श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र भगवान मंगल (भौम) की कृपा प्राप्त करने हेतु एक अत्यंत प्रभावशाली स्तुति है। मंगल ग्रह शक्ति, साहस, भूमि, पराक्रम, क्रोध और समृद्धि का कारक माना गया है। यदि किसी व्यक्ति पर ऋण का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा हो, आय के स्रोत रुक गए हों, या जीवन में आर्थिक समस्याएं बनी रहती हों—तो इस स्तोत्र का नियमित श्रद्धापूर्वक पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
इस स्तोत्र के माध्यम से भगवान मंगल को प्रसन्न कर जीवन से ऋण, दरिद्रता और आर्थिक बाधाओं को दूर किया जा सकता है। विशेषतः यह स्तोत्र मंगल दोष (कुज दोष) के निवारण के लिए भी सहायक होता है।
पाठ से पूर्व आवश्यक विधि:
- लाल वस्त्र धारण करें।
- पीपल की लकड़ी से निर्मित मंगल यंत्र और भगवान हनुमान जी की स्थापना करें।
- हनुमान जी को सिंदूर व चमेली का तेल अर्पित करें।
- देसी घी का दीपक दाएँ ओर तथा तिल के तेल का दीपक बाएँ ओर रखें।
- भोग में चने की दाल या बेसन से बनी मिठाई चढ़ाएँ।
- फिर श्रद्धा और विश्वास के साथ इस स्तोत्र का पाठ करें।
श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र
।। श्रीगणेशाय नमः ।।
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मविरोधकः।।
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।।
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
वृष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।।
एतानि कुजनामानि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्।।
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत् पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।
अङ्गारक महाभाग भगवन् भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषं ऋणमाशु विनाशय।।
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।।
अतिवक्त्र दुराराध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्क्षणात्।।
विरिञ्चिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।
पुत्रान् देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्र्यदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।।
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैः यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा।।
।। इति श्री ऋणमोचन मंगल स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ।।
श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र (हिंदी अनुवाद)
।। श्रीगणेशाय नमः ।।
मंगल ग्रह, जो पृथ्वी का पुत्र है, ऋण को हरने वाला और धन देने वाला है।
वह स्थिर आसन पर स्थित, विशाल शरीर वाला, और समस्त कर्मों में बाधा उत्पन्न करने वाला है।।
जो लाल वर्ण का, लाल नेत्रों वाला है, जो सामवेद के गान में प्रिय है और करुणाशील है।
जो धरती का पुत्र, कुज, भौम, सुख देने वाला और पृथ्वी का आनंद है।।
जो अंगारक और यम कहलाता है, समस्त रोगों को हरने वाला है।
वर्षा का करने वाला या रोकने वाला, सभी इच्छाओं का फल देने वाला है।।
जो मनुष्य इन मंगल के बारह नामों का नित्य श्रद्धा से पाठ करता है,
उस पर ऋण उत्पन्न नहीं होता और वह शीघ्र ही धन प्राप्त करता है।।
जो पृथ्वी के गर्भ से उत्पन्न, बिजली के समान तेज वाला,
बालरूप वाला और हाथ में शक्ति (शस्त्र) धारण करने वाला है — मैं उस मंगल को नमस्कार करता हूँ।।
इस मंगल स्तोत्र का पाठ मनुष्यों को नित्य करना चाहिए।
ऐसा करने से उन्हें मंगल ग्रह से उत्पन्न पीड़ा कभी भी नहीं होती।।
हे अंगारक! हे महान! हे भक्तों पर दया करने वाले भगवान!
मैं आपको नमस्कार करता हूँ, मेरे समस्त ऋणों का शीघ्र नाश कीजिए।।
ऋण, रोग, दरिद्रता और अकाल मृत्यु तथा
भय, कष्ट और मानसिक पीड़ा — ये सब मुझसे सदा दूर हो जाएँ।।
जो बहुत क्रूर, कठिनता से प्रसन्न होने वाला, भोग और मोक्ष देने वाला, आत्मसंयमी है —
वह जब प्रसन्न होता है तो राज्य दे देता है, और रूठ जाए तो एक क्षण में छीन लेता है।।
विष्णु, ब्रह्मा और इन्द्र भी जिनसे भयभीत रहते हैं —
मनुष्य की तो बात ही क्या? इसलिए आप समस्त प्राणियों में सबसे अधिक बलवान ग्रहों के राजा हैं।।
हे मंगल! मुझे पुत्र दीजिए, धन दीजिए — मैं आपकी शरण में आया हूँ।
ऋण, दरिद्रता, दुःख और शत्रुओं के भय से मुझे छुटकारा दीजिए।।
जो व्यक्ति इन बारह श्लोकों से पृथ्वीपुत्र मंगल की स्तुति करता है,
वह महान सम्पत्ति प्राप्त करता है और दूसरों को भी धन देने योग्य हो जाता है।।
।। इति श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्रम् (हिंदी अनुवाद) सम्पूर्णम् ।।
श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के लाभ (Benefits of Shri Rinmochak Mangal Stotra:):
- यह स्तोत्र जीवन से ऋण और आर्थिक संकट को दूर करता है।
- आय के मार्ग में आ रही रुकावटें समाप्त होती हैं।
- कार्यक्षमता, साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- धन की प्राप्ति होती है तथा आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
- यह स्तोत्र मंगल दोष व मांगलिक दोष को शांति प्रदान करता है।
- मंगल के अशुभ प्रभावों को शांत कर जीवन में स्थिरता लाता है।
किन्हें पाठ करना चाहिए (Who should read):
- जिन्हें कर्ज़ चुकाने में परेशानी हो रही हो।
- जिनकी कुंडली में कुज दोष या मांगलिक दोष हो।
- जिनके जीवन में आर्थिक संकट, बार-बार नुकसान या धन रुकावट हो।
- जो रोजगार, व्यापार या सफलता में निरंतर असफलता का अनुभव कर रहे हों।


























































