गोरखनाथ जी की आरती का महत्व (Importance of Gorakhnath ji’s aarti)
इस आरती के माध्यम से जीवन में नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे भक्त को आंतरिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
गोरखनाथ जी की आरती की महिमा (Glory of Gorakhnath ji’s Aarti)
गुरु गोरखनाथ भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं और उन्हें गुरु मत्स्येन्द्रनाथ का मानस पुत्र भी कहा जाता है। वे एक सिद्ध योगी थे, जिनकी पूजा पूरे भारतवर्ष में श्रद्धा भाव से की जाती है।
जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति भाव से गोरखनाथ जी की आरती करता है, उसे आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है और उसके जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं। गोरखनाथ जी की कृपा से साधक को योग, भक्ति और आत्मज्ञान का वरदान प्राप्त होता है।
आइए, बाबा गोरखनाथ जी की कृपा पाने के लिए उनकी आरती का पाठ करें।
गोरखनाथ जी की आरती (Gorakhnath ji ki aarti)
जय गोरख देवा, जय गोरख देवा ।
कर कृपा मम ऊपर, नित्य करूँ सेवा ॥
शीश जटा अति सुंदर, भाल चन्द्र सोहे ।
कानन कुंडल झलकत, निरखत मन मोहे ॥
गल सेली विच नाग सुशोभित, तन भस्मी धारी ।
आदि पुरुष योगीश्वर, संतन हितकारी ॥
नाथ नरंजन आप ही, घट घट के वासी ।
करत कृपा निज जन पर, मेटत यम फांसी ॥
रिद्धी सिद्धि चरणों में लोटत, माया है दासी ।
आप अलख अवधूता, उतराखंड वासी ॥
अगम अगोचर अकथ, अरुपी सबसे हो न्यारे ।
योगीजन के आप ही, सदा हो रखवारे ॥
ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा, निशदिन गुण गावे ।
नारद शारद सुर मिल, चरनन चित लावे ॥
चारो युग में आप विराजत, योगी तन धारी ।
सतयुग द्वापर त्रेता, कलयुग भय टारी ॥
गुरु गोरख नाथ की आरती, निशदिन जो गावे ।
विनवित बाल त्रिलोकी, मुक्ति फल पावे ॥