हिंदू धर्म में सूर्य देव को नवग्रहों का राजा और जीवन शक्ति का स्रोत माना जाता है। सूर्य की उपासना से व्यक्ति को स्वास्थ्य, बुद्धि, यश और समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव की कृपा से सभी बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति सफलता की ओर अग्रसर होता है।
रविवार का दिन सूर्य देव की उपासना के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है। इस दिन सूर्योदय के समय अर्घ्य देने और सूर्य अष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से सभी कष्टों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
सूर्य अष्टकम (Shri Surya Ashtakam)
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोSस्तु ते ॥1॥
अर्थ:
हे आदिदेव (प्रथम पूज्य देवता) सूर्य देव! आपको मेरा नमन। हे भास्कर (प्रकाश देने वाले), कृपया मुझ पर प्रसन्न हों। हे दिवाकर (दिन का प्रकाश फैलाने वाले), हे प्रभाकर (तेजस्विता प्रदान करने वाले), आपको मेरा बारंबार प्रणाम।
सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥2॥
अर्थ:
मैं उन सूर्य देव को प्रणाम करता हूँ, जो सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं, जो अत्यंत तेजस्वी हैं और महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे सफेद कमल के समान दिव्य स्वरूप वाले हैं, मैं उन्हें नमन करता हूँ।
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥3॥
अर्थ:
जो रक्तवर्ण (लाल आभा वाले) हैं, रथ पर आरूढ़ हैं और समस्त लोकों के पितामह (सृष्टि के सृजनकर्ता) हैं, ऐसे सूर्य देव समस्त पापों का नाश करने वाले हैं, मैं उन्हें प्रणाम करता हूँ।
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥4॥
सूर्य देव तीनों गुणों (सत्व, रज और तम) के धारक हैं, वे महान वीर हैं। वे स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के रूप में पूज्य हैं। ऐसे सूर्य देव समस्त पापों का नाश करने वाले हैं, मैं उन्हें नमन करता हूँ।
बृंहितं तेज:पु़ञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥5॥
अर्थ:
सूर्य देव महान तेजस्विता के पुंज हैं, वायु और आकाश तत्त्व में व्याप्त हैं। वे समस्त लोकों के स्वामी हैं, मैं उन सूर्य देव को प्रणाम करता हूँ।
बन्धूकपुष्पसंकाशं हारकुण्डलभूषितम् ।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥6॥
अर्थ:
जो बन्धूक पुष्प (गुलाबी-लाल फूल) के समान आभायुक्त हैं, जो आभूषणों से विभूषित हैं और जो एक विशाल चक्र धारण किए हुए हैं, ऐसे सूर्य देव को मैं प्रणाम करता हूँ।
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज:प्रदीपनम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥7॥
अर्थ:
सूर्य देव समस्त लोकों के सृजनकर्ता हैं, जो महान तेज से जगत को प्रकाशित करते हैं और समस्त पापों का नाश करने वाले हैं, ऐसे सूर्य देव को मैं नमन करता हूँ।
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥8॥
अर्थ:
जो इस सम्पूर्ण जगत के स्वामी हैं, जो ज्ञान का प्रकाश प्रदान करते हैं और मोक्ष का मार्ग दिखाते हैं, ऐसे समस्त पापों का नाश करने वाले सूर्य देव को मैं प्रणाम करता हूँ।
इति श्रीशिवप्रोक्तं सूर्याष्टकं सम्पूर्णम् ।
सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनम् ।
अपुत्रो लभते पुत्रं दारिद्रो धनवान् भवेत् ॥
अर्थ:
भगवान शिव द्वारा वर्णित यह सूर्य अष्टकम स्तोत्र पूर्ण हुआ। जो व्यक्ति इस स्तोत्र का नित्य पाठ करता है, उसकी ग्रह बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। जो संतानहीन हो, उसे संतान प्राप्त होती है, और जो निर्धन हो, वह धनवान बनता है।
अमिषं मधुपानं च यः करोति रवेर्दिने ।
सप्तजन्मभवेत् रोगि जन्मजन्म दरिद्रता ॥
अर्थ:
जो व्यक्ति रविवार के दिन माँस और मदिरा का सेवन करता है, वह अगले सात जन्मों तक रोगी और दरिद्र बना रहता है।
स्त्री-तैल-मधु-मांसानि ये त्यजन्ति रवेर्दिने ।
न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं च गच्छति ॥
अर्थ:
जो व्यक्ति रविवार के दिन स्त्री-संग, तैलीय भोजन, मधु (शहद) और मांस का त्याग करता है, वह रोग, शोक और दरिद्रता से मुक्त होकर सूर्य लोक को प्राप्त करता है।
सूर्य अष्टकम स्तोत्र के पाठ के नियम और लाभ (Rules and benefits of reciting Surya Ashtakam Stotra)
🔸 रविवार के दिन या नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
🔸 सूर्योदय के समय सूर्य अर्घ्य देने के बाद इस स्तोत्र का पाठ करें।
🔸 जो लोग स्वास्थ्य, सफलता और समृद्धि की कामना रखते हैं, उन्हें इस स्तोत्र का नित्य पाठ करना चाहिए।
🔸 सूर्य ग्रह की दशा कमजोर होने पर इस स्तोत्र का पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।
🔸 इस दिन मांस-मदिरा, तामसिक भोजन और नमक का त्याग करके सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
🔸 जो व्यक्ति इस स्तोत्र का विधिपूर्वक पाठ करता है, उसके सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
सूर्य अष्टकम स्तोत्र के पाठ से सूर्य देव प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं और भक्त को आरोग्य, ऐश्वर्य, यश और आत्मिक शांति प्रदान करते हैं।