इस आरती के नियमित पाठ से जीवन के कष्ट और विपत्तियाँ दूर होती हैं, तथा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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श्री झूलेलाल जी की महिमा (Glory of Shri Jhulelal Ji)
सनातन धर्म में प्रत्येक समुदाय के अपने आराध्य देव होते हैं, और सिंधु समाज के पूज्य देव हैं—श्री झूलेलाल जी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक महाराज झूलेलाल जी की आरती का पाठ या श्रवण करता है, वह जल से संबंधित किसी भी रोग या संकट से सुरक्षित रहता है। साथ ही, यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन झूलेलाल जी की आरती करता है, तो उसके जीवन से सभी प्रकार के संकट, बाधाएँ, दुःख, कष्ट और विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं, तथा उसे शुभ फल प्राप्त होते हैं।
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झूलेलाल जी की आरती (Jhulelal ji ki aarti)
ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा
॥ ॐ जय दूलह देवा…
तुहिंजे दर दे केई, सजण अचनि सवाली ।
दान वठन सभु दिलि,सां कोन दिठुभ खाली
॥ ॐ जय दूलह देवा…
अंधड़नि खे दिनव, अखडियूँ – दुखियनि खे दारुं ।
पाए मन जूं मुरादूं, सेवक कनि थारू
॥ ॐ जय दूलह देवा…
फल फूलमेवा सब्जिऊ, पोखनि मंझि पचिन ।
तुहिजे महिर मयासा अन्न, बि आपर अपार थियनी
॥ ॐ जय दूलह देवा…
ज्योति जगे थी जगु में, लाल तुहिंजी लाली ।
अमरलाल अचु मूं वटी, हे विश्व संदा वाली
॥ ॐ जय दूलह देवा…
जगु जा जीव सभेई, पाणिअ बिन प्यास ।
जेठानंद आनंद कर, पूरन करियो आशा
॥ ॐ जय दूलह देवा…
ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा
॥ ॐ जय दूलह देवा…
॥ इति श्री झूलेलाल आरती संपूर्णम् ॥
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