यह स्तोत्र भगवान दत्तात्रेय की कृपा प्राप्त करने के लिए गाया जाता है, विशेषकर तब जब जीवन में अत्यंत घोर कष्ट, ऋण, रोग, शत्रु पीड़ा, या भय का अनुभव हो रहा हो। “घोरकष्ट” का अर्थ है बहुत ही कठिन और गंभीर समस्याएँ, और “उद्धरण” यानी उनसे मुक्ति।
भगवान दत्तात्रेय कौन हैं? (Who is Lord Dattatreya?)
भगवान दत्तात्रेय, त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, और महेश – के संयुक्त अवतार माने जाते हैं। वे योग, ज्ञान, भक्ति और आत्मकल्याण के परम मार्गदर्शक हैं। उन्हें अवधूत, योगीश्वर, और गुरु का गुरु भी कहा जाता है।
स्तोत्र के प्रभाव (Effects of the hymn):
- घोर मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति
- ऋण नाश और आर्थिक संकटों से छुटकारा
- शत्रु बाधा और दुर्भावना से रक्षा
- मानसिक शांति और आत्मिक बल
- गुरु कृपा और आध्यात्मिक प्रगति
- दत्तात्रेय भगवान का विशेष आशीर्वाद
।। घोरकष्टोद्धरण स्तोत्र ।।
श्रीपाद श्रीवल्लभ त्वं सदैव । श्रीदत्तास्मान्पाहि देवाधि देव ।।
भावग्राह्य क्लेशहारिन्सुकीर्ते ।घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ॥१॥
त्वं नो माता त्वं पिताप्तोऽधिपस्त्वं। त्राता योगक्षेमकृत्सदगुरूस्त्वं ।।
त्वं सर्वस्वं नो प्रभो विश्वमूर्ते ।घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ॥२॥
पापं तापं व्याधिंमाधिं च दैन्यं । भीतिं क्लेशं त्वं हराऽशुत्व दैन्यम् ।।
त्रातारं नो वीक्ष ईशास्त जूर्ते । घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ॥३॥
नान्यस्त्राता नापि दाता न भर्ता । त्वतो देव त्वं शरण्योऽकहर्ता ॥
कुर्वात्रेयानुग्रहं पुर्णराते । घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ॥४॥
धर्मेप्रीतिं सन्मतिं देवभक्तिम्। सत्संगाप्तिम देहि भुक्तिं च मुक्तिम् ।।
भावासक्तिर्चाखिलानंदमूर्ते । घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ॥५॥
॥श्लोकपंचकमेतद्यो लोकमंगलवर्धनम् ॥ प्रपठेन्नियतो भक्त्या स श्रीदत्तप्रियोभवेत् ॥
इति श्रीवासुदेवानंदसरस्वती स्वामीविरचितं घोरकष्टोद्धरण स्तोत्रम् संपूर्णम।
घोरकष्टोद्धरण स्तोत्र (हिंदी अर्थ सहित):
हे श्रीपाद श्रीवल्लभ, हे भगवान दत्तात्रेय! आप देवताओं के भी देव हैं, मैं आपको कोटि-कोटि नमस्कार करता हूँ। कृपया अपने भक्तों की पुकार को सुनिए और उनके जीवन से दुखों का अंत कीजिए। (1)
हे प्रभु! आप ही हमारे माता-पिता, संरक्षक और पालनकर्ता हैं। आप ही वह शक्ति हैं जो हमारे जीवन से समस्त कष्टों का नाश कर सकती है। आप सब कुछ देने में सक्षम हैं, आप सद्गुरु हैं, आपको बारंबार प्रणाम। (2)
हे प्रभु! मेरे समस्त पापों, दोषों, रोगों, भय, क्लेश और दरिद्रता का नाश कीजिए। मुझे अपने दिव्य आशीर्वाद से कष्टों से मुक्त कीजिए। मैं आपके चरणों में समर्पित हूँ। (3)
हे दत्तात्रेय भगवान! आपके समान ना कोई उद्धार करने वाला है, ना कोई देने वाला, और ना ही पालन करने वाला। जो भी आपकी शरण में आता है, आप उसे अपने दिव्य स्नेह में समाहित कर लेते हैं। आपको मेरा शत-शत नमन है। (4)
हे प्रभु! मेरे सभी कष्टों को दूर कर मुझे धर्म में अडिग विश्वास दीजिए। मुझे सद्बुद्धि दीजिए, उत्तम संगति दीजिए और ईश्वर भक्ति का मार्ग दिखाईए। भौतिक सुख देकर अंत में मुझे मोक्ष भी प्रदान कीजिए। आपको बारंबार प्रणाम है। (5)
जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक प्रतिदिन इन पाँच श्लोकों का पाठ करता है, वह सदा मंगल को प्राप्त करता है और भगवान दत्तात्रेय जी की कृपा का अधिकारी बनता है। भगवान उसे अपने प्रिय भक्तों में स्थान देते हैं। (6)