
भारत की लोक-परंपराओं में खांडोबा एक ऐसे देवता हैं जिनमें भक्ति, शक्ति, परंपरा और लोककथाओं का अद्भुत संगम मिलता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य भारत में इनकी पूजा अत्यंत श्रद्धा से की जाती है। खांडोबा को मल्लारी मार्तंड, मार्तंड भैरव, खांडेराव, मल्हारी देव, येलकोट देव, म्हाल्सा-खांडोबा आदि नामों से भी जाना जाता है।
यह देवता केवल धर्म का प्रतीक नहीं बल्कि ग्रामीण संस्कृति, किसानों, धनगर समाज, मराठा इतिहास और लोकजीवन की आत्मा हैं।
वीर बाल दिवस : साहिबज़ादों की अमर शौर्यगाथा
खांडोबा का उद्गम – शिव का योद्धा रूप (Origin of Khandoba – Warrior Form of Shiva)
खांडोबा को भगवान शिव का एक तेजस्वी और अत्यंत योद्धा स्वरूप माना जाता है।
पुराणों व लोककथाओं के अनुसार—जब दैत्य मल्ल और मणि अत्याचार बढ़ाने लगे, तब देवताओं ने भगवान शिव से रक्षा की प्रार्थना की।
शिव ने अपने क्रोध और दिव्य तेज को धारण करते हुए एक अनोखा रूप लिया—घोड़े पर आरूढ़, हाथ में तलवार, शरीर पर भस्म, और चारों ओर तेज फैलाता हुआ “मार्तंड भैरव” स्वरूप।
इसी रूप को बाद में “खांडोबा” कहा जाने लगा।
खांडोबा अवतार की विस्तृत कथा (Detailed Story of Khandoba Avatar – Mall & Mani Vadh)

मल्ल–मणि के अत्याचार (Terror of Mall & Mani)
मल्ल और मणि वरदानों से शक्तिशाली दैत्य थे। उन्होंने ऋषियों, मनुष्यों और देवताओं को सताना शुरू कर दिया। उनका आतंक पृथ्वी और देवलोक दोनों में फैल गया।
श्री बाबा मोहन राम : विष्णु के संयुक्त स्वरूप का तेजस्वी अवतार
देवताओं की विनती (Gods Request Shiva for Help)
देवता शिव के पास पहुंचे और दैत्यों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की।
शिव का दिव्य रूपांतरण (Shiva Takes a Divine Warrior Form)
शिव ने मल्ल और मणि का अंत करने के लिए एक दीप्तिमान योद्धा रूप धारण किया—घोड़े पर सवार, हाथ में खड्ग, शरीर पर भस्म, अपार तेज से प्रकाशित।
यह स्वरूप “मल्लारी” नाम से प्रसिद्ध हुआ।
भीषण युद्ध (The Fierce Battle)
मल्ल और मणि के साथ भयंकर युध्द हुआ। अंततः खांडोबा ने मल्ल का वध कर दिया और उसके अहंकार को पैरों तले रखा।
मणि का पश्चाताप और वरदान (Repentance of Mani & the Boon)
मणि ने अंतिम समय में क्षमा माँगी।
खांडोबा ने उसे वरदान दिया कि उसकी संतति सदैव मंदिरों में उनकी सेवा करेगी।
आज भी कई मंदिरों में “माणि/माणिक” वंश सेवा करता है।
हिन्दू धर्म के 16 संस्कार (16 Sacraments of Hinduism) : जीवन की पवित्र यात्रा
खांडोबा का स्वरूप और प्रतीक (Appearance & Symbolism of Khandoba)
- सवारी – सफेद घोड़ा (White Horse)
- हाथ में – तलवार (Sword)
- शरीर – भस्म लेपित (Ash-Smeared Body)
- रंग – हल्दी के कारण पीतवर्ण (Golden Yellow due to Turmeric)
- प्रिय वस्तु – हल्दी (Turmeric)
- जयघोष – “येलकोट येलकोट जय मल्हार!” (Traditional Victory Chant)
खांडोबा की पत्नियाँ – म्हाल्सा और बनाई (Khandoba’s Wives – Mhalsa & Banai)
म्हाल्सा देवी (Goddess Mhalsa – Avatar of Lakshmi)
इनका जन्म मथुरा के यदुवंशी घराने में माना जाता है।
म्हाल्सा-खांडोबा का विवाह अत्यंत भव्य और divine माना जाता है।
बनाई देवी (Goddess Banai – Deity of Dhangar Community)
ये धनगर (पशुपालक) समुदाय की देवी हैं।
यह विवाह समाजिक एकता, लोकजीवन और ग्रामीण संस्कृति का प्रतीक है।
राजा त्रिशंकु : जीवित रहते हुए स्वर्ग की चाह और ‘त्रिशंकु स्वर्ग’ की अनोखी कथा
