संतोषी माता को शांति, संतोष और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। उनकी पूजा और आराधना से भक्तों के जीवन में संतोष, सुख, और धन-धान्य का आगमन होता है। संतोषी माता की आरती भक्तों के लिए एक सरल और प्रभावशाली माध्यम है, जिससे वे माता की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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संतोषी माता की आरती का पाठ करते समय भक्त अपने कष्ट, दुख, और मनोकामनाओं को माता के चरणों में अर्पित करते हैं। यह आरती शुक्रवार के दिन विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि यह दिन माता को अति प्रिय है। आरती के साथ गुड़ और चने का भोग चढ़ाकर माता को प्रसन्न किया जाता है।
संतोषी माता की आरती:
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की, सुख सम्पति दाता ॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥
सुन्दर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो ।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो ॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥
गेरू लाल छटा छबि, बदन कमल सोहे ।
मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन जन मोहे ॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥
स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर दुरे प्यारे ।
धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे ॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥
गुड़ अरु चना परम प्रिय, तामें संतोष कियो ।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो ॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥
शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही ।
भक्त मंडली छाई, कथा सुनत मोही ॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥
मंदिर जग मग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम सेवक, चरनन सिर नाई ॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥
भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसे हमारे, इच्छित फल दीजै ॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥
दुखी दारिद्री रोगी, संकट मुक्त किए ।
बहु धन धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए ॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥
ध्यान धरे जो तेरा, वांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो ॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥
चरण गहे की लज्जा, रखियो जगदम्बे ।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे ॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥
सन्तोषी माता की आरती, जो कोई जन गावे ।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति, जी भर के पावे ॥
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की, सुख सम्पति दाता ॥
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पूजा विधि-विधान (Puja Vidhi):
संतोषी माता का पूजन दिन (Santoshi Mata worship day):
- संतोषी माता का व्रत शुक्रवार को किया जाता है।
- 16 शुक्रवार तक व्रत रखना विशेष फलदायक माना गया है।
पूजन सामग्री (Puja Materials)
- संतोषी माता की मूर्ति या चित्र
- घी और गुड़ (भोग के लिए)
- कलश, फूल, और चावल
- अगरबत्ती, दीपक, और लाल वस्त्र
पूजा की प्रक्रिया (Process of worship)
- स्नान कर साफ़ वस्त्र पहनें और पूजा स्थान को स्वच्छ करें।
- संतोषी माता की मूर्ति या चित्र को लाल कपड़े पर रखें।
- दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
- माता को घी और गुड़ का भोग चढ़ाएं।
- संतोषी माता की कथा सुनें या पढ़ें।
- अंत में आरती गाएं और माता से आशीर्वाद मांगें।
महत्वपूर्ण नियम (Important Rules)
- व्रत के दिन खट्टी चीजें न खाएं और न ही घर में किसी को दें।
- व्रत का समापन 16वें शुक्रवार को कथा और दान से करें।
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