यह श्लोक भगवान श्री कृष्ण की अद्वितीय महिमा और रूप की विस्तृत स्तुति है। इसे “श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भज मन” के रूप में जाना जाता है। यह श्लोक भगवान श्री कृष्ण के शारीरिक रूप, उनके गुण, और उनकी लीलाओं का सुंदर वर्णन करता है। यह श्लोक विशेष रूप से उनके रूप, गहनों, मुद्रा और भव्यता का बखान करता है।
पूर्ण श्लोक का अर्थ (Meaning of the full verse):
श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भज मन, नन्द नन्दन सुन्दरम्।
अशरण शरण भव भय हरण, आनन्द घन राधा वरम्॥
अर्थ:
हे मन! भगवान श्री कृष्ण की कृपा का भजन करो, जो नन्दनंदन (नन्द की संतान) और अत्यंत सुंदर हैं। वे शरण में आए असहाय और भयभीत प्राणियों का उद्धार करने वाले हैं। वे आनंद के सागर हैं और राधा के प्रियतम हैं।
सिर मोर मुकुट विचित्र मणिमय, मकर कुण्डल धारिणम्।
मुख चन्द्र द्विति नख चन्द्र द्विति, पुष्पित निकुंजविहारिणम्॥
अर्थ:
उनके सिर पर मोरपंखों से सुसज्जित एक अद्वितीय मुकुट है, और उनके कानों में मकर आकार के कुंडल चमकते हैं। उनका मुख चंद्रमा की तरह तेजस्वी है और उनके नाखून चंद्रमा के समान सुंदर हैं। वे बृंदावन के सुंदर बागों में, जहां सुमन खिलते हैं, आनंदमय विहार करते हैं।
मुस्कान मुनि मन मोहिनी, चितवन चपल वपु नटवरम्।
वन माल ललित कपोल मृदु, अधरन मधुर मुरली धरम्॥
अर्थ:
उनकी मुस्कान मुनियों के मन को मोहित कर देती है। उनकी चपल नजरें और सुंदर वपु (शरीर) नटवर (नृत्य करने वाले) के रूप में सुशोभित हैं। उनके गालों पर वन की सुंदर मालाएं ललित रूप से शोभित हैं, और उनका मधुर अधर (होंठ) मुरली बजाने वाले हैं।
वृषुभान नंदिनी वामदिशि, शोभित सुभग सिहासनम्।
ललितादि सखी जिन सेवहि, करि चवर छत्र उपासनम्॥
अर्थ:
भगवान श्री कृष्ण वृषभानु की पुत्री राधा के साथ वाम (बाएं) दिशा में स्थित हैं, और उनका सिंहासन अत्यंत सुंदर है। उनके साथ राधा की सहेलियां हैं जो उनकी सेवा करती हैं। वे अपने हाथों से चवर (पंखा) और छत्र (छत्र) का पूजन करते हैं।
यह श्लोक भगवान श्री कृष्ण के रूप, उनके सौंदर्य, उनकी लीलाओं, उनके मधुर संगीत और राधा के साथ उनके संबंधों का गहन रूप से वर्णन करता है। इसे उच्च श्रद्धा और भक्ति भाव से पढ़ने या गाने से मन में कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति उत्पन्न होती है।
॥ हरि: ॐ तत् सत् ॥
कृष्ण स्तुति के लाभ: भक्ति, शांति और समृद्धि का मार्ग (Benefits of Krishna Stuti: The path to devotion, peace and prosperity)
“श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भज मन” के इस श्लोक का पाठ करने के अनेक लाभ होते हैं, जो भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति में सहायक होते हैं। इस श्लोक के पाठ से मिलने वाले लाभों में प्रमुख हैं:
- भक्ति का जागरण: इस श्लोक का नियमित पाठ भगवान श्री कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा को बढ़ाता है। यह व्यक्ति को भगवान के दिव्य गुणों और लीलाओं के प्रति अवबोधन कराता है और उसकी भक्ति को प्रगाढ़ करता है।
- मानसिक शांति: इस श्लोक के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की अद्वितीय महिमा का ध्यान केंद्रित होता है, जिससे मानसिक शांति, संतुलन और तनाव से मुक्ति मिलती है। कृष्ण के नाम में गहरे ध्यान और भक्ति से मन को स्थिरता और शांति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: भगवान श्री कृष्ण के गुणों और रूपों का समर्पण से ध्यान करना व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करता है। यह श्लोक भक्त को आत्मज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
- भव भय हरण: श्लोक में कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण शरणागत वत्सल हैं, अर्थात वे शरण में आए असहाय भक्तों का उद्धार करते हैं। उनका नाम लेने से जीवन के सभी भय, कष्ट, और दुख समाप्त हो जाते हैं।
- आनंद की प्राप्ति: इस श्लोक का गान व्यक्ति को आनंद के सागर में डुबो देता है। भगवान श्री कृष्ण के साथ जुड़कर, उनके रूपों और गुणों का ध्यान करके जीवन में संतुष्टि और आनंद की प्राप्ति होती है।
- राधा कृष्ण के प्रेम का अनुभव: श्लोक में राधा और कृष्ण के दिव्य प्रेम का वर्णन किया गया है, जो प्रेम की सर्वोत्तम और शुद्धतम स्थिति को दर्शाता है। इससे भक्तों को प्रेम की सच्ची भावना और दिव्यता का अनुभव होता है।
- व्यावहारिक जीवन में सुधार: भगवान श्री कृष्ण के गुणों के ध्यान से व्यक्ति में साहस, संयम, और धैर्य विकसित होते हैं। यह श्लोक जीवन के विभिन्न संघर्षों का सामना करने की शक्ति और संतुलन प्रदान करता है।
- सिद्धि और समृद्धि: यह श्लोक भगवान श्री कृष्ण से हर प्रकार की सिद्धि और समृद्धि की प्राप्ति का मार्ग खोलता है। भगवान श्री कृष्ण के प्रति भक्ति और विश्वास से व्यक्ति के जीवन में दैवीय आशीर्वाद का प्रवाह होता है।
- रोगों और कष्टों से मुक्ति: इस श्लोक के पाठ से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि शारीरिक कष्टों और रोगों से भी मुक्ति मिल सकती है। भगवान कृष्ण की कृपा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
इस प्रकार कृष्ण स्तुति के पाठ से एक व्यक्ति को न केवल आत्मिक शांति और भक्ति प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता भी मिलती है।