नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। देवी का यह स्वरूप शक्ति, साहस और शांति का प्रतीक है। माँ चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्धचंद्र का घंटे के रूप में विराजमान होना ही उनके नाम का कारण है। उनका स्वरूप अत्यंत दिव्य, मोहक और चमकीले स्वर्ण के समान है। माँ चंद्रघंटा का दर्शन मात्र ही साधक के जीवन से नकारात्मकता और भय को दूर करता है तथा जीवन में शांति, साहस और समृद्धि का संचार करता है।
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप ऐसा है कि उन्हें देखकर मन में भय और श्रद्धा दोनों का संचार होता है। माँ का सौम्य स्वरूप भक्तों को शांति प्रदान करता है, जबकि उनका रौद्र रूप अन्याय और अधर्म का नाश करता है। माँ चंद्रघंटा का तेज इतना प्रभावशाली है कि साधक के जीवन की हर समस्या स्वयं ही समाप्त हो जाती है।
माँ चंद्रघंटा के स्वरूप की विशेषताएं (Features of the form of Maa Chandraghanta)
✨ माँ चंद्रघंटा के दस भुजाएं हैं, जिनमें उन्होंने कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल, गदा जैसे शस्त्र धारण किए हैं।
✨ माँ का शरीर स्वर्ण के समान चमकीला है, जो उनके दिव्य स्वरूप को प्रकट करता है।
✨ माँ के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, जो उनके नाम का प्रतीक है।
✨ माँ की सवारी सिंह (शेर) है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।
✨ माँ के गले में सफेद फूलों की माला सुशोभित है, जो उनकी पवित्रता और शांति का संकेत है।
👉 माँ चंद्रघंटा का स्वरूप यह सिखाता है कि जीवन में साहस और संयम का संतुलन जरूरी है। माँ का रौद्र रूप हमें अन्याय और अधर्म के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देता है, वहीं उनका सौम्य रूप हमें जीवन में शांति और संतोष बनाए रखने की सीख देता है।
माँ चंद्रघंटा के प्रमुख मंत्र और अर्थ (Main mantras and meaning of Maa Chandraghanta.)
1. ध्यान मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
अर्थ: सिंह पर विराजमान माँ चंद्रघंटा, जिनके हाथों में चंद्र का आकार है और जो चंडी के समान तेजस्वी हैं, वे अपने भक्तों पर कृपा करें।
2. स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ: जो देवी सभी प्राणियों में चंद्रघंटा के रूप में स्थित हैं, उन्हें बारंबार प्रणाम।
3. शक्तिदायिनी मंत्र
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि चंद्रघंटे अनुत्तमा॥
अर्थ: जिनके हाथों में कमंडल और अक्षमाला शोभित है, उन माँ चंद्रघंटा की कृपा से साधक को शक्ति और शांति प्राप्त हो।
माँ चंद्रघंटा की आरती (Aarti of Mother Chandraghanta)
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।
माँ चंद्रघंटा की कृपा के फल
🔸 मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
🔸 जीवन में शांति और समृद्धि का संचार होता है।
🔸 नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
🔸 मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
🔸 सभी भय और संकट का अंत होता है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि (Method of Worship of Mother Chandraghanta)
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा इस विधि से करें:
- प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें।
- माँ को सफेद पुष्प, अक्षत (चावल), रोली, चंदन और दूध अर्पित करें।
- माँ को खीर और दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं।
- माँ को शहद अर्पित करें, जिससे वाणी में मधुरता आती है।
- माँ के बीज मंत्र और ध्यान मंत्र का जाप करें।
- माँ चंद्रघंटा की आरती करें और माता से मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद लें।
- भोग के बाद दूध का दान करें और ब्राह्मण को भोजन कराएं।
माँ चंद्रघंटा की उत्पत्ति की कथा (Story of the origin of Maa Chandraghanta)
देवी भागवत पुराण के अनुसार, जब माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की, तो भगवान शिव ने प्रसन्न होकर विवाह का प्रस्ताव दिया। विवाह के दिन भगवान शिव अपनी बारात के साथ अघोरी रूप में प्रकट हुए। उनके साथ भूत-प्रेत, पिशाच और डाकिनी-शाकिनी की सेना थी। भगवान शिव के इस रूप को देखकर माता पार्वती की माता और अन्य देवता भयभीत हो गए।
माँ पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने दिव्य स्वरूप को प्रकट किया। उन्होंने अपने मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र धारण किया और अत्यंत मोहक व तेजस्वी रूप धारण कर लिया। इस रूप को देखकर भगवान शिव शांत हो गए और उनके अघोरी स्वरूप का तेज कम हो गया। इसी दिव्य स्वरूप को माँ चंद्रघंटा के नाम से जाना गया।
माँ चंद्रघंटा की कृपा से आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भरा रहे। ✨
🔱 जय माँ चंद्रघंटा!