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शिव रक्षा स्तोत्र (Shiv Raksha Stotra)

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शिव रक्षा स्तोत्र उन भक्तों के लिए एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव से सुरक्षा, समृद्धि और विजय प्राप्त करना चाहते हैं। इसकी रचना महर्षि याज्ञवल्क्य ने की थी, जिन्हें यह स्तोत्र भगवान नारायण (विष्णु) ने स्वप्न में बताया था। यह स्तोत्र भगवान शिव के विभिन्न पावन नामों का उच्चारण करते हुए शरीर के Read More

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शिव प्रातः स्मरण स्तोत्रं (Shiva Pratah Smaran Stotram)

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“शिवप्रातःस्मरणस्तोत्रम्” भगवान शिव की महिमा का एक अत्यंत पावन और प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसका पाठ विशेष रूप से प्रातःकाल (सुबह उठते ही) करने की परंपरा है। यह स्तोत्र भगवान शिव के तीन स्वरूपों का ध्यान कर उन्हें नमन करता है और अंत में उनकी कृपा से जन्मों-जन्मों के पापों और दुखों के नाश की बात Read More

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शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रं (Shiva Panchakshara Nakshatramala Stotram)

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“शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रम्” एक अत्यंत दिव्य और प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसमें भगवान शिव के पञ्चाक्षर मंत्र “नमः शिवाय” को आधार बनाकर उनकी महिमा का विस्तारपूर्वक गुणगान किया गया है। यह स्तोत्र भगवान शिव के विविध रूपों, लीलाओं, गुणों और कृपा शक्ति का वर्णन करता है, जो भक्तों के सभी पापों और कष्टों को हरने Read More

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श्री शनैश्चर स्तोत्र (Shanishchar Stotra)

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शनि देव को नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली और न्यायप्रिय ग्रह माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव हमारे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति अशुभ हो, या वह साढ़े साती अथवा ढैय्या से गुजर रहा हो, तो जीवन में कष्ट, बाधा और मानसिक तनाव Read More

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शनिश्चर स्तवराज स्तोत्र (Shanishchar Stavraj Stotra)

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श्री शनैश्चर स्तवराज स्तोत्र की महिमा भविष्य पुराण में वर्णित है। यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली एवं चमत्कारी माना गया है। जो भी साधक इस स्तोत्र का श्रद्धा और नियमपूर्वक पाठ करता है, उसे शारीरिक, मानसिक और ग्रहजन्य सभी प्रकार की पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी Read More

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शनि स्तोत्रम् (Shani Stotra)

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शनि स्तोत्र हिन्दू धर्म में अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली स्तोत्रों में से एक है, जिसे शनि देव को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धा से पढ़ा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह को न्यायाधीश का स्थान प्राप्त है, जो व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। यह ग्रह धीमी गति से चलता Read More

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शत्रु विंध्यवासिनी स्तोत्र (Shatru Vindhyavasini Stotra)

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शत्रु विन्ध्यवासिनी स्तोत्र माता विन्ध्यवासिनी को समर्पित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जो विशेष रूप से शत्रुनाश, रक्षा और वशीकरण के उद्देश्यों से पाठ किया जाता है। माता विन्ध्यवासिनी, देवी दुर्गा का एक उग्र और रक्षक रूप हैं, जिनकी उपासना विशेष रूप से विन्ध्याचल पर्वत के क्षेत्र में की जाती है। स्कन्द पुराण, देवी भागवत, Read More

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वेदसारशिवस्तव (Vedsar Shiv Stava)

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‘श्री वेदसार शिव स्तव’ भगवान शिव की महिमा और स्वरूप का सुंदर एवं सारगर्भित स्तुति ग्रंथ है। ऐसा माना जाता है कि इसका रचना कार्य आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा भगवान शिव की कृपा प्राप्ति हेतु किया गया था। यह स्तव शिव को समस्त सृष्टि का मूल और अंत मानते हुए उनकी दिव्य, योगी, रौद्र एवं Read More

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वेंकश्वारा अशोत्तारा शातानमा स्तोत्रं (Venkateswara Ashtottara Shatanama Stotram)

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“श्री वेङ्कटेश्वर शतनामावली स्तोत्रम्” भगवान विष्णु के दक्षिण भारत में पूजे जाने वाले रूप श्री वेङ्कटेश्वर (बालाजी, श्रीनिवास, गोविंद) की स्तुति में रचा गया एक अत्यंत पवित्र और फलदायक स्तोत्र है। इसमें भगवान वेङ्कटेश्वर के 108 दिव्य नामों का उल्लेख किया गया है, जो उनके विभिन्न गुणों, स्वरूपों और लीलाओं का गुणगान करते हैं। यह Read More

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वीरा विम्सती काव्यं हनुमान स्तोत्रं (Veera Vimsati-Kavyam Hanuman Stotram)

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“श्री वीरविंशतिकाव्यं श्रीहनुमत्स्तोत्रम्” एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसमें भगवान श्री हनुमानजी के पराक्रम, भक्तिभाव, और दिव्यता का सुंदर काव्यमय वर्णन किया गया है। “वीरविंशति” शब्द का अर्थ है – बीस (20) वीरता से भरपूर श्लोक, जो श्रीहनुमान की महानता का गान करते हैं। इस स्तोत्र में कुल 21 श्लोक हैं, जिनमें अंतिम श्लोक स्तोत्र Read More