाले सुधी नरः।
षण्मासाभ्यन्तरे चैव, ऋणच्छेदो भविष्यति॥
जो व्यक्ति इस “ऋणमोचन स्तोत्र” का नित्य प्रातःकाल पाठ करता है, उसका छह माह के भीतर ऋण निवारण निश्चित होता है।
ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र | Rinmochan Mahaganpati Stotra (हिंदी अनुवाद)
विनियोग –
ॐ इस श्री ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र मंत्र के ऋषि भगवान शुक्राचार्य हैं,
देवता ऋणमोचन गणपति हैं,
और इसका जप मेरे समस्त ऋणों से मुक्ति के लिए किया जा रहा है — यही विनियोग है।
ऋष्यादि न्यास –
भगवान शुक्राचार्य ऋषि को मस्तक पर नमस्कार,
ऋणमोचन गणपति देवता को हृदय में नमस्कार,
और ऋणमुक्ति के लिए इस जप का विनियोग हाथों में (अंजलि में) किया जाता है।
मूल स्तोत्र (हिंदी अनुवाद)
मैं स्मरण करता हूँ देवों के देव, वक्रतुण्ड महाबलवान को,
जो करुणा के सागर हैं और ऋण से मुक्ति देने वाले हैं।॥1॥
मैं नमन करता हूँ महागणपति को,
जो महान सामर्थ्य और बल से परिपूर्ण हैं,
सभी विघ्नों को हरने वाले हैं।॥2॥
जो एकाक्षर, एकदंत, सनातन और एकमात्र ब्रह्म हैं —
ऐसे अद्वितीय गणेश को नमन करता हूँ, ऋण से मुक्ति के लिए।॥3॥
जो श्वेत वस्त्र, श्वेत रंग और श्वेत चंदन से सुशोभित हैं,
ऐसे पूर्णतया श्वेत देव को नमन करता हूँ।॥4॥
जो रक्त वस्त्र, रक्त वर्ण और रक्त चंदन से विभूषित हैं,
रक्त पुष्पों से पूजित होते हैं — उन्हें नमन करता हूँ।॥5॥
जो कृष्ण वस्त्र, कृष्ण वर्ण और कृष्ण चंदन से सुसज्जित हैं,
कृष्ण पुष्पों से पूजित होते हैं — उन्हें नमन करता हूँ।॥6॥
जो पीले वस्त्र, पीले रंग और पीले चंदन से अलंकृत हैं,
पीले पुष्पों से पूजित होते हैं — उन्हें नमन करता हूँ।॥7॥
जो नीले वस्त्र, नीले रंग और नीले चंदन से सज्जित हैं,
नीले पुष्पों से पूजित होते हैं — उन्हें नमन करता हूँ।॥8॥
जो धूम्रवर्ण वस्त्र, धूम्र रंग और धूम्र चंदन से भूषित हैं,
धूम्र पुष्पों से पूजित होते हैं — उन्हें नमन करता हूँ।॥9॥
जो सभी रंगों के वस्त्र, चंदन और पुष्पों से पूजित होते हैं,
ऐसे सर्वरंगमय गणेश को नमन करता हूँ।॥10॥
जो भद्र रूप, शुभ आकृति वाले हैं और पाश व अंकुश धारण करते हैं,
सभी विघ्नों को दूर करने वाले हैं — उन्हें नमन करता हूँ।॥11॥
फलश्रुति –
जो भी श्रद्धालु व्यक्ति इस ऋणहरण स्तोत्र का नित्य प्रातःकाल पाठ करता है,
उसका छह महीने के भीतर ऋण समाप्त हो जाता है।