सिद्धिविनायक की आराधना से सफलता और शांति (Success and peace by worshiping Siddhivinayak)
भगवान गणेश हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय और प्रिय देवता हैं। उन्हें गणपति, बप्पा, विनायक और सिद्धिविनायक के नाम से भी जाना जाता है। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र तथा भगवान कार्तिकेय के भाई हैं।
श्री सिद्धिविनायक जी की आरती के लाभ (Benefits of Shri Siddhivinayak Ji’s Aarti)
भगवान गणेश की पूजा और आरती करने से शुभता, समृद्धि और बुद्धि का विकास होता है। शिव पुराण के अनुसार, गणेश जी के दो पुत्र – शुभ और लाभ – क्रमशः देवी रिद्धि और देवी सिद्धि के पुत्र थे। शुभ जहां शुभकामनाओं का प्रतीक हैं, वहीं लाभ समृद्धि का प्रतीक हैं।
नियमित रूप से श्री सिद्धिविनायक जी की आरती पढ़ने या सुनने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनचाहा आशीर्वाद प्रदान करते हैं। उनकी कृपा से सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
सिद्धिविनायक जी की आरती (Siddhivinayak ji ki aarti)
वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नम् कुरु मे देव, सर्व कार्येषु,, सर्वदा !! ॐ…..
ॐ गं गणपतये नमो नम:, श्री सिध्धी-विनायक नमो नम: अष्ट-विनायक नमो नम:, गणपती बाप्पा मौर्य, मंगल मूर्ति मौर्य !
सुख कर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची, नूर्वी पूर्वी प्रेम, कृपा जयाची, सर्वांगी सुन्दर, उटी-शेंदु राची, कंठी-झलके माल, मुकता फळांची, जय देव जय देव, जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति, दर्शन मात्रे मनःकामना पूर्ति, जय देव जय देव !!
रत्न खचित फरा, तुझ गौरी कुमरा, चंदनाची उटी, कुमकुम केशरा, हीरे जडित मुकुट, शोभतो बरा, रुन्झुनती नूपुरे, चरनी घागरिया, जय देव जय देव, जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति, दर्शन मात्रे मनःकामना पूर्ति, जय देव जय देव !!
लम्बोदर पीताम्बर, फनिवर वंदना, सरल सोंड, वक्रतुंडा त्रिनयना, दास रामाचा, वाट पाहे सदना, संकटी पावावे, निर्वाणी रक्षावे, सुरवर वंदना, जय देव जय देव ! जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति, दर्शन मात्रे मनःकामना पूर्ति, जय देव जय देव….!!
शेंदुर-लाल चढायो, अच्छा गज मुख को, दोन्दिल लाल बिराजे, सूत गौरिहर को, हाथ लिए गुड लड्डू, साई सुरवर को, महिमा कहे ना जाय, लागत हूँ पद को, जय देव जय देव, जय जय जी गणराज, विद्या सुखदाता, धन्य तुम्हारो दर्शन, मेरा मन रमता, जय देव जय देव !!
अष्ट सिधि दासी, संकट को बैरी, विघन विनाशन मंगल, मूरत अधिकारी, कोटि सूरज प्रकाश, ऐसे छवि तेरी, गंडस्थल मदमस्तक, झूल शशि बहरी, जय देव जय देव, जय जय जी गणराज, विद्या सुखदाता, धन्य तुम्हारो दर्शन, मेरा मन रमता, जय देव जय देव !!
भाव भगत से कोई, शरणागत आवे, संतति संपत्ति सब ही, भरपूर पावे, ऐसे तुम महाराज, मोको अति भावे, गोसावी नंदन, निशि दिन गुण गावे, जय देव जय देव, जय जय जी गणराज, विद्या सुखदाता, हो स्वामी सुख दाता, धन्य तुम्हारो दर्शन, मेरा मन रमता, जय देव जय देव…..!!
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति, दर्शन मात्रे मनःकामना पूर्ति, जय देव जय देव…!!