भगवान शिव, जो संहारक, पालक और सृष्टि के मूल आधार हैं, उनके ध्यान और आवाहन से समस्त भय, कष्ट और मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। “शिव आवाहन मंत्र” भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र स्तुति है, जिसमें उनके विभिन्न स्वरूपों, शक्तियों और कृपा का वर्णन किया गया है।
इस मंत्र के माध्यम से भक्त महादेव का आह्वान करते हैं और उनसे कृपा, शांति, ज्ञान, मोक्ष तथा जीवन के समस्त संकटों के नाश की प्रार्थना करते हैं। यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जो भय, रोग, मृत्यु के डर या किसी भी प्रकार के जीवन संकट से मुक्ति पाना चाहते हैं।
शिव आवाहन मंत्र का महत्व:
🔹 मृत्यु और अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करता है।
🔹 भय, संकट और बाधाओं का नाश करता है।
🔹 भक्त को मोक्ष एवं अमरत्व का वरदान प्रदान करता है।
🔹 मानसिक शांति और आत्मबल को बढ़ाता है।
🔹 शिव कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
यह मंत्र भगवान महाकाल की उपासना का एक उत्कृष्ट साधन है, जो शिव भक्तों के हृदय में भक्ति, श्रद्धा और आत्मिक ऊर्जा का संचार करता है।
शिव आवाहन मंत्र (Shiva Aahvaan Mantra):
ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।
तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।
वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।
नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।
आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।
नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।
देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।
नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।
नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।
अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।
नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।
सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।
शिव आवाहन मंत्र (अर्थ सहित)
- “हे शिव, हे देवों के देव! आप मृत्यु को पराजित करने वाले, समस्त बाधाओं को हरने वाले और संसार के समस्त भय को नष्ट करने वाले हैं। आपके ध्यान से मृत्यु का ग्रास बना जीव पुनः जीवन प्राप्त कर सकता है।”
- “मैं उन भगवान शिव को नमन करता हूँ, जो ईशान दिशा के स्वामी हैं, जो पिनाकधारी हैं। हे प्रभु! मेरी समस्त पीड़ाओं, जन्म-मरण के बंधनों और कालचक्र की सीमा को समाप्त करें।”
- “नमन करता हूँ कैलाशपति महादेव को, जो ब्रह्मा और इंद्र द्वारा पूजनीय हैं। हे शिव! अपनी कृपा से मेरे समस्त भय और मृत्यु को नष्ट करें।”
- “त्र्यंबक, तीन नेत्रों वाले भगवान शिव को प्रणाम, पंचमुखी शिव को नमन। हे धनुषधारी महादेव, कृपा कर मेरी समस्त बाधाओं और मृत्यु के भय को समाप्त करें।”
- “चंद्रमौलि शिव को मेरा प्रणाम, जो अनंत आकाश के विस्तार जैसे हैं। हे कृपालु, अपने भक्तों के भय को हरकर उन्हें अमरत्व एवं शुभ जीवन का आशीर्वाद दें।”
- “जो मृत्यु और विनाश के परे हैं, जो भय को हरने वाले हैं, जो राज्य, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करने वाले हैं, उन शिव को नमन करता हूँ, जो नाना भूतगणों द्वारा सदा पूजित रहते हैं।”
- “जो अज्ञान के अंधकार को दूर करने वाले, शुभता और ज्ञान के स्रोत, समस्त विद्याओं में आनंद देने वाले हैं, उन महेश्वर, हर, मृत्युंजय भगवान को बारंबार प्रणाम करता हूँ।”