भगवान कार्तिकेय, जिन्हें षण्मुख, मुरुगन और स्कन्द के नाम से भी जाना जाता है, की आराधना के लिए षण्मुख गायत्री मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली साधना मंत्र है। यह मंत्र उनके छह मुखों का प्रतिनिधित्व करता है और साधक को साहस, आत्मबल और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
षण्मुख गायत्री मंत्र और अर्थ (Shanmukh Gayatri Mantra and meaning)
मंत्र: ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि। तन्नः षण्मुख प्रचोदयात्॥
अर्थ:
हम उस दिव्य पुरुष (कार्तिकेय) का ध्यान करते हैं, जो महान सेनापति हैं।
कृपया भगवान षण्मुख हमारे ज्ञान को प्रकाशित कर हमें सही मार्ग दिखाएं।
षण्मुख गायत्री मंत्र के लाभ (Benefits of Shanmukh Gayatri Mantra)
● शत्रुनाशक प्रभाव: यह मंत्र शत्रुओं से रक्षा करता है और नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करता है।
● मानसिक शांति: नियमित जप से मन की शांति और एकाग्रता बढ़ती है।
● आध्यात्मिक उन्नति: साधक को आत्मज्ञान की ओर अग्रसर करता है।
● स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है।
● धन और समृद्धि: आर्थिक समृद्धि को आकर्षित करता है।
● बाधाओं का निवारण: जीवन की कठिनाइयों को दूर करने में सहायक।
● बुद्धि और विवेक में वृद्धि: साधक की सोचने और समझने की क्षमता बढ़ती है।
● पारिवारिक सौहार्द: परिवार में सुख-शांति और प्रेम को बढ़ावा देता है।
विवाह में सफलता: वैवाहिक जीवन की बाधाओं को दूर करता है।
● भय का नाश: जीवन के सभी प्रकार के भय को समाप्त करता है।
● भगवान की कृपा: भगवान कार्तिकेय की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
षण्मुख गायत्री मंत्र जाप विधि (Shanmukh Gayatri Mantra Chanting Method)
● जप के लिए शुभ दिन: मंगलवार और शुक्रवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। ● जाप की अवधि: 11 से 21 दिन तक मंत्र साधना करें। ● जाप का समय:
- ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) या
- सूर्यास्त के समय (शाम के समय) ● मंत्र जाप की सामग्री:
- आसन: कुश के आसन का प्रयोग करें।
- दीपक: शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- अगरबत्ती और धूप: पूजा स्थल को सुगंधित करें।
- फूल: भगवान को लाल और पीले फूल अर्पित करें।
- जल: ताम्र पात्र में जल रखें और अभिषेक करें।
- माला: रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करें।
षण्मुख गायत्री मंत्र जप संख्या (Shanmukh Gayatri Mantra Chanting Number)
● प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) का जाप करें। ● 21 दिनों तक एक ही समय पर जप करें।
षण्मुख गायत्री मंत्र जप के नियम (Rules for chanting Shanmukh Gayatri Mantra)
● आयु: जप करने वाला व्यक्ति 20 वर्ष से अधिक हो। ● सभी कर सकते हैं: स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से प्रभावी। ● वस्त्र:
- सफेद या पीले वस्त्र पहनें।
- नीले और काले रंग से बचें। ● आहार:
- सात्त्विक भोजन ग्रहण करें।
- धूम्रपान, मांसाहार, शराब आदि से बचें। ● ब्रह्मचर्य का पालन करें। ● साधना को गोपनीय रखें। ● स्नान और शुद्धता: प्रतिदिन स्नान कर ही जप करें।
षण्मुख गायत्री मंत्र जप की सावधानियाँ (Precautions for chanting Shanmukh Gayatri Mantra)
● शुद्धता बनाए रखें: स्थान और स्वयं की शुद्धता का ध्यान दें। ● समय का पालन करें: प्रतिदिन एक ही समय पर जप करें। ● उचित आसन का प्रयोग करें: कुश के आसन पर बैठें। ● सकारात्मक विचार बनाए रखें। ● साधना के बीच में विराम न लें। ● वाणी का संयम रखें। ● अन्य देवताओं की पूजा न करें: साधना के दौरान अन्य पूजाओं से बचें। ● शुद्ध आहार का सेवन करें।
षण्मुख गायत्री मंत्र भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी साधन है। यह मंत्र न केवल मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है, बल्कि भौतिक जीवन में भी सफलता और समृद्धि दिलाता है। यदि इस मंत्र का श्रद्धा और नियमपूर्वक जाप किया जाए, तो जीवन की समस्त बाधाओं का निवारण संभव है।