खांडोबा की पूजा और विशेषताएँ (Worship & Rituals of Khandoba)
खांडोबा की पूजा में लोकपरंपरा और आध्यात्मिकता का अनोखा मिश्रण है।
- हल्दी चढ़ाना (Offering Turmeric)
- नारियल चढ़ाना (Coconut Offering)
- ढोल-ताशों के साथ नृत्य (Traditional Drums & Dance)
- तलवार की पूजा (Sword Worship)
- घोड़े का प्रतीक (Horse Symbolism)
- भजन, ओव्या, लोकनृत्य (Folk Songs & Devotional Music)
जेजुरी में हल्दी की वर्षा होती है, जिसे “सोनेरी जेजुरी” कहा जाता है।
कहाँ-कहाँ पूजे जाते हैं खांडोबा (Where Khandoba is Worshipped)
महाराष्ट्र (Maharashtra)
जेजुरी, सोलापुर, नासिक, अहमदनगर, सांगली, कोल्हापुर, संभाजीनगर
कर्नाटक (Karnataka)
बीजापुर, बेलगावी, धारवाड़, गुलबर्गा
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)
बड़वानी, खरगोन, मंदसौर के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोक-विश्वास मिलता है।
जेजुरी खांडोबा मंदिर (Jejuri Khandoba Temple – The Famous Shrine)
जेजुरी खांडोबा का सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध मंदिर है।
विशेषताएँ:
- हल्दी की वर्षा (Golden Turmeric Showers)
- भव्य स्थापत्य (Ancient Architecture)
- तलवार और घोड़े की परंपरा (Sword & Horse Traditions)
- दीपोत्सव और चैत्र पूर्णिमा महोत्सव (Grand Festivals & Light Celebrations)
ऊँचे पर्वत पर स्थित यह मंदिर दूर से अत्यंत दिव्य दिखाई देता है।
खांडोबा के प्रमुख त्योहार (Major Festivals of Khandoba)
चंपाषष्ठी (Champashasthi Festival)
मल्ल-मणि वध की स्मृति में मनाया जाता है। यह सबसे बड़ा उत्सव है।
मार्गशीर्ष सोमवार (Margashirsha Mondays)
इन दिनों की पूजा अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है।
चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima Fair)
जेजुरी में विशाल मेला लगता है।
लोकसंस्कृति में खांडोबा का महत्व (Cultural Importance of Khandoba)
खांडोबा—
- कुलदेवता (Family Deity)
- क्षेत्रपाल (Protector Deity)
- किसानों के रक्षक (Protector of Farmers)
- पशुपालकों की आस्था (Deity of Shepherds)
- मराठा संस्कृति का हिस्सा (Part of Maratha Heritage)
- शुभ कार्यों की शुरुआत के देव (Auspicious Beginning God)
महाराष्ट्र में कोई भी बड़ा काम खांडोबा को स्मरण किए बिना शुरू नहीं किया जाता।
खांडोबा के भजन और लोकगीत (Bhajans & Folk Songs of Khandoba)
- “येलकोट येलकोट जय मल्हार”
- “मल्हारी मार्तंडा तुझा जयघोषा”
- धनगर समाज की ओव्या
- लोकनृत्य, गवई, पारंपरिक गीत
इन गीतों में वीरता, भक्ति और समर्पण की गूंज होती है।
खांडोबा दर्शन का महत्व (Benefits & Significance of Khandoba Darshan)
- संकट-मुक्ति (Relief from Problems)
- शत्रु पर विजय (Victory over Enemies)
- परिवार में शांति (Family Harmony)
- उन्नति एवं समृद्धि (Growth & Prosperity)
- पशुधन की सुरक्षा (Livestock Protection)
- यात्रा में सफलता (Safe Journeys)
33 कोटि का वास्तविक अर्थ और पौराणिक दृष्टिकोण
निष्कर्ष (Conclusion)
खांडोबा सिर्फ एक लोकदेवता नहीं बल्कि महाराष्ट्र की आत्मा, लोकजीवन का आधार, किसानों के रक्षक, शिव के योद्धा रूप और भक्ति-शक्ति के अद्भुत प्रतीक हैं।
जेजुरी की हल्दी, ढोल-ताशों की गूंज और भक्तों का उत्साह मिलकर खांडोबा की भक्ति को एक अलौकिक अनुभव बना देते हैं।


























































