भक्तिमयता और श्रद्धा से भरपूर “ॐ जय जगदीश हरे” आरती भगवान विष्णु की स्तुति का एक सुंदर माध्यम है। इस आरती के मधुर स्वर न केवल मन को शांति प्रदान करते हैं बल्कि पूरे वातावरण को भी पवित्र और सकारात्मक बना देते हैं।
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“ॐ जय जगदीश हरे” आरती का महत्व (Importance of “Om Jai Jagdish Hare” Aarti)
यह आरती भगवान विष्णु के अनंत गुणों का वर्णन करती है, जो संपूर्ण सृष्टि के पालनहार हैं। जब भक्त इस आरती का पाठ या गान करते हैं, तो उनके हृदय में भक्ति और श्रद्धा जागृत होती है, जिससे आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
“ॐ जय जगदीश हरे” आरती का नियमित रूप से गान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और कठिनाइयाँ दूर होती हैं। यह न केवल आंतरिक शांति प्रदान करती है बल्कि घर-परिवार में भी सकारात्मक ऊर्जा और मंगलमय वातावरण बनाती है।
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ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा, स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
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आरती करते समय ध्यान देने योग्य बातें
आरती सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भगवान से आत्मिक जुड़ाव का एक माध्यम है। इसे पूरे श्रद्धा और समर्पण के साथ करना चाहिए ताकि इसका अधिकतम लाभ मिल सके। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं, जिनका पालन करने से आपकी आराधना अधिक प्रभावशाली होगी:
- मन और आत्मा की शुद्धता – आरती करते समय मन को शांत और पवित्र रखें। भगवान के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति भाव रखें ताकि आरती सच्चे हृदय से की जा सके।
- सही मुद्रा अपनाएं – आरती करते समय सीधे खड़े रहें या पद्मासन में बैठें। आंखें बंद करके भगवान के स्वरूप का ध्यान करें और पूर्ण समर्पण के भाव से प्रार्थना करें।
- शुद्ध दीपक का उपयोग करें – शुद्ध घी या तिल के तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। दीपक की लौ धीरे-धीरे भगवान के समक्ष घुमाएं और आरती को भावनाओं के साथ गाएं।
- ध्यान केंद्रित करें – आरती के दौरान भगवान की मूर्ति, दीपक की ज्वाला, या किसी पवित्र प्रतीक पर ध्यान केंद्रित करें। इससे आपकी भक्ति और एकाग्रता बढ़ेगी।
- शुद्ध उच्चारण करें – आरती के शब्दों का सही और स्पष्ट उच्चारण करें। इसका प्रभाव तब अधिक होता है जब इसे पूरी श्रद्धा के साथ गाया जाता है।
- नियमित रूप से करें आरती – प्रतिदिन या विशेष अवसरों पर आरती करने से भक्ति की भावना प्रबल होती है और भगवान से निकटता महसूस होती है।
- शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखें – आरती से पहले स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। इससे शरीर और मन दोनों शुद्ध रहते हैं।
- शांत वातावरण बनाए रखें – आरती के समय घर में शांति होनी चाहिए ताकि आराधना में पूरी तरह से मन लगाया जा सके।
- समूह में आरती का महत्व – यदि संभव हो, तो परिवार या भक्तों के समूह के साथ आरती करें। इससे भक्ति की भावना और अधिक प्रबल होती है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
- तनाव मुक्त होकर आरती करें – आरती करते समय सभी चिंताओं को भूलकर ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव रखें। यह मन को शांत और प्रसन्नचित्त बनाए रखेगा।
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आरती करने के लाभ
- मानसिक शांति और तनाव मुक्ति – भगवान की आरती करने से मन को अद्भुत शांति मिलती है और मानसिक तनाव दूर होता है।
- ध्यान और एकाग्रता में वृद्धि – आरती के दौरान ध्यान केंद्रित करने से मानसिक शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार – दीपक की रोशनी और मंत्रोच्चारण से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता दूर होती है।
- आत्मविश्वास और सकारात्मकता – आरती करने से व्यक्ति आत्मविश्वास से भर जाता है और जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण विकसित करता है।
- आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि – नियमित रूप से आरती करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव होता है और भगवान से गहरा जुड़ाव महसूस होता है।
- पारिवारिक सौहार्द बढ़ता है – जब परिवार के सभी सदस्य मिलकर आरती करते हैं, तो आपसी प्रेम और एकता बढ़ती है।
- संस्कृति से जुड़ाव – आरती हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है।
आरती केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि ईश्वर से आत्मिक मिलन का एक माध्यम है। इसे प्रेम, श्रद्धा और समर्पण के साथ करने से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि का संचार होता है।
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