शिव षडाक्षर स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली स्तुति है जो भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” को समर्पित है। यह स्तोत्र रुद्रयामल तंत्र से लिया गया है, जो शैव और शक्त तांत्रिक परंपरा का एक प्रमुख ग्रंथ है। यह स्तोत्र शिव और माँ पार्वती के बीच हुए संवाद से उत्पन्न हुआ है, जिसका उद्देश्य साधकों को आत्मकल्याण, शांति और मोक्ष की ओर मार्गदर्शन देना है।
“ॐ नमः शिवाय” — यह मंत्र छह अक्षरों से मिलकर बना है: ॐ-न-म-शि-व-य। इस स्तोत्र में प्रत्येक अक्षर के लिए एक श्लोक समर्पित है, और अंतिम सातवाँ श्लोक फलश्रुति (पाठ के लाभ) का वर्णन करता है।
इस स्तोत्र का नियमित पाठ शिव मंदिर में श्रद्धा, भक्ति और ध्यानभाव से करने पर साधक को आत्मिक शांति, सुख, सिद्धि और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शिव षडाक्षर स्तोत्र
Shiv Shadakshara Stotra
ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः ।
कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः ॥ १ ॥
नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः ।
नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नमः ॥ २ ॥
महादेवं महात्मानं महाध्याय परायणम् ।
महापापहरं देवं मकाराय नमो नमः ॥ ३ ॥
शिवं शांतं जगन्नाथं लोकानुग्रहकारकम् ।
शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नमः ॥ ४ ॥
वाहनं वृषभो यस्य वासुकि कंठभूषणम् ।
वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नमः ॥ ५ ॥
यत्र यत्र स्थितो देवः सर्वव्यापी महेश्वरः ।
यो गुरुः सर्वदेवानां यकाराय नमो नमः ॥ ६ ॥
षडक्षरमिदं स्तोत्रं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥ ७ ॥
।। इति शिव षडाक्षर स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
शिव षडाक्षर स्तोत्र (हिंदी अनुवाद) (Shiv Shadakshar Stotra (Hindi translation))
ॐ (ओंकार) जो बिंदु के साथ युक्त है, जिसे योगीजन सदा ध्यान करते हैं,
जो इच्छाओं को पूर्ण करने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला है —
उस ओंकार को बारम्बार नमस्कार है ॥ १ ॥
ऋषि, देवता और अप्सराएँ जिनके आगे सिर झुकाते हैं,
मनुष्य भी देवताओं के स्वामी को नमस्कार करते हैं —
उस ‘न’ अक्षर को बार-बार प्रणाम है ॥ २ ॥
जो परमदेव, महान आत्मा और महान साधना के आश्रय हैं,
जो महापापों का नाश करने वाले हैं —
उस ‘म’ अक्षर को नमस्कार है ॥ ३ ॥
जो शिव शांत स्वरूप हैं, सम्पूर्ण जगत के स्वामी हैं,
जो लोकों पर कृपा करने वाले और सदा एकरूप हैं —
उस ‘शि’ अक्षर को नमस्कार है ॥ ४ ॥
जिनका वाहन नंदी (बैल) है, जिनके कंठ में वासुकि नाग सुशोभित है,
जिनके बाएँ भाग में शक्ति विराजमान है —
उस ‘व’ अक्षर को बारंबार नमस्कार है ॥ ५ ॥
जो जहाँ-जहाँ भी स्थित हैं, सब जगह व्यापक हैं,
जो समस्त देवताओं के गुरु हैं —
उस ‘य’ अक्षर को बारंबार नमस्कार है ॥ ६ ॥
जो कोई भी इस षडाक्षर (ॐ नमः शिवाय) स्तोत्र को शिव की उपस्थिति में पढ़ता है,
वह शिवलोक को प्राप्त करता है और भगवान शिव के साथ आनंद पाता है ॥ ७ ॥
।। इति शिव षडाक्षर स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
शिव षडाक्षर स्तोत्र के लाभ (Benefits of Shiv Shadakshar Stotra):
- यह स्तोत्र शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को जाग्रत करता है।
- मन की चंचलता और अस्थिरता को दूर कर एकाग्रता बढ़ाता है।
- “ॐ नमः शिवाय” के छः अक्षरों के प्रभाव से साधक के पाप क्षय, भय नाश और इच्छाओं की पूर्ति होती है।
- यह शिव की कृपा पाने का सशक्त तांत्रिक मार्ग भी है।
- नियमित पाठ से जीवन में शांति, संतुलन और दिव्यता आती है।
कौन करें इसका पाठ (Who should recite this):
- वह व्यक्ति जिसकी मनःस्थिति अस्थिर है और कार्यों में एकाग्रता नहीं रहती।
- जो ईश्वर भक्ति, मोक्ष, अथवा आध्यात्मिक उन्नति की कामना करता है।
- जिन्हें संकट, भय या अवसाद का अनुभव हो रहा है, वे भी इस स्तोत्र से लाभ पा सकते हैं।


























































