नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप श्वेत (सफेद) ज्योतिर्मय प्रकाश से युक्त है। इनका नाम “ब्रह्मचारिणी” इस बात का प्रतीक है कि इन्होंने भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप त्याग, तपस्या और संयम का प्रतीक है।
माँ ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप माला और दूसरे हाथ में कमंडल सुशोभित है। यह स्वरूप साधना, भक्ति और आत्मसंयम का प्रतीक है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में धैर्य, शक्ति और वैराग्य का संचार होता है। माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक के भीतर आध्यात्मिक जागरण होता है और सभी दुखों का नाश होता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से स्वाधिष्ठान चक्र सक्रिय होता है, जिससे साधक के भीतर आत्मविश्वास, संतोष और ध्यान की क्षमता जागृत होती है। इनकी कृपा से मन शांत होता है और साधक को अपने लक्ष्य की प्राप्ति होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी के प्रमुख मंत्र और अर्थ (Main mantras and meaning of Mother Brahmacharini.)
1. ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
अर्थ: मैं उन माँ ब्रह्मचारिणी की वंदना करता हूँ, जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान है, जिनके हाथों में जपमाला और कमंडल शोभायमान हैं। जो गौरवर्णा, त्रिनेत्रा और स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित हैं, उन देवी का मैं श्रद्धापूर्वक ध्यान करता हूँ।
2. बीज मंत्र
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं ब्रह्मचारिण्यै नमः
अर्थ: इस मंत्र के जप से साधक के भीतर संयम, शक्ति और वैराग्य का संचार होता है। साधक के जीवन से मानसिक तनाव दूर होता है और मन शांत होता है।
3. स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ: जो देवी सम्पूर्ण प्राणियों में ब्रह्मचारिणी के रूप में स्थित हैं, उन देवी को मैं बारंबार प्रणाम करता हूँ।
4. शक्तिदायिनी मंत्र
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
अर्थ: जिनके हाथों में जपमाला और कमंडल है, उन देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक को भक्ति, संयम और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती (Aarti of Mother Brahmacharini)
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि (Method of worship of Mother Brahmacharini)
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि इस प्रकार है:
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें।
- माँ को श्वेत पुष्प, अक्षत, चंदन, दूध, दही, शहद और पंचामृत अर्पित करें।
- धूप, दीप और कपूर से माँ की पूजा करें।
- माँ ब्रह्मचारिणी के बीज मंत्र और ध्यान मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
- माँ को मिठाई और फल का भोग लगाएं।
- माता को पान, सुपारी और लौंग अर्पित करें।
- माँ ब्रह्मचारिणी की आरती करें।
- प्रसाद वितरण करें और माँ से आशीर्वाद प्राप्त करें।
माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा के फल (Fruits of Mother Brahmacharini’s Grace)
🔸 मानसिक शांति और आत्मबल प्राप्त होता है।
🔸 संयम और धैर्य का विकास होता है।
🔸 भक्ति और साधना में सफलता मिलती है।
🔸 नकारात्मकता और मानसिक तनाव दूर होते हैं।
🔸 स्वाधिष्ठान चक्र का जागरण होता है।
🔸 मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
विशेष बात (Special thing)
- माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा में श्वेत वस्त्र धारण करें।
- माँ की पूजा में श्वेत पुष्प का विशेष महत्व है।
- माँ ब्रह्मचारिणी की साधना से मन की चंचलता समाप्त होती है और एकाग्रता बढ़ती है।
- इस दिन दूध, दही और सफेद मिठाइयों का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से आपके जीवन में शांति, शक्ति और साधना का संचार हो। ✨
🔱 जय माँ ब्रह्मचारिणी!