नवरात्रि का शुभारंभ माँ शैलपुत्री की पूजा से होता है। माँ शैलपुत्री नवरात्रि की प्रथम शक्ति मानी जाती हैं और उनकी पूजा से साधक को मानसिक शांति, शक्ति और स्थिरता प्राप्त होती है। “शैलपुत्री” का अर्थ है “पर्वतराज हिमालय की पुत्री”। माँ शैलपुत्री ही पूर्व जन्म में सती थीं, जिन्होंने यज्ञ कुंड में आत्मदाह किया था और अगले जन्म में शैलराज हिमालय के घर में जन्म लिया।
भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में, माँ शैलपुत्री के स्वरूप में सौम्यता और शक्ति का अद्भुत समन्वय है। इनकी पूजा से मूलाधार चक्र जागृत होता है, जिससे मनुष्य के भीतर आत्मबल और धैर्य का विकास होता है। माँ शैलपुत्री की कृपा से साधक के जीवन से सभी बाधाएं और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
माँ शैलपुत्री वृषभ (बैल) पर सवार हैं, उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल सुशोभित है। इनकी आराधना से साधक के जीवन में धैर्य, स्थिरता और सकारात्मकता का संचार होता है। नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा से साधक को आध्यात्मिक उन्नति और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
माँ शैलपुत्री के प्रमुख मंत्र और अर्थ (Main mantras and meaning of Maa Shailputri.)
1. ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
अर्थ: मैं उन माँ शैलपुत्री की वंदना करता हूँ, जो वांछित फल प्रदान करने वाली, मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करने वाली, वृषभ पर आरूढ़, त्रिशूल धारण करने वाली और यशस्विनी (सफलता देने वाली) हैं।
2. बीज मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः
अर्थ: यह मंत्र माँ शैलपुत्री की मूल शक्ति को जागृत करता है और साधक के भीतर शक्ति और आध्यात्मिक चेतना का संचार करता है।
3. स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ: जो देवी सम्पूर्ण प्राणियों में शैलपुत्री के रूप में स्थित हैं, उन देवी को मैं बारंबार प्रणाम करता हूँ।
4. शक्तिदायिनी मंत्र
ॐ शं शैलपुत्री देव्यै नमः
अर्थ: मैं माँ शैलपुत्री को प्रणाम करता हूँ, जो समस्त शक्ति और स्थिरता की अधिष्ठात्री हैं।
5. अन्य मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम।
माँ शैलपुत्री की आरती (Aarti of Mother Shailputri)
शैलपुत्री माँ बैल असवार।
करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी।
तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें।
जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू।
दया करें धनवान करें तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी।
आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो।
सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के।
गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मंत्र जपायें।
प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे।
शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो।
चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥
माँ शैलपुत्री स्तोत्र (Maa Shailputri Stotra)
प्रथम दुर्गा त्वहिभवसागर तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
त्रिलोकजननींत्वंहिपरमानंद प्रदीयनाम्।
सौभाग्यारोग्यदायनीशैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।
भुक्ति, मुक्ति दायनी,शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।
भुक्ति, मुक्ति दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम् ॥
माँ शैलपुत्री की पूजा विधि (Method of Worship of Mother Shailputri)
नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा विधि इस प्रकार है:
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- माँ शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें।
- माँ को सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प और चंदन अर्पित करें।
- धूप, दीप और घी का दीपक जलाएं।
- माँ को दूध, शहद और पंचमेवा का भोग लगाएं।
- उपरोक्त मंत्रों का जाप करें (कम से कम 108 बार)।
- माँ शैलपुत्री की आरती करें।
- प्रसाद वितरण करें और देवी से आशीर्वाद प्राप्त करें।
माँ शैलपुत्री की कृपा के फल (Fruits of Mother Shailputri’s Grace)
🔸 मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
🔸 मन और शरीर की शुद्धि होती है।
🔸 नकारात्मकता का नाश होता है।
🔸 मानसिक शांति और आत्मबल प्राप्त होता है।
🔸 जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है।
🔸 विवाह और संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है।
विशेष बात (Special thing)
- माँ शैलपुत्री की पूजा में सफेद वस्त्र और सफेद पुष्प का विशेष महत्व है।
- माँ शैलपुत्री मूलाधार चक्र की देवी हैं, इसलिए इस दिन मूलाधार चक्र के जागरण के लिए ध्यान और मंत्र जाप अवश्य करें।
- पूजा में शुद्धता और सात्त्विकता का विशेष ध्यान रखें।
माँ शैलपुत्री की कृपा से आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार हो।
🔱 जय माँ शैलपुत्री!